KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं !
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पृष्ठभूमि से जोड़ता है। यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से
अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको
विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।
केएसएम का उद्देश्य प्राचीन गुरु - शिष्य परम्परा पद्धति में "भारतीय को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना" है।
लेटे हुए बुद्ध
(The Reclining Buddha)
संदर्भ:
बुद्ध जयंती (26 मई) को, बोधगया में स्थित ‘बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय कल्याण मिशन मंदिर’ के प्रांगण में लेटे हुए बुद्ध की भारत में सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित की जानी थी। इस समारोह को कोविड-19 प्रतिबंधों की वजह से स्थगित कर दिया गया है।
लेटे हुए बुद्ध की मूर्ति क्या दर्शाती है?
लेटे हुए बुद्ध (Reclining Buddha) की मूर्ति या छवि, बुद्ध की बीमारी के अंतिम दौर तथा परिनिर्वाण के पूर्व की स्थिति को दर्शाती है।
- ‘परिनिर्वाण’ मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करने की अवस्था होती है, जो केवल प्रबुद्ध आत्माओं को ही प्राप्त होती है।
- बुद्ध की मृत्यु, 80 वर्ष की आयु में, बिहार की सीमा से लगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में, ध्यानवस्था के दौरान हुई थी।
मूर्तिकला शैली:
‘लेटे हुए बुद्ध’ को सर्वप्रथम ‘गांधार कला’ में चित्रित किया गया था। इस मूर्तिकला शैली का समय 50 ईसा पूर्व और 75 ईस्वी के बीच माना जाता है, और यह पहली से पांचवीं शताब्दी ईस्वी तक, कुषाण काल के दौरान, अपने चरम पर थी।
- ‘लेटे हुए बुद्ध’ की मूर्तियों और चित्रों में उन्हें अपनी दाहिनी ओर लेटे हुए दिखाया गया है, जिसमे उनका सिर एक तकिए या उनकी दाहिनी कोहनी पर टिका हुआ होता है।
- यह मुद्रा दर्शाती है, कि सभी प्राणियों में प्रबुद्ध होने और मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होने की क्षमता होती है।
कृपया ध्यान दें: कि बुद्ध मूर्ति पूजा के खिलाफ थे।
लेटे हुए बुद्ध की भारत के बाहर स्थापित मूर्तियाँ:
- थाईलैंड और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों में लेटे हुए बुद्ध की मुद्राएं अधिक प्रचलित हैं।
- विश्व में लेटे हुए बुद्ध की सबसे बड़ी प्रतिमा, 600 फुट लंबी ‘विनसेन ताव्या बुद्ध’ (Winsein Tawya Buddha) प्रतिमा है जिसे वर्ष 1992 में म्यांमार के ‘मावलमाइन’ (Mawlamyine) में बनाया गया था।
- पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित, दूसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व में निर्मित ‘भामला बुद्ध परिनिर्वाण’ (Bhamala Buddha Parinirvana), को दुनिया में अपनी तरह की सबसे पुरानी मूर्ति माना जाता है।
भारत में लेटे हुए बुद्ध:
- अजंता के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की गुफा संख्या 26 में, लेटे हुए बुद्ध की एक 24 फुट लंबी और नौ फुट ऊँची एक मूर्ति है, जिसे 5 वीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित माना जाता है।
- कुशीनगर, जहां बुद्ध ने परिनिर्वाण प्राप्त किया था, में परिनिर्वाण स्तूप के भीतर बुद्ध की 6 मीटर लंबी, लाल बलुआ पत्थर की एकाश्म मूर्ति स्थापित है।
भारत में बुद्ध का अन्य मुद्राओं में चित्रण:
- महाबोधि मंदिर में, बुद्ध ‘भूमि-स्पर्श मुद्रा’ में बैठे हुए हैं और इस मुद्रा में उनका हाथ जमीन की ओर इशारा कर रहा है। यह मुद्रा पृथ्वी को उनके ज्ञानोदय की साक्षी के रूप में दर्शाती है।
- सारनाथ में, जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, बुद्ध की हाथ से संकेत करती हुई एक पाषाण-प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में दिखाई गई मुद्रा को धर्म-चक्र मुद्रा कहा जाता है, जो उपदेश का प्रतीक है।
- टहलते हुए बुद्ध (Walking Buddha) की प्रतिमा उनके आत्मज्ञान की ओर यात्रा शुरू करने या उपदेश देकर लौटने को दर्शाती है। सभी बुद्ध मुद्राओं में यह सबसे कम प्रचलित है, और ज्यादातर थाईलैंड में देखी जाती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं के बारे: Indian Express
प्रीलिम्स लिंक:
- बौद्ध धर्म- उत्पत्ति और प्रसार
- बौद्ध धर्म के तहत विभिन्न संप्रदाय
- विभिन्न मुद्राएं
- हीनयान और महायान संप्रदायों में अंतर
- बोधिसत्व कौन हैं?
- बुद्ध के जीवन से जुड़े विभिन्न स्थान
- विभिन्न बौद्ध परिषदें
मेंस लिंक:
वर्तमान में बुद्ध और उनके विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान।
बंगाल की खाड़ी में ‘सामान्य से अधिक गर्म मौसम’
संदर्भ:
जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में मौसम का तापमान, साल के इस समय होने वाले सामान्य तापमान की अपेक्षा कम से कम दो डिग्री अधिक है। हाल ही में, बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवात ‘यास’ का निर्माण हुआ था।
पृष्ठभूमि:
आमतौर पर, बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात काफी भयंकर होते हैं और भारी तबाही मचाते हैं। इस साल, बंगाल की खाड़ी का उत्तरी भाग असाधारण रूप से अधिक गर्म है, और यहाँ का तापमान लगभग 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
बंगाल की खाड़ी में आने वाले हालिया चक्रवात:
- पिछले साल मार्च में, बंगाल की खाड़ी में ‘अम्फान’ नामक एक सुपर साइक्लोन आया था, जिसने पश्चिम बंगाल में काफी तबाही मचाई थी।
- यह वर्ष 1999 में पारादीप, ओडिशा को बुरी तरह प्रभावित करने वाले सुपर साइक्लोन के बाद से भारत के पूर्वी तट पर आने वाला सबसे शक्तिशाली तूफान था।
- अम्फान से पहले, वर्ष 2019 में ‘फानी’ नामक चक्रवात से भी ओडिशा में तबाही मचाई थी और भारी नुकसान पहुँचाया था।
संबंधित चिंताएं:
- पिछले चार वर्षों में खाड़ी में 12 चक्रवात निर्मित हुए हैं। भारतीय समुद्र तट पर, एक साल में आने वाले पांच चक्रवातों में से चार, बंगाल की खाड़ी में और केवल एक अरब सागर में उत्पन्न होता है।
- हाल के वर्षों में उत्तर हिंद महासागर में चक्रवात आने की आवृत्ति में भी वृद्धि देखी जा रही है।
बंगाल की खाड़ी, चक्रवाती तूफानों के निर्माण हेतु उपयुक्त स्थल क्यों है?
- महासागर के उष्ण जल द्वारा निर्मित विस्तृत निम्न दाब क्षेत्र।
- बंगाल की खाड़ी का आकार एक गर्त (Trough) की भांति है, जो तूफानों को मजबूत करने के लिए इसे और अधिक अनुकूल बनाता है।
- समुद्रीय सतह का उच्च तापमान होने की वजह से, खाड़ी में उत्पन्न होने वाले तूफानों की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है।
- बंगाल की खाड़ी में इसके चारो ओर धीमी ओर गर्म हवाओं सहित अधिक वर्षा होती है, जिसकी वजह से पूरे वर्ष तापमान अपेक्षाकृत अधिक बना रहता है।
- ब्रम्हपुत्र, गंगा जैसी वर्ष भर प्रवाहित होने वाली नदियों से ताजे उष्ण पानी का निरंतर प्रवाह होता रहता है, जिसकी वजह से खाड़ी की निचली सतह के ठंडे पानी के साथ ऊपरी सतह के पानी का मिश्रण लगभग असंभव हो जाता है।
- प्रशांत महासागर और बंगाल की खाड़ी के बीच भू-भाग की कमी के कारण चक्रवाती हवाएँ तटीय क्षेत्रों तक सीधे, बिना किसी रूकावट के पहुच जाती हैं और भारी वर्षा करती हैं।
- मानसून के बाद उत्तर-पश्चिमी भारत से खाड़ी की ओर हवाओं का प्रवाह रुक जाता है, जोकि बंगाल की खाड़ी में चक्रवात आने की संभावना का एक अन्य कारण भी होता है।
अरब सागर को अपनी भौगोलिक स्थिति से होने वाले लाभ:
- अरब सागर, काफी शांत रहता है, क्योंकि इसके ऊपर चलने वाली तेज हवाएं, इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा को अपने साथ वहा ले जाती हैं।
- अरब सागर में लगातार ताजे पानी का प्रवाह काफी कम होता है, जिससे सतही गर्म पानी और निचली सतह के ठंडे पानी को परस्पर मिश्रित होने में आसानी होती है, परिणामस्वरूप सतह का तापमान कम हो जाता है।
- अरब सागर को अपनी अवस्थिति का लाभ भी मिलता है, क्योंकि प्रशांत महासागर से आने वाली हवाएँ पश्चिमी घाट और हिमालय से टकराती हैं और इनकी तीव्रता कम हो जाती है और कभी-कभी ये हवाएं अरब सागर तक पहुँच ही नहीं पाती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं?
प्रारंभिक लिंक:
- चक्रवात क्या होते हैं?
- उनके निर्माण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ
- प्रकार
- उनका नामकरण
- चक्रवातों के नामों की हालिया सूची।
- अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवात क्यों आते हैं?
मेंस लिंक:
बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवातों की तीव्रता क्यों बढ़ती जा रही है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- II
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
भारत के मुख्य न्यायधीश द्वारा सीबीआई पैनल पर एक ‘विधि व्यक्तव्य’
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा ने 1985 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल दो साल के कार्यकाल हेतु ‘सीबीआई निदेशक’ नियुक्त किया है। सुबोध कुमार, वर्तमान में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के महानिदेशक हैं।
- सरकार द्वारा, इनका चयन, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति, द्वारा सुझाए गए तीन नामों की सूची में से किया गया है।
- इस समिति में प्रधान मंत्री के अलावा ‘भारत के मुख्य न्यायधीश’ तथा ‘लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता’ सदस्य के रूप में शामिल होते है
भारत के मुख्य न्यायधीश द्वारा दिया गया ‘विधि व्यक्तव्य’ क्या है?
प्रधान मंत्री के नेतृत्व वाली समिति में, भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण ने सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति के लिए, छह महीने से कम अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों से बचने की राय व्यक्त की।
- इस राय को एक स्पष्ट ‘विधि व्यक्तव्य’ (statement of law) कहा जा रहा है।
- क्योंकि, मुख्य न्यायधीश (CJI) के अनुसार, समिति द्वारा अधिकारियों के चयन को ‘भविष्य में कानून द्वारा की जाने वाली जांच’ का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।
इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के विचार और निर्णय:
- प्रकाश सिंह मामला: सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति से संबंधित प्रकाश सिंह मामले में 13 मार्च 2019 के आदेश में ‘छह महीने का न्यूनतम शेष कार्यकाल’ (six-month minimum residual tenure) नियम शुरू किया था। बाद में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को भी इस नियम के दायरे में लाया गया था।
- भारत संघ बनाम सी. दिनाकर, 2004: “आमतौर पर सीबीआई निदेशक की सेवानिवृत्ति की तारीख के समय, सेवा में सबसे वरिष्ठ चार बैचों के आईपीएस अधिकारी, सीबीआई निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए विचार हेतु पात्र होंगे, भले ही उनके नाम चयन-सूची में शामिल हो अथवा न हों।
- विनीत नारायण मामले में 1998 का निर्णय: सीबीआई निदेशक, न्यूनतम दो वर्ष के लिए पद धारण करेगा, तथा एक उच्च स्तरीय समिति की पूर्व सहमति के बिना उसका तबादला नहीं किया जा सकता है।
भारत के मुख्य न्यायधीश की इस राय के निहितार्थ:
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) ने अपनी यह राय वर्ष 2019 के आदेश के आधार पर वयक्त की है, और इस पर प्रधान मंत्री सहित अन्य दोनों सदस्य सहमत हुए हैं। इसका अर्थ होगा, कि जिन संवेदनशील पदों पर, पदधारक के रूप में साफ़ चरित्र, ईमानदारी और पेशेवर व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिए सरकार को पहले जो विवेकाधिकार प्राप्त था, वह जायसवाल के चयन के बाद सीमित हो गया है।
इसकी आवश्यकता:
शीर्ष अदालत ने इस संभावना का संकेत दिया था कि जिन अधिकारियों के सेवानिवृत होने मात्र कुछ दिन शेष होते है, वे असुरक्षित मनोदशा में हो सकते हैं।
सीबीआई निदेशक और इसकी नियुक्ति के बारे में:
- सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति, ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम’ 1946 की धारा 4A के तहत की जाती है।
- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम (2013) के अनुसार, सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति, केंद्र सरकार द्वारा तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर की जाएगी। इस समिति में प्रधान मंत्री अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा इनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
- इसके अलावा, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम, 2014 द्वारा सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति की संरचना में बदलाव किया गया। इसमें कहा गया, कि लोकसभा में विपक्ष का कोई मान्यता प्राप्त नेता नहीं होने की स्थिति में, लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को चयन समिति में शामिल किया जाएगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विवरण और आगे के आदेश:
क्या सीबीआई ने अपनी स्वायत्तता खो दी है?
प्रीलिम्स लिंक:
- सीबीआई की स्थापना करने संबंधी सिफारिश किसके द्वारा की गई थी?
- सीबीआई किसके प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है?
- क्या यह एक वैधानिक निकाय है?
- सीबीआई के निदेशक का चयन करने के लिए समिति
- विनीत नारायण का निर्णय किससे संबंधित है?
- प्रकाश सिंह केस का फैसला- अवलोकन
मेंस लिंक:
आपको क्यों लगता है कि सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्त होने वाले किसी अधिकारी का कार्यकाल न्यूनतम छह महीने का होना आवश्यक है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
इज़राइल के मानवाधिकार रिकार्ड्स की और अधिक जांच कराए जाने की मांग
संदर्भ:
‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (Organization of Islamic Cooperation) के सदस्य देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UN Human Rights Council) से इज़राइल, गाजा और वेस्ट बैंक में किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन संबंधी रिपोर्ट करने हेतु एक ‘स्थायी आयोग’ गठित करने की मांग की जा रही है।
यदि यह मांग स्वीकृत हो जाती है, तो यह संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था द्वारा अधिकृत एक अभूतपूर्व स्तर की जांच होगी।
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष संबंधी हाल के मुद्दों पर विवरण के लिए कृपया देखें:
- INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 12 May 2021 – INSIGHTSIAS (insightsonindia.com)
- INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 19 May 2021 – INSIGHTSIAS (insightsonindia.com)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC):
- ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UN Human Rights Council- UNHRC) की स्थापना वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
- इसके लिए ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग’ (UN Commission on Human Rights) के स्थान पर गठित किया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (Office of the High Commissioner for Human Rights -OHCHR), ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) के सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
- OHCHR का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
संरचना:
- वर्तमान में, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) में 47 सदस्य हैं, तथा समस्त विश्व के भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु सीटों का आवंटन प्रतिवर्ष निर्वाचन के आधार पर किया जाता है।
- प्रत्येक सदस्य तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है।
- किसी देश को एक सीट पर लगातार अधिकतम दो कार्यकाल की अनुमति होती है।
UNHRC में सीटों का वितरण:
‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ की सदस्यता, समान भौगोलिक वितरण पर आधारित है। सीटों का वितरण इस प्रकार है:
- अफ्रीकी देश: 13 सीटें
- एशिया-प्रशांत देश: 13 सीटें
- लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देश: 8 सीटें
- पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देश: 7 सीटें
- पूर्वी यूरोपीय देश: 6 सीटें
UNHRC के कार्य:
- परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों की ‘सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा’ (Universal Periodic Review- UPR) के माध्यम से मानव अधिकार संबंधी विषयों पर गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित करता है।
- यह विशेष प्रक्रियाओं के तहत कुछ विशिष्ट देशों में मानवाधिकार उल्लंघनों हेतु विशेषज्ञ जांच की देखरेख करता है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष चुनौतियाँ तथा इसमें सुधारों की आवश्यकता:
- UNHRC में कई पश्चिमी देशों द्वारा निरंतर भागीदारी के बावजूद भी ये मानव अधिकारों संबंधी समझ पर गलतफहमी बनाये रखते हैं।
- UNHRC की कार्यवाहियों के संदर्भ में गैर-अनुपालन (Non-compliance) एक गंभीर मुद्दा रहा है।
- अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्रों की गैर-भागीदारी।
प्रीलिम्स लिंक:
- वेस्ट बैंक कहाँ है?
- गाजा पट्टी
- गोलान हाइट्स
- हमास कौन हैं?
- अल-नकबा क्या है?
- संघर्ष के बारे में।
- UNHRC के बारे में।
मेंस लिंक:
लंबे समय से चले आ रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को समाप्त करने के लिए उपाय सुझाएं।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
क्वाड द्वारा चीन को निशाना बनाया जा रहा है: काउंसल जनरल
(Quad targeting China: Consul General)
संदर्भ:
हाल ही में, मुंबई में चीन के ‘महावाणिज्यदूत’ अर्थात काउंसल जनरल (Consul General) द्वारा क्वाड को ‘नियंत्रण करने के लिए एक प्रयास” बताया गया है।
‘महावाणिज्यदूत’ के अनुसार, क्वाड तथाकथित लोकतांत्रिक गठबंधन की वकालत करता है, और नियंत्रण पाने के प्रयास में एक विशिष्ट देश को लक्षित कर रहा है।
भारत के लिए निहितार्थ:
भारत के संबंध में चीन का कड़ा रुख वर्ष 2020 से कुछ अधिक तीक्ष्ण हो गया है। क्वाड (Quad) का संदर्भ देने से स्पष्ट संकेत मिलता है, कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, और जिन क्षेत्रों को चीन अपना प्रभुत्व-क्षेत्र मानता है, उनमे उसके प्रभाव को सीमित करने के इरादे से बनाए गए समूह से चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है।
‘क्वाड ग्रुपिंग’ क्या है?
यह, जापान, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया देशों का एक चतुष्पक्षीय सुरक्षा वार्ता संगठन है।
- इस समूह के सभी सदस्य राष्ट्र लोकतांत्रिक राष्ट्र होने साथ-साथ गैर-बाधित समुद्री व्यापार तथा सुरक्षा संबंधी हित साझा करते हैं।
- इस समूह को अक्सर “एशियाई” या “मिनी” नाटो कहा जाता है, और इसे भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैन्य और आर्थिक दबदबे के जबाब के रूप में देखा जाता है।
क्वाड समूह की उत्पत्ति:
क्वाड समूह की उत्पत्ति के सूत्र, वर्ष 2004 में आयी सुनामी के बाद राहत कार्यों के लिए चारो देशों द्वारा किए गए समन्वित प्रयासों में खोजे जा सकते हैं।
- इसके बाद, इन चारो देशों के मध्य वर्ष 2007 में हुए आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान पहली बार बैठक हुई।
- इसका उद्देश्य, जापान, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, चारो देशों के मध्य समुद्री सहयोग बढ़ाना था।
इस संगठन का महत्व:
- क्वाड (Quad) समान विचारधारा वाले देशों के लिए परस्पर सूचनाएं साझा करने तथा पारस्परिक हितों संबंधी परियोजनाओं पर सहयोग करने हेतु एक अवसर है।
- इसके सदस्य राष्ट्र एक खुले और मुक्त इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण को साझा करते हैं।
- यह भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के मध्य वार्ता के कई मंचों में से एक है तथा इसे किसी एक विशेष संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए।
हालिया प्रगति:
- ‘क्वाड’ द्वारा भारत-प्रशांत और इससे बाहर के क्षेत्रों में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ाने तथा इनके लिए उत्पन्न खतरों का मुकबला करने हेतु अंतरराष्ट्रीय कानूनों में निहित, एक स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने का संकल्प किया गया है।
- क्वाड वैक्सीन पार्टनरशिप: महामारी का मुकाबला करने के लिए टीकों तक “न्यायोचित” पहुंच सुनिश्चित करना।
- वर्ष 2020 में, सभी चार क्वाड देशों – जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका- ने मालाबार युध्याभ्यास में भाग लिया था। मालाबार युध्याभ्यास, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेनाओं के बीच एक वार्षिक त्रिपक्षीय नौसैनिक युध्याभ्यास है, जो हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- क्वाड – संरचना।
- यह पहली बार कब प्रस्तावित किया गया था?
- हिंद महासागर क्षेत्र में देश और महत्वपूर्ण द्वीप।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का भौगोलिक अवलोकन।
- इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्र और जलडमरूमध्य।
मेंस लिंक:
क्वाड का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और शांति बनाए रखना है। परीक्षण कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
इंटरपोल
(Interpol)
संदर्भ:
भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के खिलाफ इंटरपोल द्वारा ‘येलो नोटिस’ (Yellow Notice) जारी करने के बाद पड़ोसी देश डोमिनिक गणराज्य में पकड़ा गया है। मेहुल चोकसी, हाल ही में एंटीगुआ और बारबुडा से भाग गया था।
मेहुल चोकसी, वर्ष 2018 में नागरिकता हासिल करने के बाद एंटीगुआ और बारबुडा में रह रहा था। वह पंजाब नेशनल बैंक के ₹13,500 करोड़ के ऋण धोखाधड़ी में वांछित है।
(नोट: हमें इस लेख से इंटरपोल और उसके द्वारा जारी किए गए विभिन्न नोटिसों के बारे में जानने की जरूरत है; ज्यादा कुछ नहीं)।
‘इंटरपोल’ (Interpol) क्या है?
‘अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन’ (International Criminal Police Organisation– Interpol) अथवा ‘इंटरपोल’, 194 सदस्यीय अंतरसरकारी संगठन है।
- इसका मुख्यालय फ्राँस के ‘लियोन’ (Lyon) शहर में है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1923 में ‘अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग’ के रूप में की गई थी, और वर्ष 1956 से इसे ‘इंटरपोल’ कहा जाने लगा।
- भारत वर्ष 1949 में इस संगठन में शामिल हुआ था और इसके सबसे पुराने सदस्यों में से एक है।
इंटरपोल के घोषित वैश्विक पुलिसिंग लक्ष्य:
आतंकवाद का मुकाबला करना, दुनिया भर में सीमाओं की अखंडता को बढ़ावा देना, कमजोर समुदायों की सुरक्षा करना, लोगों और व्यवसायों के लिए एक सुरक्षित साइबर स्पेस प्रदान करना, अवैध बाजारों पर अंकुश लगाना, पर्यावरण सुरक्षा का समर्थन करना और वैश्विक समेकता को बढ़ावा देना।
‘इंटरपोल महासभा’ क्या है?
- ‘इंटरपोल महासभा’ (Interpol General Assembly), इंटरपोल का सर्वोच्च शासी निकाय है, और इसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
- यह कार्रवाईयों और नीतियों पर मतदान करने करने हेतु प्रतिवर्ष बैठक करती है। यह बैठक सत्र लगभग चार दिनों तक जारी रहता है।
- ‘इंटरपोल महासभा’ में सभी सदस्य देशों के एक या अधिक प्रतिनिधि अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं; ये प्रतिनिधि आम तौर पर, अपने देशों के कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुख होते हैं।
- ‘महासभा’ अपने शासी निकाय अर्थात ‘इंटरपोल कार्यकारी समिति’ के सदस्यों का चुनाव भी करती है। यह ‘कार्यकारी समिति’, “महासभा’ के सत्रों के बीच इंटरपोल के लिए मार्गदर्शन और दिशा प्रदान करती है”।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ कौन होते है?
- ‘इंटरपोल’ क्या है?
- इंटरपोल द्वारा जारी किये जाने वाले विभिन्न नोटिस
- इंटरपोल के अपराध कार्यक्रमों का अवलोकन
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के इस्तेमाल पर राष्ट्रीय मिशन
(National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants)
संदर्भ:
खेतों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान करने और ताप विद्युत उत्पादन के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए, विद्युत मंत्रालय द्वारा ‘कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के इस्तेमाल को लेकर एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on use of Biomass in coal based thermal power plants) स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
“ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के इस्तेमाल से जुड़े राष्ट्रीय मिशन” के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे;
- ताप विद्युत संयंत्रों से कार्बन न्यूट्रल बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा पाने के लिए को-फायरिंग (Co-Firing) के स्तर को वर्तमान 5 प्रतिशत से बढ़ाकर उच्च स्तर तक ले जाना।
- बायोमास गठ्ठों में सिलिका तथा क्षार तत्वों की अधिक मात्रा को संभालने के लिए बॉयलर डिजाइन में अनुसंधान एवं विकास (R&D) गतिविधियां शुरू करना।
- बायोमास गठ्ठों एवं कृषि अवशेषों की आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं को दूर करने और बिजली संयंत्रों तक इसके परिवहन की सुविधा प्रदान करना।
- बायोमास को-फायरिंग के संबंध में नियामक मुद्दों पर विचार करना।
कार्यान्वयन:
- मिशन में सचिव (विद्युत) की अध्यक्षता में एक संचालन समिति होगी जिसमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) आदि के प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारक शामिल होंगे।
- सीईए सदस्य (ताप) कार्यकारी समिति के अध्यक्ष होंगे। एनटीपीसी द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय मिशन में रसद और बुनियादी ढांचा सहायता प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाई जाएगी।
‘बायोमास को-फायरिंग’ क्या होती है?
बायोमास को-फायरिंग (Co-Firing), किसी बॉयलर के भीतर प्राकृतिक गैस और कोयले जैसे अन्य ईंधनों के साथ बायोमास पदार्थों के बराबर मात्रा में सम्मिश्रण और दहन को संदर्भित करती है। बायोमास को-फायरिंग से लागत और बुनियादी ढांचे में बिना को महत्वपूर्ण निवेश किए, ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रयुक्त होने वाले जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी और उत्सर्जन में कटौती होती है।
को-फायरिंग’ के लाभ:
- बायोमास को-फायरिंग, ऊर्जा उत्पादन हेतु जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी करने और इस प्रकार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करने के लिए एक आशाजनक तकनीक है।
- कोयला और बायोमास को-फायरिंग, लागू करने में आसान है, और वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) एवं अन्य प्रदूषकों (SOx, NOx) के उत्सर्जन को प्रभावी रूप कम करने के लिए जिम्मेदार है।
- इस नए ईंधन मिश्रण के लिए दहन आउटपुट को समायोजित करने के बाद, बायोमास को कोयले के साथ दहन करने पर बॉयलर की क्षमता में कोई कमी नहीं होती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
पराली जलाना क्या होता है? इसके क्या प्रभाव होते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- बायोमास को-फायरिंग क्या है?
- लाभ
- संबंधित मुद्दे
- पराली जलाने से उत्सर्जित होने वाली गैसें
मेंस लिंक:
बायोमास को-फायरिंग पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी।
सामान्य अध्ययन- IV
विषय: लोक प्रशासन में लोक/सिविल सेवा मूल्य और नैतिकता: स्थिति और समस्याएं; सरकारी और निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएँ और दुविधाएँ।
आईएमए द्वारा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय चिकित्सक संघ (Indian Medical Association- IMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोविड-19 टीकाकरण पर ‘गलत सूचना अभियान’ को रोकने के लिए मदद मांगी है, और एलोपैथी और एलोपैथिक डॉक्टरों पर बाबा रामदेव द्वारा कथित रूप से गलत टिप्पणी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
संबंधित प्रकरण:
हाल ही में, एक वीडियो में बाबा रामदेव ने दावा किया है, कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बावजूद 10,000 डॉक्टरों और कई लोगों की मौत हुई है। इस टिप्पणी को, टीकाकरण को जनता तक पहुचाने के प्रयासों को रोकने के लिए एक जानबूझकर उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है।
समय की मांग:
हमें चिकित्सा की सभी प्रणालियों, विशेष रूप से हमारी भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को स्वीकार करना चाहिए और उनकी प्रशंसा करनी चाहिए, क्योंकि प्रत्येक प्रणाली अपने तरीके से हमारी जनता की से मदद कर रही है। हालांकि, किसी को भी टीकाकरण के भय को फैलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
‘टीकाकरण’ क्या होता है?
टीकाकरण, किसी वायरस द्वारा भविष्य में फैलने वाले संक्रमण के मामले में, एंटीबॉडी और विशेष प्रतिरक्षा-प्रणाली कोशिकाओं को उत्प्रेरित और सक्रिय करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को अभ्यस्त करने की एक विधि होती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ‘एंटीबॉडी डिपेंडेंट एन्हांसमेंट’ (Antibody dependent enhancement- ADE) के बारे में सुना है?
स्रोत: द हिंदू
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(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
ढाका द्वारा लंका के साथ ‘मुद्रा विनिमय समझौता’
बांग्लादेश ने श्रीलंका के लिए 200 मिलियन डॉलर की ‘मुद्रा विनिमय’ (currency swap) सुविधा को मंजूरी दे दी है। इस प्रकार, बांग्लादेश इस वर्ष इस ‘द्वीपीय राष्ट्र’ को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता देने वाला पहला दक्षिण एशियाई देश बन गया है।
पृष्ठभूमि:
श्रीलंका के मुख्य विदेशी मुद्रा-अर्जक क्षेत्र – पर्यटन, वस्त्र और चाय निर्यात – महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए है, जिसकी वजह से देश ‘चुनौतीपूर्ण ऋण चुकौती समय-सूची’ को देखते हुए अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
‘मुद्रा विनिमय समझौता’ क्या होता है?
- मुद्रा विनिमय समझौता (Currency Swap Arrangement- CSA), दो मैत्रीपूर्ण संबधो वाले देशों के मध्य अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने की व्यवस्था होती है।
- इस के अनुसार, दोनों देश अमेरिकी डॉलर की तरह तीसरे देश की मुद्रा में लाए बिना, पूर्व निर्धारित विनिमय दरों पर आयात और निर्यात व्यापार हेतु भुगतान करते हैं।
- इस प्रकार के समझौतों में किसी तीसरे देश की मुद्रा को शामिल नहीं किया जाता है, जिससे विनिमय-भिन्नताओं के बारे में चिंता करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT)
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal- NCLT), भारत में, कंपनियों से संबंधित मुद्दों पर निर्णय देने वाली एक अर्ध-न्यायिक संस्था है।
- इसका गठन, कंपनी अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अनुसार 1 जून 2016 को किया गया था।
- इसका गठन, भारत में कंपनियों के दिवालियेपन और उनके समापन से संबंधित, न्यायमूर्ति एराडी समिति (Justice Eradi Committee) की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
- अपील: NCLT द्वारा लिए गए निर्णयों के खिलाफ ‘राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण’ (NCLAT) में अपील की जा सकती है। किसी कानूनी बिंदु पर, NCLAT के फैसलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है।
चर्चा का कारण:
हाल ही में, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के ऋणशोधन का आदेश दिया है।
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(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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