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केएसएम का उद्देश्य प्राचीन गुरु - शिष्य परम्परा पद्धति में "भारतीय को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना" है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर
संदर्भ:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है।
सूर्य मंदिर के बारे में:
- 13 वीं शताब्दी में निर्मित, कोणार्क मंदिर की परिकल्पना सूर्य देव के विशाल रथ के रूप में की गई है। 12 जोड़ी सूक्ष्मतापूर्वक अलंकृत पहियों वाले इस रथ के लिए सात घोड़े खींच रहे हैं।
- इसका निर्माण गंग वंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम द्वारा कराया गया था।
- इस मंदिर को, इसकी स्थापत्य महत्ता तथा प्रचुर एवं परिष्कृत मूर्तिकला के लिए वर्ष 1984 में यूनेस्को के ‘विश्व धरोहर स्थल’ में शामिल किया गया था।
- यह मंदिर, कलिंग वास्तुकला, विरासत, आकर्षक समुद्र तट और विशिष्ट प्राकृतिक सुंदरता का एक आदर्श मिश्रण है।
- यह भारत के राष्ट्रीय फ्रेमवर्क के अंतर्गत, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains– AMASR), 1958 तथा इसके नियमों (1959) द्वारा संरक्षित है।
- कोणार्क, ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज की तीसरी कड़ी है। इस स्वर्ण त्रिभुज की पहली कड़ी, जगन्नाथ पुरी तथा दूसरी कड़ी, भुवनेश्वर (ओडिशा की राजधानी) है।
- इस मंदिर को इसके गहरे रंग के कारण ‘ब्लैक पैगोडा’ के नाम से भी जाना जाता है और इसका उपयोग ओडिशा के प्राचीन नाविकों द्वारा एक नौवहन स्थल के रूप में किया जाता था। इसी प्रकार, पुरी के जगन्नाथ मंदिर को “सफेद पैगोडा” कहा जाता है।
- यह हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, और यहाँ हर साल फरवरी महीने के आसपास चंद्रभागा मेले के लिए इकट्ठा होते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में
- कलिंग वास्तुकला के बारे में
- चंद्रभागा मेले के बारे में
- किस मंदिर को सफेद पैगोडा के नाम से जाना जाता है?
मेंस लिंक:
कलिंग शैली की स्थापत्य कला पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
दिशा (महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों हेतु निर्दिष्ट विशेष न्यायालय) विधेयक, 2020
(Disha (Special Courts for Specified Offences against Women and Children) Bill)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने लोकसभा को सूचित करते हुए कहा है, कि आंध्र प्रदेश दिशा (महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों हेतु निर्दिष्ट विशेष न्यायालय) विधेयक, 2020 पर एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श शुरू किया जा चुका है।
यह विधेयक, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा दिए जाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
पृष्ठभूमि:
इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए राज्यपाल द्वारा आरक्षित किया गया था। राष्ट्रपति की सहमति के लिए, राज्यों से प्राप्त विधेयकों को नोडल मंत्रालयों / विभागों के परामर्श से संसाधित किया जाता है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं:
- विधेयक में, पर्याप्त निर्णायक साक्ष्य उपलब्ध होने वाले मामलों में सात दिनों के अंदर जांच पूरी करने और 14 कार्य दिवसों में सुनवाई करने की परिकल्पना की गयी है, साथ ही फैसले के लिए निर्धारित कुल समय को मौजूदा चार महीनों से घटाकर 21 दिन कर दिया गया है।
- इसमें, बच्चों के खिलाफ अन्य यौन अपराधों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है, और भारतीय दंड संहिता (IPC) में धारा 354 F और 354 G जोड़ी गईं है।
- महिलाओं को सोशल अथवा डिजिटल मीडिया के द्वारा उत्पीड़न करने संबंधी मामलों में, दोषी को पहले अपराध पर दो साल का कारावास तथा अगले इस प्रकार के अपराधों के लिए चार साल के कारावास का प्रावधान किया गया है। इसके लिए, भारतीय दंड संहिता, 1860 में एक नई धारा 354 E जोड़ी जाएगी।
- विधेयक के अनुसार, आंध्र प्रदेश सरकार, ‘महिला और बाल अपराधी रजिस्ट्री‘ के नाम से एक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर तैयार करेगी। यह रजिस्ट्री सार्वजनिक की जायेगी तथा कानून प्रवर्तन (law enforcement) एजेंसियों के लिए उपलब्ध होगी।
- सरकार, इन मामलों में शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष अदालतें गठित करेगी। ये अदालतें, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार, एसिड हमले, पीछा करने, हिंसा, महिलाओं का सोशल मीडिया उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और POCSO अधिनियम के तहत सभी मामलों सहित अपराधों के मामलों का निपटारा करेंगी।
- सरकार द्वारा महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों की जांच के लिए जिला स्तर पर विशेष पुलिस दल का गठन किया जाएगा, जिसका नेतृत्व डीएसपी रैंक का अधिकारी करेगा।
- सरकार, प्रत्येक विशेष अदालत के लिए एक विशेष सरकारी वकील भी नियुक्त करेगी।
प्रीलिम्स लिंक:
- राष्ट्रपति की सहमति के लिए राज्य के विधेयकों को आरक्षित करने संबंधी राज्यपाल की शक्तियां।
- इस संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
- POCSO अधिनियम के बारे में
- दिशा विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
मेंस लिंक:
आंध्रप्रदेश दिशा विधेयक के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- II
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
केंद्र द्वारा प्रदान की जा रही ‘अल्प’ पेंशनों में बढ़ोत्तरी का सुझाव
संदर्भ:
हाल ही में, ग्रामीण विकास पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा लोकसभा को अपनी रिपोर्ट सौंपी गई है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- रिपोर्ट में, केंद्र के लिए, निर्धन वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और विकलांग लोगों के लिए दी जाने वाली ‘अल्प’ पेंशन को बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme– NSAP) के अंतर्गत विभिन्न घटकों के तहत 200 रुपए से लेकर 500 रुपए प्रति माह की सहायता प्रदान की जा रही है, जोकि काफी कम है।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) के बारे में:
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है। यह योजना 15 अगस्त, 1995 को लागू की गयी थी।
- यह संविधान के अनुच्छेद 41 में नीति-निदेशक सिद्धांतों की पूर्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। (अनुच्छेद 41, राज्य के लिए अपनी आर्थिक सामर्थ्य और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने के, शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और निःशक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करने के लिए निर्देशित करता है।)
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य, बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों को सामाजिक पेंशन के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- कवरेज: इस कार्यक्रम के तहत, वर्तमान में, गरीबी रेखा (BPL) से नीचे के तीन करोड़ से अधिक लोगों को शामिल किया गया है, जिनमें लगभग 80 लाख विधवाएं, 10 लाख विकलांग और 2 करोड़ बुजुर्ग शामिल हैं।
वर्तमान में NSAP में पाँच योजनाएँ शामिल हैं:
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS)
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (IGNWPS)
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (IGNDPS)
- राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना NFBS)
- अन्नपूर्णा योजना
प्रीलिम्स लिंक:
- अन्नपूर्णा योजना के बारे में।
- NSAP के बारे में
- NSAP- पात्रता
- संविधान के अनुच्छेद 41 और 42
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
पर्यावरण नियामक के गठन में देरी पर सवाल
संदर्भ:
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने सरकार से, हरित मामलों से संबंधित स्वीकृतियों की निगरानी हेतु ‘स्वतंत्र पर्यावरण नियामक’ (Environmental Regulator) के गठन में देरी के कारण को स्पष्ट करने के लिए कहा है।
मामले की पृष्ठभूमि:
उच्चतम न्यायालय ने, जुलाई 2011 में, लाफार्ज उमियम माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, जिसे आमतौर पर ‘लाफार्ज माइनिंग केस‘ के रूप में जाना जाता है, मामले की सुनवाई के दौरान हरित मामलों से संबंधित मंजूरियों की स्वतंत्र निगरानी सुनिश्चित करने हेतु एक राष्ट्रीय पर्यावरण नियामक निकाय का गठन करने का आदेश दिया था।
प्रस्तावित ‘पर्यावरण नियामक’ के बारे में:
‘पर्यावरण नियामक’ का गठन ‘पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम’, 1986 के तहत किया जाएगा, और इसके कार्यालय अधिक से अधिक राज्यों में स्थापित किये जाएंगे।
कार्य:
- परियोजनाओं का स्वतंत्र, वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी मूल्यांकन करना तथा पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करना।
- पर्यावरणीय स्वीकृति में निर्धारित शर्तों के कार्यान्वयन की निगरानी करना और उल्लंघन करने वालो पर जुर्माना लगाना।
शक्तियां:
‘पर्यावरण नियामक’, राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के विधिवत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा।
‘स्वतंत्र नियामक’ की आवश्यकता:
- सुप्रीम कोर्ट की हरित पीठ लगभग दो दशकों से वन संबंधी मुद्दों का समाधान कर रही है।
- इस पीठ ने पर्यावरण एवं वन संबंधी मामलों में दी जाने वाली स्वीकृतियों की पद्धति में कई दिक्कते पाई हैं।
- शीर्ष अदालत की इस पीठ को, विकास परियोजनाओं के लिए वनभूमि उपयोग में परिवर्तन करने संबंधी सिफारिश करने वाले, त्रुटिपूर्ण ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन’ (Environment Impact Assessment- EIA) रिपोर्टों और वन सलाहकार समिति के गलत फैसलों से निपटना पड़ा है।
- हरित पीठ ने, ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन’ रिपोर्ट तैयार करने के तरीके और वन क्षेत्र की पहचान, सीमांकन और गैर-वन उपयोगों के लिए किये गए परिवर्तन में हितों का टकराव पाया है।
अदालत की नजर में, इसलिए, एक स्वतंत्र राष्ट्रीय नियामक, इस समस्या का उचित समाधान है।
प्रीलिम्स लिंक:
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के बारे में
- प्रस्तावित स्वतंत्र ‘पर्यावरण नियामक’
- ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन’ ( EIA) क्या है?
- लाफार्ज माइनिंग केस में निर्णय
मेंस लिंक:
स्वतंत्र पर्यावरण नियामक की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- IV
विषय: शासन व्यवस्था में ईमानदारीः लोक सेवा की अवधारणा; शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार।
सिद्दीपेट जिला कलेक्टर और राजस्व विभागीय अधिकारी (आरडीओ) को जेल की सजा
संदर्भ:
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने जिला कलेक्टर पी वेंकटरामी रेड्डी और विशेष डिप्टी कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) जयचंद्र रेड्डी को क्रमश: तीन और चार महीने की कैद की सजा सुनाई है।
अदालत ने कोमारवेल्ली मल्लन्ना सागर जलाशय के निर्माण के लिए किसानों को उनकी भूमि से बेदखल नहीं करने का एक अंतरिम आदेश जारी किया गया था। अदालत ने इन अधिकारियों को अपने आदेश की अवमानना करने और इसे लागू करने में विफल रहने के लिए दोषी पाया।
संबंधित प्रकरण:
याचिकाकर्ताओं ने अदालत में शिकायत की थी, कि उन्हें कलेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई परियोजना के हिस्से के रूप में, मल्लन्ना सागर जलाशय के निर्माण हेतु जबरन उनकी भूमि से बेदखल कर दिया गया और अदालत द्वारा आदेशों के बावजूद भूमि अधिग्रहण अधिनियम की शर्तों को पूरा नहीं किया गया।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
वायरस पासपोर्ट
- चीन द्वारा शुरू किया गया है।
- मूल रूप से, यह चीन के अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों हेतु एक ‘स्वास्थ्य प्रमाणपत्र’ कार्यक्रम है।
- इस डिजिटल प्रमाणपत्र में उपयोगकर्ता की टीकाकरण-स्थिति और उसके वायरस परीक्षण परिणामों का विवरण होता है।
- हालांकि यह प्रमाण पत्र चीन में आने तथा चीन से बाहर यात्रा करने के लिए मान्य है, किंतु वर्तमान में यह केवल चीनी नागरिकों द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध है तथा इसे अभी अनिवार्य नहीं किया गया है। चीनी यात्रियों के विदेश जाने पर, अन्य देशों में वहां के अधिकारियों द्वारा इसका उपयोग करने संबंधी कोई संकेत नहीं है।
सिंथेटिक एपर्चर राडार (SAR)
सिंथेटिक एपर्चर रडार (Synthetic Aperture Radar) अथवा SAR, आमतौर पर एक एयरबोर्न या स्पेसबोर्न साइड लुकिंग रडार सिस्टम होता है। यह जिस वायुयान अथवा अंतिरक्ष यान पर स्थापित होता है, उसके उड़ान पथ को एक अत्याधिक विशाल एंटीना के रूप में उपयोग करता है, तथा हाई- रिज़ॉल्यूशन के दूरसंवेदी बिम्ब प्रदान करता है।
चर्चा का कारण:
हाल ही में, इसरो ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के साथ, एक संयुक्त पृथ्वी निगरानी सैटेलाइट मिशन के लिए हाई- रिज़ॉल्यूशन छवियों का निर्माण करने में सक्षम सिंथेटिक एपर्चर रडार को विकसित कर लिया है। इस मिशन को 2022 में शुरू करने का लक्ष्य है।
संयुक्त युद्धाभ्यास ‘दस्तलिक’
(Joint Exercise Dustlik)
- भारतीय सेना और उजबेकिस्तान सेना के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘दस्तलिक’ का दूसरा संस्करण भारत में आयोजित किया जा रहा है।
- यह सैन्य अभ्यास, आतंकवाद विरोधी अभियानों पर आधारित है और इसका उद्देश्य दोनों देशों के मध्य सैन्य सहयोग बढ़ाना है।
सोशल मीडिया बोल्ड है।
सोशल मीडिया युवा है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल सोशल मीडिया एक जवाब से संतुष्ट नहीं है।
सोशल मीडिया में दिखती है ,
बड़ी तस्वीर सोशल मीडिया हर विवरण में रुचि रखता है।
सोशल मीडिया उत्सुक है।
सोशल मीडिया स्वतंत्र है।
सोशल मीडिया अपूरणीय है।
लेकिन कभी अप्रासंगिक नहीं।
सोशल मीडिया आप हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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