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शैक्षणिक विकास हेतु स्टार्स परियोजना
(STARS project to develop education)
संदर्भ:
राज्यों में शिक्षण, सीखने और परिणामोंको बेहतर बनाने की शिक्षा मंत्रालय की स्टार्स परियोजना (Strengthening Teaching-Learning and Results for States (STARS) project) के क्रियान्वयन को वित्तीय मदद प्रदान करने के लिए आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) और विश्व बैंक के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। स्टार्स परियोजना की कुल लागत 5718 करोड़ रुपए है।
‘स्टार्स’ (STARS) परियोजना के बारे में:
STARS का पूरा नाम (Strengthening Teaching-Learning and Results for States Program- STARS) है।
- STARS, छह भारतीय राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और शासन में सुधार करने हेतु विश्व बैंक समर्थित एक परियोजना है।
- स्टार्स परियोजना, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education- MOE) के तहत एक केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में लागू की जाएगी।
- परियोजना में सम्मिलित छह राज्य- हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान हैं।
- इस परियोजना से 1.5 मिलियन स्कूलों में 10 मिलियन शिक्षक और 250 मिलियन स्कूली छात्र लाभान्वित होंगे।
परियोजना के अंतर्गत सुधार:
- स्कूल सुधार की दिशा में स्थानीय स्तर पर विशिष्ट रूप से निर्मित उपायों के माध्यम से राज्य, जिला और उप जिला स्तरों पर शिक्षा सेवाओं के प्रतिपादन पर ध्यान केंद्रित करना।
- अध्ययन गुणवत्ता का आकलन करने हेतु बेहतर डेटा संग्रह करना;
- बृहत्तर जवाबदेही तथा समावेशन हेतु हितधारकों, विशेष रूप से माता-पिता की मांगों का समाधान करना;
- कमजोर वर्ग के छात्रों पर विशेष ध्यान देना।
- इन परिवर्तनों के प्रबंधन हेतु शिक्षकों को तैयार करना।
- भारत की मानव-पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों की शिक्षा पर निवेश करना, तथा इनका संज्ञानात्मक, सामाजिक-व्यवहार और भाषा कौशल विकास सुनिश्चित करना।
परियोजना के विशिष्ट घटक
आकस्मिकता आपातकालीन प्रतिक्रिया घटक (CERC):
स्टार्स परियोजना में राष्ट्रीय घटक के तहत आकस्मिकता, आपातकालीन प्रतिक्रिया घटक (Contingency Emergency Response Component– CERC) शामिल हैं जो इसे किसी प्राकृतिक, मानव निर्मित और स्वास्थ्य आपदाओं के लिए अधिक जवाबदेह बनाएंगे।
- ये स्कूल बंदी/ बुनियादी ढांचा हानि, अपर्याप्त सुविधाएं और रिमोर्ट लर्निंग में सहायता प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसी शिक्षण हानि को बढ़ावा देने वाली स्थितियों से निपटने में सरकार की मदद करेंगे।
- CERC घटक वित्त पोषण के त्वरित पुन:वर्गीकरण और सहज वित्तीय अनुरोध प्रकियाओं को सुव्यवस्थित करने में सहयोग करेगा।
परख (PARAKH):
परियोजना का एक प्रमुख घटक एक राष्ट्रीय आकलन केन्द्र ‘परख’ (Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development– PARAKH) की स्थापना करना है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत ‘परख’ एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्य करेगा तथा यह देश में सभी स्कूल बोर्डों के लिए छात्र आकलन तथा मूल्यांकन मानक निर्धारित करेगा। वर्तमान में अधिकांश स्कूल बोर्ड, राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करते हैं।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, यह राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर अध्ययन-परिणामों की निगरानी हेतु मानकीकृत परीक्षण के लिए दिशा-निर्देश देगा।
- STARS परियोजना के तहत शामिल राज्य
- विश्व बैंक और इसके वित्त पोषण के बारे में
- विश्व बैंक की संस्थाएँ
- विश्व बैंक समूह
- ओपन डेटा पहल क्या है?
- परख (PARAKH) क्या है?
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
म्यांमार में सेना द्वारा तख्तापलट
संदर्भ:
हाल ही में, म्यांमार के सेना ने नोबेल पुरस्कार विजेता ‘आंग सान सू की’ की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के खिलाफ तख्तापलट कर दिया है।
सेना का कहना है, कि नेताओं को ‘चुनावी धोखाधड़ी’ की प्रतिक्रिया स्वरूप हिरासत में लिए गया है।
सैन्य तख्तापलट का भारत के लिए निहितार्थ:
भारत के लिए, म्यांमार की सेना ‘तातमाडॉ’ (Tatmadaw) द्वारा सैन्य शासन की वापसी और आंग सान सू की तथा नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी (NLD) के राजनीतिक नेताओं की गिरफ्तारी, 30 साल पहले की घटनाओं का दोहराव है।
भारत की अगली प्रतिक्रिया:
भारत की प्रतिक्रिया इस बार अलग होने की संभावना है। भारत म्यांमार में लोकतंत्र की परवाह करता है और इसका महत्व जानते हुए भी वह सैन्य तख्तापलट का विरोध करने का जोखिम नहीं उठा सकता है। क्योंकि:
- म्यांमार की सेना के साथ भारत के सुरक्षा संबंध प्रगाढ़ हो चुके हैं, और भारत के लिए, उत्तर पूर्वी सीमाओं को विद्रोही समूहों से सुरक्षित करने में म्यांमार सेना की सहायता की जरूरत को देखते हुए ‘रिश्तों के पुल’ को जलाना मुश्किल होगा।
- ‘आंग सान सू की’ की छवि में बदलाव: लोकतंत्र की प्रतीक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता के रूप में सुश्री ‘सू की’ की छवि उनके कार्यकाल के दौरान काफी धूमिल हो चुकी है। वर्ष 2015 में अपने कार्यकाल में सुश्री ‘सू की’ सेना रखाइन राज्य में रोहिंग्या समुदाय पर नृशंसता करने से रोकने में विफल रहीं और उन्होंने इस मामले से सेना का बचाव भी किया था।
- चीन के लिए लाभ: अमेरिका की तरह भारत की कठोर प्रतिक्रिया से मुख्यतः चीन को लाभ होगा। अमेरिका ने, सेना द्वारा किये गए कब्जे को समाप्त नहीं करने पर, “तख्तापलट” के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी है।
- रणनीतिक चिंताओं के अलावा, भारत ने म्यांमार में कई अवसंरचना एवं विकास परियोजनाओं में निवेश किया है। भारत इन परियोजनाओं के लिए ‘आसियान देशों तथा पूर्व के प्रवेश द्वार’ के रूप में देखता है (उदाहरणार्थ: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान बहु-मोडल पारगमन परिवहन नेटवर्क, सीटवे डीप वाटर पोर्ट (Sittwe deep-water port) पर एक विशेष आर्थिक क्षेत्र परियोजना)।
- इसके अलावा, भारत के लिए अभी भी बांग्लादेश में पलायन करने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को सुलझाने में मदद करने की उम्मीद है, और इस विषय पर म्यांमार सरकार से वार्ता जारी रखना चाहेगा। भारत में भी कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों ने पलायन किया है।
म्यांमार का सैन्य संविधान:
म्यांमार में सेना द्वारा वर्ष 2008 में एक संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, और इसी वर्ष अप्रैल में इस पर संदेहास्पद जनमत संग्रह कराया गया था।
- यह संविधान, सेना द्वारा तैयार किया गया ‘लोकतंत्र का रोडमैप’ था, जिसे सेना ने पश्चिमी देशों के दबाव के कारण निर्मित किया था।
- इसके अलावा, सैन्य शासन के लिए यह अहसास भी हो चुका था कि म्यांमार को बाहरी दुनिया के लिए खोलना अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक गंभीर जरूरत भी है।
- लेकिन सेना ने संविधान में अपनी भूमिका और राष्ट्रीय मामलों में वर्चस्व को सुनिश्चित कर लिया था।
- संविधान के प्रावधानों के तहत, संसद के दोनों सदनों में 25 प्रतिशत सीटें सेना के लिए आरक्षित की गयी है, जिन पर सैन्य अधिकारियों को नामित किया जाता है।
साथ ही, एक प्रतिनिधि राजनीतिक दल का गठन किया गया जो सेना की ओर से चुनावों में भाग लेता है।
- म्यांमार के बारे में।
- इसका संविधान।
- भारतीय संविधान से तुलना।
पड़ोसी देशों के प्रति भारत की नीति पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सरकारी बजट।
‘केंद्रीय बजट’
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पहला पेपरलेस बजट पेश किया गया है।
‘बजट’ क्या होता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement– AFS) के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण होता है। इसके अतिरिक्त, बजट में निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं:
- राजस्व एवं पूंजीगत प्राप्तियों का अनुमान,
- राजस्व बढ़ाने के तरीके और साधन,
- व्यय का अनुमान,
- समापन वित्तीय वर्ष की वास्तविक प्राप्तियों और व्यय का विवरण और उस वर्ष में होने वाले घाटे अथवा अधिशेष के कारण, और
- आगामी वर्ष के लिए आर्थिक और वित्तीय नीति, अर्थात कराधान प्रस्ताव, राजस्व संभावनाएं, व्यय कार्यक्रम और नई योजनाओं / परियोजनाओं की शुरूआत।
बजट के मुखतः छह चरण होते है:
- बजट की प्रस्तुति
- सामान्य चर्चा
- विभागीय समितियों द्वारा जाँच
- अनुदान मांगों पर मतदान
- विनियोग विधेयक का पारित होना
- वित्त विधेयक पारित करना
नवीनतम केंद्रीय बजट में महत्वपूर्ण योजनाओं की सूची:
स्वास्थ्य और खुशहाली:
- प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना: 6 वर्षों में लगभग 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली एक नई केन्द्र प्रायोजित स्कीम ‘पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ का शुभारंभ किया जाएगा। इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता विकसित होगी, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थान मजबूत होंगे, और नये संस्थानों का सृजन होगा, जिससे नई और उभरती बीमारियों की पहचान एवं इलाज करने में आसानी होगी।
- ‘पोषण अभियान 2.0’: 112 आकांक्षात्मक जिलों में पोषण परिणामों में सुधार हेतु ‘पोषण अभियान 2.0’ शुरू किया जाएगा।
- जल जीवन (शहरी) मिशन: 2.86 करोड़ घरों में नल कनेक्शनों के साथ सभी 4378 शहरी स्थानीय निकायों में सार्वभौमिक जलापूर्ति के लिए जल जीवन मिशन (शहरी) का शुभारंभ किया जाएगा। इसे 87 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अगले पांच वर्षों में कार्यान्वित किया जाएगा।
- स्वैच्छिक वाहन स्क्रैप नीति: पुराने और अनुपयुक्त पाए जाने वाले वाहनों को चरणबद्ध ढंग से हटाने के लिए एक स्वैच्छिक वाहन स्क्रैप नीति की भी घोषणा की गई। निजी वाहनों के मामले में 20 साल बाद और वाणिज्यिक वाहनों के मामले में 15 साल बाद स्वचालित फिटनेस केन्द्रों में फिटनेस परीक्षण कराए जाने का प्रस्ताव किया गया है।
- न्यूमोकोकल वैक्सीन की उपलब्धता: भारत में तैयार ‘न्यूमोकोकल वैक्सीन’, जो मौजूदा समय में केवल पांच राज्यों तक ही सीमित है, को देश भर में उपलब्ध कराया जाएगा। इसका उद्देश्य हर वर्ष 50,000 बच्चों को मौत के मुंह में जाने से बचाना है।
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2. 0: 5 वर्षों (2021-2026) की अवधि में 1.41 लाख करोड़ रुपये के कुल वित्तीय आवंटन के साथ शहरी स्वच्छ भारत मिशन को कार्यान्वित किया जाएगा।
अवसरंचना:
- मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल पार्क– अगले तीन वर्षों में 7 टेक्सटाइल पार्क स्थापित किये जाएंगे।
- 20,000 करोड़ रुपये की लागत से विकास वित्त संस्थान (Development Finance Institution) स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- एक राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (national monetising pipeline) शुरू करने और प्रगति का अवलोकन करने हेतु एक डैशबोर्ड तैयार किया जाएगा।
- भारतीय रेलवे द्वारा भारत के लिए एक राष्ट्रीय रेल योजना – 2030 तैयार की गयी है। इस योजना को वर्ष 2030 तक ‘भविष्य के लिए तैयार’ रेलवे तंत्र सृजित करना है।
- सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं के विस्तार में आवश्यक सहयोग देने के लिए 18000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई योजना शुरू की जाएगी।
- टियर-2 शहरों और टियर-1 शहरों के आसपास के इलाकों में कम लागत में समान अनुभव, सुविधा और सुरक्षा से युक्त मेट्रो रेल प्रणालियां उपलब्ध कराने के लिए दो नई तकनीक ‘मेट्रोलाइट’ और ‘मेट्रोनियो’ लागू की जाएंगी।
- उपभोक्ताओं के लिए विद्युत् वितरण हेतु एक से अधिक वितरण कंपनी चुनने की अनुमति देने के लिए एक फ्रेमवर्क।
- हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन।
- बड़े बंदरगाह अपने दम पर अपनी परिचालन सेवाओं के प्रबंधन से एक ऐसा मॉडल बनने की ओर कदम बढ़ाएंगे, जहां एक निजी साझीदार उनकी तरफ से बंदरगाह का प्रबंधन करेगा।
- उज्ज्वला योजना का लाभ 8 करोड़ परिवारों को पहले ही मिल चुका है और अब 1 करोड़ अतिरिक्त लाभार्थियों तक इसका विस्तार किया जाएगा।
- अगले तीन वर्ष में शहरी गैस वितरण नेटवर्क में 100 अतिरिक्त शहरों को जोड़ा जाएगा।
- जम्मू व कश्मीर संघ शासित क्षेत्र में एक गैस पाइपलाइन परियोजना शुरू की जाएगी।
वित्तीय पूंजी:
- एकल प्रतिभूति बाजार संहिता (Single securities market code): सेबी अधिनियम, 1992, डिपॉजिटरीज अधिनियम, 1996, प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956 और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2007 के प्रावधानों को एकल प्रतिभूति बाजार संहिता में समेकित करने का प्रस्ताव किया है।
- इन्वेस्टर चार्टर: निवेशक सुरक्षा प्रदान करने हेतु सभी वित्तीय उत्पादों में निवेशकों के लिए एक निवेशक के अधिकार के रूप में निवेशक चार्टर लागू लिया जाएगा।
कृषि:
- ‘ऑपरेशन ग्रीन योजना’ के दायरे में अब 22 जल्दी सड़ने वाले उत्पाद शामिल किए जाएंगे।
- ई-नैम बाजार स्थान (E-NAM market place) के साथ 1,000 अतिरिक्त मंडियों को एकीकृत किया जाएगा।
- एपीएमसी को अपनी अवसंरचना सुविधाएं बढ़ाने के लिए कृषि अवसंरचना कोष उपलब्ध कराया जाएगा।
- मछली पकड़ने के 5 प्रमुख केन्द्रों – कोच्चि, चेन्निई, विशाखापतनम, पारादीप, और पेटुआघाट- को आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
- समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने के लिए तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क की स्थापना की जाएगी।
- पेट्रोल, डीजल, सेब और शराब जैसी चुनिंदा वस्तुओं पर कृषि अवसंरचना एवम् विकास उपकर (Agriculture Infrastructure and Development Cess– AIDC)
विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (National Research Foundation– NRF), एक छाता निकाय की घोषणा की गयी, जिसके तहत, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर मानविकी तक के कई विषयों पर शोध करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। NRF एक स्वायत्त निकाय होगा और इसमें सभी प्रमुख अनुसंधान और शिक्षा निकायों शामिल होंगे।
रक्षा:
केंद्रीय बजट में 15 वें वित्त आयोग की निम्नलिखित प्रमुख सिफारिशों को शामिल किया गया हैं:
- स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि।
- राज्यों के लिए उच्च ऋण सीमा।
- राज्यों द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली केंद्र-प्रायोजित योजनाओं अथवा सार्वजनिक कार्यक्रमों का समेकन किया जाना चाहिए, किंतु इनका वित्त पोषण मुख्यतः केंद्र सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
- केंद्र और राज्यों द्वारा साझा कोष के विभाज्य पूल से आवंटन करने के माध्यम से अथवा ‘उपकर’ के माध्यम से गैर-व्यपगत रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा निधि (non-lapsable defence and internal security fund) का निर्माण किया जाना चाहिए।
कराधान:
- स्टार्ट-अप्स कम्पनी की टैक्स में छूट की दावे की समयसीमा एक वर्ष और बढ़ाई गई।
- स्टार्ट-अप्स में निवेश करने पर पूंजीगत लाभ से छूट 31 मार्च, 2020 तक की गई।
- स्टार्टअप और नवाचार के लिए काम करने वालों को OPC की मंजूरी देते हुए एकल व्यक्ति कंपनी (one-person companies- OPCs) के निगमन को प्रोत्साहित किया जायेगा।
स्रोत: पीआईबी
विषय: सरकारी बजट।
वित्त वर्ष 2026 तक राजकोषीय घाटा 4.5% तक होने उम्मीद
संदर्भ:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8% रहने का अनुमान व्यक्त किया है तथा वित्तीय वर्ष 2025-26 तक इसके लिए 4.5% से नीचे लाने का लक्ष्य रखा है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए मूल रूप से राजकोषीय घाटा लक्ष्य 3.5% निर्धारित किया गया था। हालांकि, वास्तविक राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद के 9.5% के उच्च स्तर तक पहुँच गया। इसके निम्नलिखित कारण बताए गए हैं:
- कोविड-19 महामारी का प्रभाव।
- लॉकडाउन के कारण कम राजस्व संग्रह।
- समाज के कमजोर वर्गों को राहत प्रदान करने हेतु उच्च सरकारी वयय के साथ नकारात्मक आर्थिक विकास।
आगामी कदम:
वित्त मंत्री ने राजकोषीय समेकन रोडमैप में आवश्यक परिवर्तन करने के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management – FRBM) अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है।
‘राजकोषीय घाटा’ क्या होता है?
- ‘राजकोषीय घाटा’ (Fiscal Deficit), सरकार के गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों (Non-debt Capital Receipts– NDCR) सहित राजस्व प्राप्तियों तथा कुल व्यय के बीच का अंतर होता है।
- दूसरे शब्दों में, राजकोषीय घाटा “सरकार की कुल ऋण आवश्यकताओं को दर्शाता है” ।
उच्च राजकोषीय घाटे का प्रभाव:
अर्थव्यवस्था में, निवेश योग्य बचतों का सीमित पूल होता है। इन बचतों का उपयोग वित्तीय संस्थानों, जैसे कि बैंकों, द्वारा निजी व्यवसायों (लघु और बड़े, दोनों प्रकार के) और सरकारों (केंद्र और राज्य) को ऋण प्रदान करने हेतु किया जाता है।
- यदि राजकोषीय घाटे का अनुपात काफी अधिक होता है, तो इसका तात्पर्य है कि बाजार में, निजी उद्यमियों और व्यवसायों को ऋण प्रदान करने हेतु कम राशि बची है।
- बाजार में ऋण प्रदान करने हेतु कम राशि होने से, ऋण पर ब्याज दरें उच्च हो जाती हैं।
- उच्च राजकोषीय घाटे और उच्च ब्याज दरों का तात्पर्य यह भी होता है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को कम करने के प्रयास प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।
विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय घाटे का स्वीकार्य स्तर:
विकासशील अर्थव्यवस्था में निवेश करने हेतु प्रायः निजी उद्यमों की तुलना में सरकार बेहतर स्थिति में होती है, और विकसित अर्थव्यवस्था की तुलना में राजकोषीय घाटा अधिक हो सकता है।
- विकासशील अर्थव्यवस्था में सरकारों को राजस्व वृद्धि के पर्याप्त साधन नहीं होने पर भी सामाजिक और भौतिक अवसंरचनाओं पर अग्रिम निवेश करना पड़ता है।
- भारत में, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management – FRBM) अधिनियम के तहत, राजकोषीय घाटे में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लगभग 3 प्रतिशत तक की कमी एक आदर्श स्थिति बताई गयी है। दुर्भाग्य से, सरकारें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ रही हैं।
‘FRBM अधिनियम’ क्या है?
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management – FRBM), 2003, वित्तीय घाटे को कम करने के लिए वित्तीय विनियमन करता है।
FRBM अधिनियम के उद्देश्य:
- FRBM अधिनियम का उद्देश्य भारत की राजकोषीय प्रबंधन प्रणालियों में पारदर्शिता लाना है।
- अधिनियम का दीर्घकालिक उद्देश्य भारत में राजकोषीय स्थिरता प्राप्त करना और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारत में मुद्रास्फीति से निपटने के लिए लचीलापन प्रदान करना है।
- यह अधिनियम, भारत के ऋणों का अधिक न्यायसंगत वितरण करने के लिए लागू किया गया था।
FRBM अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं:
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM Act) के तहत, सरकार के लिए संसद में प्रतिवर्ष केंद्रीय बजट के साथ निम्नलिखित दस्तावेजों को प्रस्तुत करना अनिवार्य है:
- मध्यकालिक राजकोषीय नीति विवरण (Medium Term Fiscal Policy Statement)।
- वृहत् आर्थिक रूपरेखा विवरण (Macroeconomic Framework Statement)।
- राजकोषीय नीति कार्यनीति विवरण (Fiscal Policy Strategy Statement)।
- राजकोषीय घाटा क्या है?
- राजस्व घाटा क्या है?
- पूंजीगत बजट क्या है?
- प्रभावी राजस्व घाटा क्या है?
- FRBM अधिनियम क्या है?
स्रोत: पीआईबी
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
स्टारडस्ट 1.0: जैव ईंधन चालित पहला रॉकेट
संदर्भ:
31 जनवरी को ‘मेन (Maine)’, अमेरिका स्थित लोरिंग कॉमर्स सेंटर से स्टारडस्ट 1.0 प्रक्षेपित किया गया था।
- यह जैवईंधन चालित पहला वाणिज्यिक अंतरिक्ष प्रक्षेपण बन गया है। ये जैवईंधन, पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट ईंधन के विपरीत पर्यावरण के लिए अ-हानिकारक है।
- ‘स्टारडस्ट 0’ (Stardust 1.0), छात्रों एवं बजट पेलोड के लिए उपयुक्त एक प्रक्षेपण वाहन है।
‘जैवईंधन’ क्या होते हैं?
कोई भी हाइड्रोकार्बन ईंधन, जो किसी कार्बनिक पदार्थ (जीवित अथवा मृत पदार्थ) से कम समय (दिन, सप्ताह या महीने) में निर्मित होता है, जैव ईंधन (Biofuels) माना जाता है।
जैव ईंधन प्रकृति में ठोस, तरल या गैसीय हो सकते हैं।
- ठोस: लकड़ी, पौधों से प्राप्त सूखी हुई सामग्री, तथा खाद
- तरल: बायोएथेनॉल और बायोडीजल
- गैसीय: बायोगैस
- जैव ईंधन क्या है?
- जैव ईंधन का वर्गीकरण।
- जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति का अवलोकन।
- इथेनॉल क्या है? इसका उत्पादन कैसे होता है?
भारत के लिए जैव ईंधन के महत्व पर चर्चा करें? क्या जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति भारत को जैव ईंधन क्षमता को मुक्त करने में सहायक होगी? आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
कोलंबो में ‘ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल’ को विकसित करने में भारत की कोई भूमिका नहीं
श्रीलंका ने ‘ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल’ (ECT) पर किसी भी बाहरी देश के साथ किसी भी प्रकार के समझौते अथवा बेचने या पट्टे पर देने से इनकार किया है।
- श्रीलंका का यह कदम, भारत, जापान तथा श्रीलंका के मध्य किए गए ECT त्रिपक्षीय समझौते के खिलाफ है।
- श्रीलंका ने यह निर्णय, ECT परियोजना में किसी भी विदेशी भूमिका या निवेश के खिलाफ पोर्ट यूनियन के श्रमिकों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर लिया है। जबकि श्रीलंका का लगभग 70% पोतांतरण व्यापार भारत से जुड़ा हुआ है।
- श्रीलंका सरकार ने कहा है कि इसके स्थान पर वह भारत के लिए संभावित निवेश के लिए वेस्ट कंटेनर टर्मिनल की पेशकश करेगी।
लद्दाख में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना
- लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता मिलने के पश्चात, केंद्र सरकार ने लेह में एक नया केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया है।
- इस संबंध में सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालय लद्दाख विधेयक पेश करेगी।
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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