KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं !
kbs हर मुद्दे को उनकी स्थिर या सैद्धांतिक
पृष्ठभूमि से जोड़ता है। यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से
अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको
विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।
केएसएम का उद्देश्य प्राचीन गुरु - शिष्य परम्परा पद्धति में "भारतीय को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना" है।
‘सूर्य प्रभामंडल’
(What is Sun’s halo?)
संदर्भ:
हाल ही में, बेंगलुरु में एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली घटना – सूर्य के चारों ओर इंद्रधनुष के समान रचना का निर्माण- देखी गई। सूर्य के चारों ओर इस वृत्ताकार इंद्रधनुष को ‘सूर्य प्रभामंडल’ (Sun halo) के रूप में जाना जाता है।
‘सूर्य प्रभामंडल’ क्या होता है और यह किस प्रकार निर्मित होता है?
- सूर्य के चारों ओर दिखाई देने वाला प्रभामंडल एक 22–डिग्री का वलय है, जोकि श्वेत प्रकाश किरणों के ऊपरी स्तर के पक्षाभ मेघों (Cirrus Clouds) में उपस्थित बर्फ के क्रिस्टलों से होकर गुजरने पर प्रकाश का प्रकीर्णन होने के कारण दिखाई देता है, और इसी वजह से प्रभामंडल में इन्द्रधनुषी रंग दिखाई देते है।
- बादलों में लाखों छोटे बर्फ के क्रिस्टल मौजूद होते हैं, जिनसे होकर गुजरने पर प्रकाश का अपवर्तन, प्रकीर्णन तथा परावर्तन होता ही, और एक गोलाकार इंद्रधनुष वलय का आभास होता है।
- प्रभामंडल दिखाई देने के लिए, ये क्रिस्टल दृष्टि के अनुरूप, उन्मुख और अवस्थित होने चाहिए।
इसी तरह, चंद्र प्रभामंडल (Lunar Halos) क्या होता है?
चंद्रमा के चारों ओर देखे जाने वाले ‘चंद्र प्रभामंडल’ अधिकांशतः रंगहीन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का प्रकाश अर्थात चांदनी बहुत चमकदार नहीं होती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- सूर्य प्रभामंडल- अर्थ, लक्षण और कारण
- चंद्र प्रभामंडल
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन- II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
लक्षद्वीप में लागू किए गए मानकों को वापस लेने की मांग
संदर्भ:
लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल को, दिसंबर 2020 में उनकी नियुक्ति के बाद से ही, उनके द्वारा शुरू की गई नीतियों पर केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप तथा निकटवर्ती राज्य केरल के निवासियों तथा राजनेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
विवादास्पद नियम:
- ‘लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनिमयन’, (Lakshadweep Development Authority Regulation – LDAR) 2021 मसौदा- इसके तहत प्रशासक को, किसी नगर-योजना (Town Planning) अथवा किसी अन्य विकासात्मक कार्यों के लिए द्वीपवासियों को उनकी संपत्ति से बेदखल करने या स्थानांतरित करने की शक्ति प्रदान की गई है।
- जनवरी 2021 में, ‘असामाजिक गतिविधि निवारण अधिनियम’ (Prevention of Anti-Social Activities Act– PASA) लागू किया गया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को बिना किसी सार्वजनिक खुलासे के एक वर्ष तक हिरासत में रखा जा सकता है।
- पंचायत अधिसूचना (panchayat notification) मसौदा– इसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को पंचायत का सदस्य होने से अयोग्य घोषित किया गया है।
हाल ही में गठित ‘लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण’ (LDA) संबंधी मुद्दे:
- हाल ही में गठित लिए गए लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण (Lakshadweep Development Authority- LDA) को व्यापक शक्तियां दी गयी हैं, जिनके तहत भूमि-स्वामियों को बेदखल भी किया जा सकता है।
- इसे, व्यापक रूप से ‘रियल एस्टेट लॉबी’ द्वारा प्रेरित तथा द्वीपवासियों के हितों के खिलाफ प्रावधान के रूप में माना जा रहा है।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि इस कानून के द्वारा प्राधिकरण को व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं, जिनके तहत वह किसी भी क्षेत्र के लिए विकास योजनाएँ तैयार कर सकता है और लोगों को स्थानांतरित कर सकता है।
प्रशासक की नियुक्ति, भूमिका और महत्व:
प्रफुल्ल पटेल को दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का प्रशासक बनाया गया था।
- आमतौर पर, केवल आईएएस अधिकारियों को प्रशासक के पद पर नियुक्त करने की प्रथा है, किंतु पटेल को पूर्व-प्रथा से हटकर इस केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासक नियुक्त किया गया था।
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक का पद किसी भी केंद्र शासित प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि, प्रशासक पद पर नियुक्त व्यक्ति उस क्षेत्र के सभी कार्यों का प्रभारी बन जाता है और राष्ट्रपति की ओर से कार्य करता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत में केंद्र शासित प्रदेश
- इनका प्रशासन
- प्रशासकों की शक्तियाँ और कार्य
- राज्यसभा में केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व
मेंस लिंक:
भारत में केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
पशुजन्य-रोगों में होने वाली वृद्धि की जांच और कार्य-योजना तैयार करने हेतु WHO समिति
संदर्भ:
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने H5N1, एवियन इन्फ्लूएंजा, मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS), इबोला, जीका (Zika) और संभवत: नोवेल कोरोनावायरस रोग (COVID-19) जैसे पशुजन्य-रोगों अर्थात जूनोटिक रोगों (Zoonotic Diseases) के उद्भव और प्रसार का अध्ययन करने हेतु एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति ‘वन हेल्थ’ (One Health) का गठन किया गया है।
संदर्भ शर्ते:
- यह समिति भविष्य में, विशेषकर पशुजन्य (जूनोटिक) रोगों के कारण फैलने वाले प्रकोपों से बचने संबंधी उपायों के बारे में वैश्विक एजेंसियों को सलाह प्रदान करेगी।
- विशेषज्ञ समिति, इसके लिए एक निगरानी तंत्र तथा वैश्विक कार्य योजना भी विकसित करेगी।
पृष्ठभूमि:
जूनोटिक रोगों – जानवरों से मनुष्यों में संचारित होने वाला रोगजनक संक्रमण- के कारण अतीत में भी महामारी फ़ैल चुकी हैं। प्रत्येक चार संक्रामक रोगों में से तीन रोग ‘जूनोसिस’ अर्थात पशुजनित-बीमारियों के कारण होते हैं। विश्व के अधिकाँश वैज्ञानिकों द्वारा कोविड-19 महामारी को भी एक जूनोसिस (zoonosis) होने का संदेह व्यक्त किया गया है।
‘वन हेल्थ’ अवधारणा क्या है?
- वन हेल्थ इनिशिएटिव टास्क फोर्स द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, ‘वन हेल्थ’ (One Health), मनुष्यों, जानवरों और हमारे पर्यावरण के लिए सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर काम कर रही कई व्यवस्थाओं का सहयोगी प्रयास है।
- ‘वन हेल्थ मॉडल’, रोग नियंत्रण करने हेतु ‘अंतर्विषयक दृष्टिकोण’ (Interdisciplinary Approach) को आसान एवं सरल बनाता है, ताकि उभरने वाले और मौजूदा जूनोटिक रोगों संबंधी खतरों को नियंत्रित किया जा सके।
‘जूनोटिक रोग’ क्या होते हैं?
‘ज़ूनोसिस’ (Zoonosis) शब्द का प्रयोग, सर्वप्रथम वर्ष 1880 में रूडोल्फ विर्को (Rudolf Virchow) द्वारा मनुष्यों और जानवरों में फैलने वाली प्रकृति में एकसमान बीमारियों को सामूहिक रूप से व्यक्त करने के लिए किया गया था।
- वर्ष 1959 में WHO द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, ‘ज़ूनोसिस’, कशेरुकी जानवरों और मनुष्य के बीच स्वाभाविक रूप से संचरित होने वाले रोग और संक्रमण होते हैं।
- इन रोगों के रोगाणु, कोई बैक्टीरिया, वायरल या परजीवी अथवा कोई अन्य अपरंपरागत कारक के रूप में हो सकते हैं।
संबंधित चिंताएं:
सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या होने के साथ-साथ, कई प्रमुख जूनोटिक रोगों से, पशु-आधारित खाद्य पदार्थो के पर्याप्त उप्तादन पर भी असर पड़ता है, जिससे पशु-उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधा उत्पन्न होती हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- राष्ट्रीय जैव विविधता एवं मानव कल्याण मिशन के तहत ‘वन हेल्थ’ घटक।
- ज़ूनोटिक रोग बनाम वेक्टर-जनित रोग।
- ‘वन हेल्थ’ से संबंधित आम मुद्दे।
मेंस लिंक:
‘वन हेल्थ मॉडल’, महामारी विज्ञान, निदान और ज़ूनोटिक रोगों पर नियंत्रण हेतु अनुसंधान के लिए एक विश्व स्तर पर स्वीकृत मॉडल है। चर्चा कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
NGT द्वारा बन्नी के घास-मैदानों पर चरवाहों का अधिकार बरकरार
संदर्भ:
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT) द्वारा छह महीने के भीतर गुजरात के बन्नी घास-मैदानों (Banni grasslands) से सभी प्रकार का अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया दिया गया है।
- इसके साथ ही अधिकरण ने एक संयुक्त समिति को एक महीने में ‘कार्य-योजना’ तैयार करने का निर्देश दिया है।
- अदालत ने यह भी कहा है, कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 की धारा 3 के प्रावधानों के अनुसार, मालधारी समुदाय के लिए प्राप्त, सामुदायिक वनों के संरक्षण का अधिकार, यथावत रहेगा।
संबंधित प्रकरण:
मई, 2018 में, मालधारी समुदाय द्वारा पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील घास के मैदानों में व्यापक स्तर पर किए जा रहे अतिक्रमण के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था।
‘मालधारी’ कौन हैं?
- मालधारी (Maldharis) भारत के गुजरात राज्य में पाया जाने वाल एक आदिवासी चरवाहा समुदाय है।
- मालधारी समुदाय, इस क्षेत्र में पाई जाने वाली भैंसों की एक स्थानिक प्रजाति, ‘बन्नी भैंसों’ का प्रजनन कराते है। ये भैंसें कच्छ के उष्ण मौसम के अनुकूल होती हैं।
बन्नी घास-मैदानों के बारे में:
- बन्नी घास-मैदान या चारगाह भूमि 2,618 किलोमीटर में विस्तारित है, और यह गुजरात की कुल चारागाह भूमि का लगभग 45 प्रतिशत है।
- इन घास-मैदानों में 19 पंचायतों में संगठित 48 बस्तियां/गांव बसी हुई हैं, जिनकी कुल आबादी लगभग 40,000 है।
- बन्नी क्षेत्र में दो पारिस्थितिक तंत्र, आर्द्रभूमि और घास-मैदान परस्पर जुड़े हुए हैं।
- यह क्षेत्र वनस्पतियों और जीव प्रजातियों से समृद्ध है, और इसमें वनस्पतियों की 192 प्रजातियां, पक्षियों की 262 प्रजातियां, स्तनधारियों की कई प्रजातियां, सरीसृप और उभयचर पाए जाते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- बन्नी घास-मैदानों के बारे में।
- ‘मालधारी’ कौन हैं?
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के बारे में।
मेंस लिंक:
आरक्षित वन कौन से होते हैं? इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
सामान्य अध्ययन- IV
विषय: नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि
फंसे हुए श्रमिकों को भोजन तथा राशन उपलब्ध कराया जाए: उच्चतम न्यायालय
संदर्भ:
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने संपूर्ण देश में सभी राज्यों को फंसे हुए प्रवासी कामगारों को बिना किसी राशन-कार्ड के शुष्क राशन वितरित करने और उनके लिए सामुदायिक रसोई शुरू करने का आदेश दिया है।
- अदालत ने इसके लिए, केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ अथवा किसी अन्य वैकल्पिक योजना का उपयोग करने संबंधी निर्णय राज्यों के विवेक पर छोड़ा है। ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ वर्ष 2020 के मई और जून में प्रवासी श्रमिकों को शुष्क राशन देने के लिए शुरू की गई थी।
- शीर्ष अदालत की पीठ ने निर्देश दिया दिया है, कि प्रवासी श्रमिकों के लिए शुरू की जाने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं तथा सामुदायिक रसोई की जगहों के बारे में “व्यापक प्रचार” किया जाए, ताकि सभी जरूरतमंद व्यक्तियों को इसका पूरा लाभ मिल सके।
पृष्ठभूमि:
यह निर्देश, देश भर में प्रवासियों के समक्ष आने वाली समस्याओं के आलोक में शीर्ष अदालत द्वारा शुरू की गई एक स्वत: संज्ञान कार्यवाही के दौरान जारी किये गए हैं।
आवश्यकता:
हाल ही में, सरकार ने अदालत को सूचित करते हुए कहा था कि प्रवासी कामगारों की मदद के लिए नियंत्रण कक्ष खोले गए हैं। किंतु फंसे हुए प्रवासी कामगारों के लिए पका हुआ भोजन उपलब्ध कराना राज्यों की जिम्मेदारी है।
- अब असली मुद्दा यह है, कि इस तरह के उपायों में केवल खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले व्यक्तियों, अर्थात राशन-कार्ड धारकों को शामिल किया जा सकता है।
- जबकि, बड़े शहरों में काम के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटक रहे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के पास राशन कार्ड मिलने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
बेलारूस
बेलारूस (Belarus), पूर्वी यूरोप में एक स्थल-रुद्ध देश (landlocked country) है। इसकी सीमा, पूर्व और उत्तर पूर्व में रूस, दक्षिण में यूक्रेन, पश्चिम में पोलैंड और उत्तर पश्चिम में लिथुआनिया और लातविया से जुडी हुई है।
चर्चा का कारण:
हाल ही में, बेलारूस प्रशासन द्वारा ग्रीस से लिथुआनिया के लिए उड़ान भरने वाली एक वाणिज्यिक एयरलाइन को अपने क्षेत्र में उतरने के लिए विवश कर दिया। बताया जा रहा है, कि बेलारूस ने विमान पर सवार एक खिलाफत करने वाले पत्रकार को गिरफ्तार करने के लिए, विमान में बम होने के बहाने से उड़ान को रुकवाया था।
MCA21 संस्करण 3.0
हाल ही में, वित्त एवं कारपोरेट कार्य राज्य मंत्री द्वारा एमसीए 21 संस्करण 3.0 (MCA21 Version 3.0) अर्थात V3.0 के पहले चरण का शुभारम्भ किया गया।
एमसीए 21 क्या है?
MCA21 कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) की एक ई-गवर्नेंस पहल है जो भारत के कॉर्पोरेट संस्थाओं, पेशेवरों और नागरिकों के लिए MCA सेवाओं की आसान और सुरक्षित पहुँच को सक्षम बनाती है। यह भारत सरकार की पहली मिशन मोड ई-गवर्नेंस परियोजना है।
एमसीए21 3.0:
MCA21 V3 एक प्रौद्योगिकी-चालित अग्रगामी परियोजना है।
- इस परियोजना को, नियम-प्रवर्तन को सशक्त करने, व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ावा देने, उपयोगकर्ता-अनुभव को बढ़ाने और नियामकों के मध्य बाधारहित सहज एकीकरण और डेटा आदान-प्रदान की सुविधा के लिए परिकल्पित किया गया है।
- इस परियोजना में उन्नत विश्लेषिकी के लिए उच्च मापनीयता और क्षमताओं के साथ सूक्ष्म-सेवा तंत्र तैयार किया जाएगा।
- इसमें ई-निर्णय, ई-परामर्श और अनुपालन प्रबंधन के लिए अतिरिक्त मॉड्यूल भी शामिल होंगे।
शाही लीची
जीआई प्रमाणित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बिहार से शाही लीची की इस मौसम की पहली खेप हवाई मार्ग से ब्रिटेन को निर्यात की गई है।
- जरदालू आम, कतरनी चावल और मगही पान के बाद वर्ष 2018 में जीआई प्रमाणन प्राप्त करने वाला शाही लीची बिहार से चौथा कृषि उत्पाद था।
- चीन के बाद भारत विश्व में लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
युआन लोंगपिंग
चीन के प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक ‘युआन लोंगपिंग’ (Yuan Longping) का हाल ही में, 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। संकरित चावल (Hybrid Rice) संबंधी इनकी खोजों की वजह से चीन के लिए खाद्य सुरक्षा प्राप्त हुई और दुनिया भर में कृषि का स्वरूप बदल गया।
- ‘युआन लोंगपिंग’ को चीन में कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए “हाइब्रिड चावल के पिता” के रूप में माना जाता है।
- 1970 के दशक में, उन्होंने ‘नन-यू नंबर 2 (Nan-you No. 2) नामक पहला हाइब्रिड चावल युग्म विकसित किया था। इस प्रक्रिया के तहत दो भिन्न मूल-जनकों के संयुग्मन से उत्पन्न होने वाली संतति, अपने मूल जनकों की तुलना में तेजी से बढ़ती है, अधिक उपज देती है तथा बाहरी बाधाओं का बेहतर प्रतिरोध करती है।
- पूरे एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में पैदा होने वाले हाइब्रिड चावल के रूप में, दुनिया भर के किसानों ने उनकी तकनीकों से लाभ उठाया है।
- वर्ष 2004 में, उन्हें “उच्च उपज वाली संकर चावल किस्मों के प्रजनन के लिए आवश्यक आनुवंशिक सामग्री और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में उनकी सफलता की उपलब्धि” के लिए विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- वर्ष 2001 में उन्हें रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने एक पुरस्कार से सम्मानित किया।
सोशल मीडिया बोल्ड है।
सोशल मीडिया युवा है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल सोशल मीडिया एक जवाब से संतुष्ट नहीं है।
सोशल मीडिया में दिखती है ,
बड़ी तस्वीर सोशल मीडिया हर विवरण में रुचि रखता है।
सोशल मीडिया उत्सुक है।
सोशल मीडिया स्वतंत्र है।
सोशल मीडिया अपूरणीय है।
लेकिन कभी अप्रासंगिक नहीं। सोशल मीडिया आप हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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