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सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

  

खिलाड़ियों के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष


(Pandit Deendayal Upadhyay National Welfare Fund for Sportspersons)

संदर्भ:

युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (MYAS) ने कर्नाटक की वी तेजस्विनी बाई के लिए 2 लाख रुपये की सहायता राशि को मंजूरी दी है, उन्होंने साल 2011 में अर्जुन पुरस्कार जीता था।

  • तेजस्विनी, वर्ष 2010 तथा 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला कबड्डी टीम की सदस्य थीं।
  • मंत्रालय द्वारा, पूर्व अंतर्राष्ट्रीय एथलीटों एवं कोचों की मदद करने हेतु ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष’ (PDUNWFS) से इस वित्तीय सहायता के लिए मंजूरी दी गई है।

फंड के बारे में:

  • यह कोष, खेलों में देश का नाम गौरवान्वित करने करने वाले, तथा वर्तमान में दयनीय परिस्थितियों में रह रहे पूर्व उत्कृष्ट खिलाड़ियों की सहायता करने के उद्देश्य से मार्च, 1982 में स्थापित किया गया।
  • पूर्व उत्कृष्ट खिलाड़ियों को एकमुश्त अनुग्रह सहायता प्रदान करने हेतु मई, 2016 में इस योजना को संशोधित किया गया था।
  • इस संशोधन में पेंशन का प्रावधान समाप्त कर दिया गया था, क्योंकि मेधावी खिलाड़ियों के लिए पहले से ही एक पेंशन योजना विद्यमान है।

इस फंड का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:

  1. गरीबी में रह रहे उत्कृष्ट खिलाड़ियों को उपयुक्त सहायता प्रदान करना।
  2. प्रतियोगिताओं की तैयारी हेतु प्रशिक्षण के दौरान तथा प्रतियोगिताओं के दौरान घायल होने पर, चोट की प्रकृति के अनुसार, उत्कृष्ट खिलाड़ियों को उपयुक्त सहायता प्रदान करना।
  3. अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का नाम रोशन करने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों को, कठिन प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप या किसी अन्य कारणवश विकलांग होने पर उपयुक्त सहायता प्रदान करना तथा चिकित्सा उपचार में मदद करना है।
  4. दयनीय परिस्थितियों में रहने वाले खिलाड़ियों और उनके आश्रितों की परेशानियों को कम करने के लिए खिलाड़ियों के कल्याण हेतु निधि की धनराशि का उपयोग करना।
  5. किसी खिलाड़ी के लिए व्यक्तिगत रूप से या किसी समूह को ‘सक्रिय खिलाड़ी कोष’ की धनराशि का आवंटन एवं उपयोग करना।
  6. उपरोक्त उद्देश्यों के आनुषंगिक अन्य सभी कार्य करना।

प्रीलिम्स लिंक और मेंस लिंक:

‘खिलाड़ियों के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष’ योजना की मुख्य विशेषताएं, पात्रता और महत्व।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

कॉर्पोरेट ऋणों के लिए वैयक्तिक गारंटर उत्तरदायी होंगे: उच्चतम न्यायालय


संदर्भ:

नवंबर 2019 में जारी एक सरकारी अधिसूचना के द्वारा ऋणदाताओं, सामान्यतः वित्तीय संस्थानों और बैंकों को ‘भारतीय दिवालियापन और दिवाला संहिता’ (Indian Bankruptcy and Insolvency Code- IBC) के तहत निजी तौर पर गारंटी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी।

  • हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को बरकरार रखा है।
  • अदालत ने कहा है, कि निजी तौर पर गारंटी देने वालों और उनके कॉर्पोरेट देनदारों के बीच एक ‘आंतरिक संबंध’ होता है।

निहितार्थ:

शीर्ष अदालत का यह निर्णय, ऋणदाताओं को ‘वैयक्तिक गारंटरों’, जोकि आमतौर पर बड़े व्यापारिक घरानों के प्रमोटर या सहायक होते हैं, के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने हेतु सक्षम बनाएगा। इसके साथ ही, ऋणदाता, जिन तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए गारंटी दी गई थी, उन पर भी कार्यवाही कर सकेंगे।

दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC)  के बारे में:

  • IBC को वर्ष 2016 में अधिनियमित किया गया था, इसका उद्देश्य विफल व्यवसायों से संबधित निपटान कार्यवाहियों में तीव्रता लाना तथा आर्थिक सुधारों को प्रोत्साहन देना था।
  • यह संहिता, सभी वर्गों के ऋण-दाताओं तथा ऋण-कर्ताओं के लिए इन्सॉल्वेंसी- निपटान हेतु, मौजूदा विधायी ढांचे के प्रावधानों को समेकित करके एक मंच प्रदान करती है।

दिवाला प्रकिया निस्तारण सुविधा हेतु संहिता के अंतर्गत गठित संस्थाएं:

  1. ‘दिवाला पेशेवर’ (Insolvency Professionals): लाइसेंस प्राप्त दिवाला पेशेवरों का एक विशेष कैडर बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है। ये पेशेवर निस्तारण प्रक्रिया का प्रबंधन करेंगे, देनदार की संपत्ति का प्रबंधन करेंगे, और लेनदारों को निर्णय लेने में सहायता करने हेतु जानकारी प्रदान करेंगे।
  2. ‘पेशेवर दिवाला एजेंसियां’ (Insolvency Professional Agencies): दिवाला पेशेवरों को दिवाला पेशेवर एजेंसियों के साथ पंजीकृत किया जाएगा। एजेंसियां इन्सॉल्वेंसी पेशेवरों को प्रमाणित करने और उनके प्रदर्शन के लिए आचार संहिता लागू करने के लिए परीक्षाएं आयोजित करती हैं।
  3. सूचना सुविधाएँ (Information Utilities): लेनदार, अपने ऋण की वित्तीय जानकरी की रिपोर्ट करेंगे। इस तरह की जानकारी में ऋण, देयताओं तथा डिफ़ॉल्ट के रिकॉर्ड सम्मिलित होंगे।
  4. निर्णायक प्राधिकरण (Adjudicating authorities): कंपनियों के लिए निस्तारण प्रक्रिया की कार्यवाही पर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा न्यायनिर्णय किया जायेगा; तथा व्यक्तियों के लिए न्यायनिर्णय ऋण वसूली अधिकरण (DRT) द्वारा किया जायेगा।
  5. दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board): यह बोर्ड, संहिता के अंतर्गत इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स, इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल एजेंसियों और सूचना सुविधाएँ को विनियमित करेगा। बोर्ड में भारतीय रिज़र्व बैंक, वित्त, कॉर्पोरेट मामलों तथा कानून मंत्रालय के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. दिवाला और दिवालियापन क्या है?
  2. IBC कोड के तहत स्थापित विभिन्न संस्थाएं
  3. राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) – संरचना तथा कार्य
  4. ऋण वसूली न्यायाधिकरण क्या हैं?

मेंस लिंक:

दिवाला प्रक्रिया कार्यवाहीयों के निलंबन से कोविड -19 के प्रकोप से प्रभावित कंपनियों को किस प्रकार सहायता मिलेगी। चर्चा कीजिए

स्रोत: द हिंदू।

 

सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।

आरबीआई द्वारा सरकार को 99,122 करोड़ रुपये की अधिशेष राशि का अंतरण  


संदर्भ:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 31 मार्च को समाप्त हुए नौ महीने की लेखा अवधि के अधिशेष (सरप्लस) 99,122 करोड़ रुपयों का सरकार के लिए अंतरण (transfer) किया जाएगा।

केंद्रीय बैंक ने आकस्मिक जोखिम बफर को 5.5 प्रतिशत प्रति वर्ष पर बनाए रखने का भी निर्णय लिया है।

इस निर्णय का महत्व:

वर्तमान में देश कोरोनोवायरस की तीव्र दूसरी लहर से जूझ रहा है, जिसमे प्रतिदिन रिकॉर्ड स्तर पर संक्रमण और मौतों के मामले देखे जा रहे हैं। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस राशि के अंतरण से सरकार को वित्तीय मदद मिलेगी। वायरस संक्रमण की श्रंखला को तोड़ने के लिए लगाई गई पाबंदियों ने देश की आर्थिक रिकवरी पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।

इस संबंध में प्रावधान:

वर्ष 1934 में स्थापित भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), ‘भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम’ 1934 के अनुसार कार्य करती है। अधिनियम के अनुसार, केंद्रीय बैंक द्वारा अपने क्रिया कलापों से अर्जित होने वाले लाभ केंद्र सरकार के लिए सौंप दिए जाएंगे।

  • वित्त प्रबंधक के रूप में, आरबीआई, हर साल अपने अधिशेष या लाभ से सरकार की वित्तीय सहायता के लिए लाभांश भुगतान करता है।
  • आरक्षित निधि की पर्याप्तता और अधिशेष वितरण नीति की समीक्षा करने के लिए वर्ष 2013 में वाई एच मालेगाम की अध्यक्षता में गठित आरबीआई बोर्ड की एक तकनीकी समिति ने सरकार को अधिक राशि का अंतरण किए जाने संबंधी सिफारिश की थी।

आरबीआई की आय:

  • अपनी विदेशी मुद्रा आस्तियों पर अर्जित लाभ। ये लाभ अन्य केंद्रीय बैंकों के बांड और ट्रेजरी बिल या शीर्ष-स्तर की प्रमाणित प्रतिभूतियों, और अन्य केंद्रीय बैंकों के पास जमाओं के रूप में हो सकता है।
  • स्थानीय मुद्रा के सरकारी बांड या प्रतिभूतियों की अपनी जमाओं पर ब्याज, और बैंकों को अत्याल्प अवधि, जैसेकि रात भर के लिए, दिए जाने वाले ऋणों पर ब्याज।
  • राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की उधारी को संभालने के लिए प्रबंधन कमीशन।

आरबीआई का व्यय:

नोटों की छपाई और कर्मचारियों पर होने वाला व्यय।

इसके अलावा रिज़र्व बैंक, बैंकों के लिए देश भर में सरकार की ओर से लेनदेन करने हेतु तथा बैंकों और प्राथमिक डीलरों को इनमें से कुछ ऋणों का जोखिम-अंकन (underwriting) करने के लिए कमीशन देता है।

प्रारंभिक लिंक:

  1. आरबीआई के बारे में।
  2. अधिशेष का प्रबंधन।
  3. आरबीआई की आय और व्यय।

मेंस लिंक:

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को अधिशेष राशि हस्तांतरित किए जाने वाली प्रक्रिया पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।

डीआरडीओ कोविड-19 एंटीबॉडी डिटेक्शन किट


संदर्भ:

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एण्ड एलायड सांसेज (DIPAS) प्रयोगशाला के द्वारा ने डिपकोवन(Dipcovan) नामक एक कोविड-19 एंटीबॉडी डिटेक्शन किट विकसित की गई है।

डिपकोवनके बारे में:

  • ‘डिपकोवन’ (Dipcovan) किट, 97 प्रतिशत उच्च संवेदनशीलता और 99 प्रतिशत विनिर्दिष्‍टता के साथ SARS-CoV-2 वायरस की स्पाइक के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड (S&N) प्रोटीन दोनों का पता लगा सकती है।
  • इस किट की शेल्फ लाइफ 18 महीने है।
  • इसे, नई दिल्ली की कंपनी वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • एंटीबॉडी डिटेक्शन किट को अप्रैल 2021में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा अनुमोदित किया गया था।

एंटीबॉडी:

  • रोग-प्रतिकारक (एंटीबॉडी) को इम्युनोग्लोबुलिन (Immunoglobulin) भी कहा जाता है। यह किसी बाह्य पदार्थ, अर्थात एंटीजन (Antigen) के मौजूद होने की प्रतिक्रिया में प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा निर्मित होने वाले रक्षक प्रोटीन होते हैं।
  • एंटीजन को शरीर से बाहर निकालने हेतु, एंटीबॉडी इनकी पहचान करते हैं और इन पर हमला हमला करते हैं।

प्रारंभिक लिंक:

  1. आरटी-पीसीआर, रैपिड एंटीबॉडी और रैपिड एंटीजन टेस्ट के मध्य अंतर
  2. एंटीबॉडी क्या होते हैं?
  3. एंटीजन क्या होते हैं?
  4. शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किस प्रकार कार्य करती है?
  5. लिम्फोसाइट्स (lymphocytes) क्या हैं?
  6. इंसानों को प्रभावित करने वाले कोरोनावायरस के बारे में

मेंस लिंक:

रैपिड एंटीजन टेस्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

गोपनीयता नीति पर व्हाट्सएप और सरकार के मध्य द्वंद्व


संदर्भ:

सूचना एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय (IT Ministry) और व्हाट्सएप के मध्य, ‘अद्यतन गोपनीयता नीति’ (Updated Privacy Policy) के मुद्दे पर इस साल जनवरी से संवाद जारी है।

हाल ही में, मंत्रालय ने व्हाट्सएप को, एक बार फिर से, चेतावनी देते हुए गोपनीयता नीति संबंधी अपने नवीनतम अपडेट्स को वापस लेने को कहा है। इस बार, मंत्रालय ने 25 मई तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कानूनी कार्रवाई किए जाने की चेतावनी भी दी है।

‘गोपनीयता नीति’ की प्रमुख विशेषताएं:

  1. तीसरे पक्ष की सेवाओं के साथ जानकारी साझा करना: जब उपयोगकर्ता, तीसरे-पक्ष की सेवाओं या व्हाट्सएप सेवाओं के साथ एकीकृत फेसबुक कंपनी के अन्य उत्पादों पर यकीन करते हैं, तो उपयोगकर्ता तथा साझा करने वाले अन्य लोगों के बारे में उन तीसरे-पक्ष की सेवाओं को जानकारी हासिल हो सकती है।
  2. हार्डवेयर की जानकारी: व्हाट्सएप, उपयोगकर्ता के उपकरणों के बैटरी स्तर, सिग्नल शक्ति, ऐप संस्करण, ब्राउज़र जानकारी, मोबाइल नेटवर्क, कनेक्शन जानकारी (फोन नंबर, मोबाइल ऑपरेटर या आईएसपी सहित) आदि एकत्र करता है।
  3. अकाउंट डिलीट करना: यदि कोई उपयोगकर्ता, ऐप में दी गयी प्रक्रिया का उपयोग किए बिना अपने डिवाइस से व्हाट्सएप ऐप को हटा देता है, तो उस उपयोगकर्ता की जानकारी प्लेटफ़ॉर्म में संग्रहीत रहेगी।
  4. डेटा स्टोरेज: व्हाट्सएप कहता है कि वह फेसबुक की वैश्विक अवसंरचनाओं और डेटा केंद्रों का उपयोग करता है। यह भी कहा गया है कि कुछ मामलों में, उपयोगकर्ताओं के डेटा को संयुक्त राज्य अमेरिका अथवा जिन स्थानों पर फेसबुक की सहयोगी कंपनियां है, वहां स्थानांतरित किया जा सकता है।
  5. अवस्थिति: भले ही कोई उपयोगकर्ता अपनी अवस्थिति संबंधी सुविधाओं का उपयोग नहीं करता है, तो भी व्हाट्सएप उसकी सामान्य अवस्थिति (शहर, देश) का अनुमान लगाने के लिए आईपी पते और फोन नंबर क्षेत्र कोड जैसी अन्य जानकारी एकत्र करता है।
  6. भुगतान सेवा: व्हाट्सएप का कहना है कि अगर कोई भी उपयोगकर्ता अपनी भुगतान सेवाओं का उपयोग करता है तो वे आपके बारे में अतिरिक्त जानकारी संसाधित करेंगे, जिसमें भुगतान खाता और लेनदेन की जानकारी शामिल है।

संबंधित चिंताएँ तथा नई गोपनीयता नीति की आलोचना के कारण:

मंत्रालय ने दोहराया है, कि व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति में बदलाव और इसे लागू करने का तरीका भारतीय उपयोगकर्ताओं की अलंघनीय सूचनात्मक गोपनीयता संबंधी मूल्यों, डेटा सुरक्षा और उपयोगकर्ता की पसंद को क्षीण करते हैं।

  1. व्हाट्सएप की नई नीति, डेटा संरक्षण विधेयक, 2019’ को आधार प्रदान करने वाली ‘श्रीकृष्ण समिति’ की रिपोर्ट की सिफारिशों की अवहेलना करती है।
  2. डेटा स्थानीयकरण के सिद्धांत का उद्देश्य निजी डेटा का देश के बाहर हस्तांतरण पर रोक लगाना है, इससे व्हाट्सएप की नई गोपनीयता नीति के साथ विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  3. नई गोपनीयता नीति के लागू होने पर व्हाट्सएप किसी उपयोगकर्ता का मेटाडेटा भी साझा कर सकता है, अर्थात, वार्तालाप के मूल संदेशों के आलावा सबकुछ साझा किया जा सकता है।
  4. यदि उपयोगकर्त्ता व्हाट्सएप की अद्यतन गोपनीयता नीति से असहमत हैं, तो इस नई नीति लागू होने के बाद उनके पास व्हाट्सएप छोड़ना होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


न्यूयॉर्क का वैक्स एंड स्क्रैचकार्यक्रम

  • यह एक नया टीकाकरण कार्यक्रम है, इसके तहत राज्य द्वारा संचालित दस वेबसाइटों में से किसी एक से टीकाकरण कराने का विकल्प चुनने पर 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को मुफ्त लॉटरी टिकट प्रदान किया जाएगा।
  • ‘वैक्स एंड स्क्रैच’ कार्यक्रम के तहत, राज्य भर के खुदरा विक्रेताओं द्वारा $20 में बेचे जाने वाले लॉटरी टिकट 18 वर्ष से अधिक आयु वालों को निःशुल्क दिए जाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2021

  • प्रतिवर्ष 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (International Day for Biological Diversity) के रूप में मनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2021 का विषय: ‘हम समाधान का हिस्सा हैं’ (We’re part of the solution)।

पृष्ठभूमि:

  • ‘अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ मनाए जाने का संकल्प वर्ष 1992 में पारित किया गया था। इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1993 से हुई तथा वर्ष 2000 तक इसे प्रतिवर्ष 29 दिसंबर को मनाया जाता था। 29 दिसंबर को जैविक विविधता अभिसमय लागू हुआ था।
  • बाद में, ‘अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ को ‘रियो पृथ्वी शिखर सम्मलेन’ में अभिसमय को अपनाए जाने की तिथि, अर्थात 22 मई को मनाए जाने का निश्चय किया गया।

कलाक्षेत्र फाउंडेशन

  1. कलाक्षेत्र (Kalakshetra), जैसा कि नाम से पता चलता है,यह कलात्मक उपक्रमों का एक केंद्र है।
  2. यह, भारतीय कला और शिल्प में पारंपरिक मूल्यों, विशेष रूप से भरतनाट्यम नृत्य और गंधर्ववेद संगीत के क्षेत्र में, के संरक्षण हेतु समर्पित एक कला और सांस्कृतिक अकादमी है।
  3. इसकी स्थापना रुक्मिणी देवी अरुंडेल नाम की एक उद्यमी दूरदर्शी महिला द्वारा 1936 में की गयी।
  4. इस संस्थान की स्थापना का उद्देश्य एक ऐसे सपने को सच करना था जहां भारतीय परम्पराओं का सार कलात्मक शिक्षा के माध्यम से अभिव्यक्ति होगा।
  5. चेन्नई में स्थित, कलाक्षेत्र फाउंडेशन आज ललित कलाओं के अध्ययन और प्रदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
  6. वर्ष 1994 में, भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा ‘कलाक्षेत्र फाउंडेशन’ को “राष्ट्रीय महत्व के संस्थान” के रूप में मान्यता दी गई थी।

‘बाओ-धान (Bao-dhaan)

हाल ही में, असम में उत्पादित होने वाले ‘बाओ-धान’ की पहली खेप अमेरिका भेजी गई थी।

  • आयरन से भरपूर ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में किसी भी रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल के बिना उगाया जाता है।
  • चावल की इस किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो कि असमिया भोजन का एक अभिन्न अंग है।

सुंदरलाल बहुगुणा

हाल ही में, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और गांधीवादी सुंदरलाल बहुगुणा की मृत्यु हो गई।

  • वे, 1970 के दशक में हिमालय के जंगलों को बचाने के लिए शुरू किये गए ‘चिपको आंदोलन’ की शुरुआत करने वाले अग्रणी नायकों में से एक थे।
  • श्री बहुगुणा ने 1980 के दशक में हिमालय में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ अभियान का नेतृत्व भी किया था।
  • उन्होंने टिहरी बांध के निर्माण का जमकर विरोध किया और इसके खिलाफ दो बार लंबी भूख हड़ताल पर बैठे, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ। 
  • उन्होंने टिहरी गढ़वाल, जो उस समय उत्तर प्रदेश का हिस्सा था, में शराबबंदी लागू करने के लिए महिला समूहों, या महिला मंडलों के आंदोलन का नेतृत्व भी किया था।

 

सोशल मीडिया बोल्ड है।

 सोशल मीडिया युवा है।

 सोशल मीडिया पर उठे सवाल सोशल मीडिया एक जवाब से संतुष्ट नहीं है।

 सोशल मीडिया में दिखती है ,

बड़ी तस्वीर सोशल मीडिया हर विवरण में रुचि रखता है।

 सोशल मीडिया उत्सुक है।

 सोशल मीडिया स्वतंत्र है। 

 सोशल मीडिया अपूरणीय है। 

लेकिन कभी अप्रासंगिक नहीं। सोशल मीडिया आप हैं।

 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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