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KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं (या एक परीक्षक की कल्पना कर सकते हैं) kbs  हर मुद्दे को उनकी स्थिर या सैद्धांतिक पृष्ठभूमि से जोड़ता है। यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।

 

विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

केरल विधानसभा में अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव खारिज


संदर्भ:

हाल ही में, केरल विधानसभा ने पी. श्रीरामकृष्णन को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए विपक्षी पार्टियों द्वारा लाया गया प्रस्ताव खारिज कर दिया। विपक्षी दलों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष पर सोने की तस्करी मामले के उनकी भूमिका तथा विधानमंडल सचिवालय द्वारा विभिन्न गतिविधियों में अपव्यय को लेकर आरोप लगाए गए थे।

विधानसभा अध्यक्ष को पद से हटाया जाना:

संविधान के अनुच्छेद 179(c) के अंतर्गत प्रावधानों के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का पद धारित करने वाले किसी सदस्य को विधानसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकता है।

इस प्रयोजन के लिए कोई संकल्प प्रस्तावित करने के लिए, न्यूनतम चौदह दिन पूर्व सूचना देना अनिवार्य होता है।

संविधान के अनुच्छेद 181 के प्रावधानों के अधीन, विधानसभा अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव पर विचार करने हेतु अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष या अनुच्छेद 180 के उपखंड(2) में निर्दिष्ट किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा अध्यक्षता की जाती है।

 

  1. विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव
  2. कार्य
  3. शक्तियाँ
  4. पद से हटाया जाना
  5. पद से हटाए जाने के लिए आधार
  6. विधानसभा अध्यक्ष किन समितियों से जुड़ा होता है?

    विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका एवं कार्यों पर चर्चा कीजिए।

    स्रोत: द हिंदू 

 Principi contabili internazionali. Testo completo e integrato dei principi contabili IAS/IFRS e ...  

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

‘उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन’ योजना (PLI Scheme)


(Production-Linked Incentive Scheme)

संदर्भ:

उत्‍पादन संबद्ध प्रोत्‍साहन योजना (Production-Linked Incentive Scheme- PLI Scheme) के तहत आवश्यक प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (Key Starting MaterialsKSMs)/ मध्यवर्ती दवा सामग्री और सक्रिय दवा सामग्री (Active Pharmaceutical IngredientsAPIs) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मंजूरी प्रदान की गई है।

भारतीय दवा उद्योग

भारतीय फार्मा उद्योग कुल मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग है। अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों जैसी विकसित अर्थव्‍यवस्‍थाओं में इसकी अच्‍छी पैठ है। इसे किफायदी कीमतों वाली दवाओं विशेषकर जेनरिक दवाओं के उत्‍पादन के लिए जाना जाता है।

लेकिन आवश्‍यक कच्‍चे माल यानी बल्‍क ड्रग्‍स के लिए देश काफी हद तक आयात पर निर्भर है जिनका उपयोग दवाओं के उत्पादन में किया जाता है।

उत्‍पादन संबद्ध प्रोत्‍साहन योजना (PLI Scheme) के बारे में:

भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए, हाल ही में, सरकार द्वारा मोबाइल फोन, फार्मा उत्पादों और चिकित्सा उपकरण क्षेत्रों के लिए उत्‍पादन संबद्ध प्रोत्‍साहन (Production Linked Incentive- PLI) योजना की घोषणा की गयी थी।

  • 1 अप्रैल को, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के भाग के रूप में PLI योजना को अधिसूचित किया गया था।
  • इसके तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण में व्यापक निवेश को आकर्षित करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।

नवंबर माह में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात में वृद्धि करने हेतु 10 अन्य क्षेत्रों में उत्‍पादन संबद्ध प्रोत्‍साहन योजना (PLI Scheme) शुरू करने की स्वीकृति प्रदान की गयी थी।

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  1. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के तहत प्रमुख प्रस्ताव।
  2. ‘उत्‍पादन से संबद्ध प्रोत्‍साहन’ योजना- इसकी घोषणा कब की गई थी?
  3. इस योजना के तहत प्रोत्साहन राशि है?
  4. किस तरह के निवेश पर विचार किया जाएगा?
  5. योजना की अवधि
  6. इसे कौन कार्यान्वित करेगा?

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इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण के लिए ‘उत्‍पादन से संबद्ध प्रोत्‍साहन’ योजना क्या है? चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)


(Commission for Air Quality Management)

संदर्भ:

राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और उसके आसपास के इलाकों के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality ManagementCAQM) ने एक वेब और जीआईएस (GIS) के साथ-साथ मल्‍टी- मॉडल आधारित संचालन एवं नियोजन निर्णय सहायता टूल से युक्त एक ‘निर्णय सहायता प्रणाली’ (Decision Support System– DSS) स्‍थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

यह टूल विभिन्‍न स्रोतों से होने वाले उत्‍सर्जन के स्थिर और इधर-उधर फैलने वाले धूल कण, इत्‍यादि का पता लगाने में काफी मददगार साबित होगा।

‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ के बारे में:

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) का गठन अक्टूबर 2020 में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग अध्यादेश’, 2020 (‘Commission for Air Quality Management in National Capital Region and Adjoining Areas Ordinance’) के तहत किया गया था ।

संरचना:

आयोग की अध्यक्षता भारत सरकार के सचिव अथवा राज्य सरकार के मुख्य सचिव के रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी।

यह एक स्थायी निकाय होगा और इसमें 20 से अधिक सदस्य होंगे।

  • यह आयोग एक ‘वैधानिक प्राधिकरण’ होगा।
  • यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे निकायों का अधिक्रमण (Supersede) करेगा।
  • इस आयोग को वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर इन राज्य सरकारों को निर्देश जारी करने की शक्तियां प्राप्त होंगी।

अधिकार-क्षेत्र:

इस आयोग का वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के क्षेत्रों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) पर विशेष अधिकार क्षेत्र होगा, तथा यह संबंधित राज्य सरकारों तथा CPCB और ISRO के साथ कार्य करेगा।

आयोग की दंडात्मक शक्तियाँ:

आयोग के निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर, जैसे कि किसी प्रतिबंधित क्षेत्र में एक औद्योगिक इकाई की स्थापना करने पर, 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और 5 साल तक के कारावास की सजा होगी। 

  1. EPCA के बारे में
  2. NGT के बारे में
  3. CPCB के बारे में
  4. ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग अध्यादेश’, 2020 का अवलोकन

स्रोत: पीआईबी  


सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

पार्कर सोलर प्रोब


(Parker Solar Probe)

संदर्भ:

हाल ही में, पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) ने सूर्य के चारों ओर सातवीं बार सफल परिक्रमण पूरा किया है।

  • अभी तक पार्कर सोलर प्रोब के अलावा सूर्य की सतह के सर्वाधिक नजदीक कोई नहीं पहुंचा है। 17 जनवरी को पार्कर सोलर प्रोब 289,932 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरते हुए सूर्य की सतह से सिर्फ 4 मिलियन मील (13.5 मिलियन किलोमीटर) की दूरी से गुजरा है।
  • अपने सात साल के मिशन के दौरान, दो सालों में पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान, सूर्य की सतह से 4 मिलियन मील की दूरी पर परिभ्रमण करेगा।   parker_solar_probe 

    मिशन के बारे में:

  • नासा का ऐतिहासिक पार्कर सोलर प्रोब मिशन सूर्य के बारे में अब तक ज्ञात जानकारी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, जहाँ पर बदलती हुई परिस्थितियां, पृथ्वी तथा अन्य दुनियाओं को प्रभावित करती हुई संपूर्ण सौर प्रणाली में प्रसारित होती है।
  • पार्कर सोलर प्रोब, किसी भी अंतरिक्ष यान की तुलना में, अत्याधिक ताप एवं विकिरण का सामना करते हुए सूर्य की सतह से सर्वाधिक नजदीक से होकर सूर्य के वायुमंडल से गुजरेगा और अंततः मानवता के लिए तारे का अब तक सबसे निकटतम पर्यवेक्षण प्रदान करेगा।

पार्कर सोलर प्रोब की यात्रा:

  • सूर्य के वातावरण के रहस्यों को उजागर करने के क्रम में, पार्कर सोलर प्रोब लगभग सात वर्षों में सात परिभ्रमणों के दौरान शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करेगा तथा धीरे-धीरे अपनी कक्षा को सूर्य के नजदीक स्थापित करेगा।
  • पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान, सूर्य की सतह से 9 मिलियन मील की दूरी पर और बुध ग्रह की कक्षा के भीतर से से होकर सूर्य के वायुमंडल से गुजरेगा।

मिशन का लक्ष्य:

मिशन का प्रमुख वैज्ञानिक लक्ष्य यह पता लगाना है कि, उर्जा एवं ऊष्मा, सौर कोरोना से होकर किस प्रकार प्रवाहित होती है तथा सौर-हवाओं एवं सौर ऊर्जा कणों को गति प्रदान करने वाले कारक कौन से है?

पार्कर सोलर प्रोब के तीन विस्तृत वैज्ञानिक उद्देश्य हैं:

  1. सौर कोरोना और सौर हवा को गर्म करने और गति प्रदान करने वाली ऊर्जा के प्रवाह का पता लगाना।
  2. सौर हवा के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की संरचना और गतिशीलता का निर्धारण करना।
  3. ऊर्जा कणों को गति प्रदान करने और इनका परिवहन करने वाली प्रणाली का अन्वेषण करना।

कोरोना’ के अध्ययन का कारण:

कोरोना का तापमान, सूर्य की सतह से बहुत अधिक है। कोरोना, सौर प्रणाली में आवेशित कणों के निरंतर प्रवाह अर्थात सौर हवाओं को जन्म देता है। ये अप्रत्याशित सौर हवाएं हमारे ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी का कारण बनती हैं और पृथ्वी पर संचार तकनीक को नष्ट करने में सक्षम होती हैं। नासा को उम्मीद है कि इन निष्कर्षों से वैज्ञानिकों के लिए पृथ्वी के अंतरिक्ष वातावरण में होने वाले बदलाव का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलेगी।  

  1. पार्कर सोलर प्रोब के बारे में
  2. सोलर फ्लेयर्स क्या हैं?
  3. सूर्य का कोरोना              

    सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी के पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? चर्चा कीजिए।

     स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स  


      


    विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

    भारत द्वारा आर्कटिक में अनुसंधान एवं  पर्यटन विस्तार करने संबंधी प्रस्ताव


    संदर्भ:

    हाल ही में, भारत ने ‘आर्कटिक’ नीति का एक नया मसौदा तैयार किया है।

    भारत की सतत संबद्धता हेतु आर्कटिक नीति मसौदे के मुख्य पांच स्तंभ इस प्रकार हैं:

  4. विज्ञान और अनुसंधान
  5. आर्थिक और मानव विकास
  6. परिवहन और कनेक्टिविटी
  7. शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
  8. राष्ट्रीय क्षमता निर्माण

नीति की प्रमुख विशेषताएं:  


  • नई नीति के तहत, आर्कटिक क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान, ‘संधारणीय पर्यटन’ और खनिज तेल एवं गैस की खोज का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है।
  • नीति के मसौदे में, भारत के आर्कटिक मिशन लक्ष्यों, जैसे कि आर्कटिक और भारतीय मानसून के मध्य वैज्ञानिक और जलवायु-संबंधी संपर्कों को बेहतर ढंग से समझना आदि को शामिल किया गया है।
  • नीति में, ध्रुवीय अनुसंधान को तीसरे ध्रुव (हिमालय) के साथ सामंजस्य स्थापित करने और भारत में आर्कटिक के बारे में अध्ययन और जानकारी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
  • नीति में, आर्कटिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का जिम्मेदार अन्वेषण और आर्कटिक अवसंरचनाओं, जैसेकि ‘अपतटीय अन्वेषण / खनन, बंदरगाह, रेलवे और हवाई अड्डों’ में निवेश के किये अवसरों की पहचान करने की आवश्यकता जाहिर की गयी है।

आर्कटिक क्षेत्र:

  • आर्कटिक क्षेत्र के अंतर्गत, आर्कटिक महासागर तथा कनाडा, डेनमार्क (ग्रीनलैंड), नॉर्वे, रूस, अमेरिका (अलास्का), फिनलैंड, स्वीडन और आइसलैंड जैसे देशों के भाग सम्मिलित हैं।
  • ये देश, एक अंतरसरकारी फोरम, ‘आर्कटिक परिषद’ के मुख्य सदस्य हैं। इस क्षेत्र में लगभग चार मिलियन आबादी निवास करती है, जिसमे लगभग दस प्रतिशत स्थानीय / मूल निवासी हैं।

आर्कटिक में भारत के उपक्रम:

  • आर्कटिक में भारत का, अनुसंधान कार्यों के लिए समर्पित, ‘हिमाद्रि’ नामक एक अनुसंधान केंद्र है।
  • भारत को वर्ष 2013 में आर्कटिक परिषद में ‘पर्यवेक्षक’ देश का दर्जा प्रदान किया गया तथा। चीन सहित विश्व के कुल 13 देशों को ‘पर्यवेक्षक’ का दर्जा प्राप्त है। वर्ष 2018 में भारत के ‘पर्यवेक्षक दर्जे’ का नवीनीकरण किया गया था।

भारत के लिए आर्कटिक अध्ययन का महत्व:

  • हालाँकि भारत का कोई भी हिस्सा प्रत्यक्षतः आर्कटिक क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है, किंतु यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि आर्कटिक, पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र, वायुमंडल, समुद्रीय एवं जैव-रासायनिक चक्रों को प्रभावित करता है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण, इस क्षेत्र में समुद्रीय हिम तथा हिम छत्रक (ice caps) में कमी और समुद्रीय तापमान वृद्धि का सामना कर रहा है, जोकि वैश्विक जलवायु को प्रभावित करता है।
  • वैश्विक उष्मन के कारण शीत आर्कटिक से हिम की कमी होती जा रही है, जोकि भारतीय मानसून में विविधताओं के प्रमुख कारकों में से एक है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘हिमाद्रि’ के बारे में
  2. आर्कटिक और अंटार्कटिका में भारत के अनुसंधान केंद्र
  3. ‘आर्कटिक परिषद’ के बारे में
  4. भारत की आर्कटिक नीति मसौदे का अवलोकन

मेंस लिंक:

वैश्विक उष्मन के कारण शीत आर्कटिक से हिम की कमी, भारतीय मानसून में विविधताओं के प्रमुख कारकों में से एक है। चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू  


विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

नई व्हाट्सएप नीति और गोपनीयता संबंधी मुद्दे


संदर्भ:

हाल ही में, व्हाट्सएप द्वारा अपनी ‘निजता संबंधी नीतियों’ / प्राइवेसी पॉलिसी को अद्यतन किया गया है।

  • नई नीति के अनुसार, व्हाट्सएप अब अपने किसी भी उपयोगकर्ता से संबंधित जानकारियों को फेसबुक सहित अपने समूह की अन्य कंपनियों के साथ साझा कर सकता है।
  • इस नए अपडेट से इस एप्लिकेशन का उपयोग करने वाले लोगों की निजता के संबंध में गहरी चिंताएं उत्पन्न हो गयी हैं।

नीति की मुख्य विशेषताएं:

  • तीसरे पक्ष की सेवाओं के साथ जानकारी साझा करना: जब उपयोगकर्ता, तीसरे-पक्ष की सेवाओं या व्हाट्सएप सेवाओं के साथ एकीकृत फेसबुक कंपनी के अन्य उत्पादों पर यकीन करते हैं, तो उपयोगकर्ता तथा साझा करने वाले अन्य लोगों के बारे में उन तीसरे-पक्ष की सेवाओं को जानकारी हासिल हो सकती है।
  • हार्डवेयर की जानकारी: व्हाट्सएप, उपयोगकर्ता के उपकरणों के बैटरी स्तर, सिग्नल शक्ति, ऐप संस्करण, ब्राउज़र जानकारी, मोबाइल नेटवर्क, कनेक्शन जानकारी (फोन नंबर, मोबाइल ऑपरेटर या आईएसपी सहित) आदि एकत्र करता है।
  • अकाउंट डिलीट करना: यदि कोई उपयोगकर्ता, ऐप में दी गयी प्रक्रिया का उपयोग किए बिना अपने डिवाइस से व्हाट्सएप ऐप को हटा देता है, तो उस उपयोगकर्ता की जानकारी प्लेटफ़ॉर्म में संग्रहीत रहेगी।
  • डेटा स्टोरेज: व्हाट्सएप कहता है कि वह फेसबुक की वैश्विक अवसंरचनाओं और डेटा केंद्रों का उपयोग करता है। यह भी कहा गया है कि कुछ मामलों में, उपयोगकर्ताओं के डेटा को संयुक्त राज्य अमेरिका अथवा जिन स्थानों पर फेसबुक की सहयोगी कंपनियां है, वहां स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • अवस्थिति: भले ही कोई उपयोगकर्ता अपनी अवस्थिति संबंधी सुविधाओं का उपयोग नहीं करता है, तो भी व्हाट्सएप उसकी सामान्य अवस्थिति (शहर, देश) का अनुमान लगाने के लिए आईपी पते और फोन नंबर क्षेत्र कोड जैसी अन्य जानकारी एकत्र करता है।
  • भुगतान सेवा: व्हाट्सएप का कहना है कि अगर कोई भी उपयोगकर्ता अपनी भुगतान सेवाओं का उपयोग करता है तो वे आपके बारे में अतिरिक्त जानकारी संसाधित करेंगे, जिसमें भुगतान खाता और लेनदेन की जानकारी शामिल है।

संबंधित चिंताएँ:

  1. व्हाट्सएप की नई नीति, डेटा संरक्षण विधेयक, 2019’ को आधार प्रदान करने वाली ‘श्रीकृष्ण समिति’ की रिपोर्ट की सिफारिशों की अवहेलना करती है।
  2. डेटा स्थानीयकरण के सिद्धांत का उद्देश्य निजी डेटा का देश के बाहर हस्तांतरण पर रोक लगाना है, इससे व्हाट्सएप की नई गोपनीयता नीति के साथ विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  3. नई गोपनीयता नीति के लागू होने पर व्हाट्सएप किसी उपयोगकर्ता का मेटाडेटा भी साझा कर सकता है, अर्थात, वार्तालाप के मूल संदेशों के आलावा सबकुछ साझा किया जा सकता है।
  4. यदि उपयोगकर्त्ता व्हाट्सएप की अद्यतन गोपनीयता नीति से असहमत हैं, तो इस नई नीति लागू होने के बाद उनके पास व्हाट्सएप छोड़ना होगा।

निष्कर्ष:

के. पुत्तास्वामी मामले के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘निजता का अधिकार’ एक ‘मूल अधिकार’ है। व्हाट्सएप की नई गोपनीयता नीति ने भारत में डेटा सुरक्षा कानून की आवश्यकता को स्पष्ट कर दिया है।

स्रोत: द हिंदू 


विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

पाकिस्तान को FATF द्वारा ब्लैक लिस्ट किये जाने का जोखिम


संदर्भ:

पाकिस्तान के लिए अगले महीने ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (Financial Action Task Force- FATF)  की ‘ब्लैक लिस्ट’ में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि इसके द्वारा आतंकवादी संगठनों के लिए वित्तपोषण तथा पनाह देना, बंद नहीं किया गया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, जमात-उद-दावा (JuD) और जैश-ए-मुहम्मद (JeM) जैसे आतंकवादी संगठन पाकिस्तान में ‘दण्डमुक्ति’ (impunity) के साथ अपना कार्य-संचालन कर रहे हैं।

 ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (FATF) ्लैकलिस्ट:

यह, आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों का समर्थन करने वाले तथा इन गतिविधियों पर रोक लगाने वाले वैश्विक प्रावधानों के साथ सहयोग नहीं करने वाले देशों (Non-Cooperative Countries or Territories- NCCTs) की सूची है। 

पृष्ठभूमि:

पिछले वर्ष अक्टूबर में, FATF  द्वारा पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक ‘ग्रे-सूची’ में रखने का फैसला किया गया, तथा पाकिस्तान से रणनीतिक खामियों को दूर करने हेतु एक कार्य योजना लागू करने पर काम करने के लिए कहा गया था।

  • पाकिस्तान, जून 2018 से FATF की ‘ग्रे सूची’ में शामिल है और इसके लिए फरवरी 2020 में, उसी वर्ष जून माह तक 27 कार्रवाई बिंदुओं को पूरा करने के लिए अंतिम चेतावनी दी गई थी।
  • कोरोनावायरस फैलने के कारण, FATF ने अपनी पूर्ण बैठक में, पाकिस्तान के लिए दी गयी समय सीमा को जून से बढाकर सितंबर कर दिया था।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में:

FATF का गठन 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था। यह एक अंतर-सरकारी निकाय है।

  • सदस्य देश: फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) वर्त्तमान में 39 सदस्य सम्मिलित हैं। इसके सदस्य विश्व के अधिकांश वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें 2 क्षेत्रीय संगठन भी सम्मिलित हैं- गल्फ ऑफ कोऑपरेशन कौंसिल (GCC) तथा यूरोपियन कमीशन (EC)
  • यह एक ‘नीति-निर्माणक निकाय’ है जो विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर विधायी एवं नियामक सुधार करने हेतु आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने के लिए कार्य करता है।
  • इसका सचिवालय पेरिस में ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Economic Cooperation and Development- OECD) मुख्यालय में स्थित है।

भूमिका एवं कार्य:

  • शुरुआत में FATF को मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने संबंधी उपायों की जांच करने तथा इनका विकास करने के लिए स्थापित किया गया था।
  • अक्टूबर 2001 में, FATF द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने संबंधी प्रयासों को शामिल करने हेतु अपने अधिदेश का विस्तार किया गया।
  • अप्रैल 2012 में, इसके द्वारा सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार हेतु वित्तपोषण पर रोक लगाने को अपने प्रयासों में सम्मिलित किया गया।

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  1. जी-7, जी-8 तथा जी- 20 में अंतर
  2. ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट
  3. क्या FATF के निर्णय सदस्य देशों पर बाध्यकारी हैं?
  4. FATF का प्रमुख कौन है?
  5. इसका सचिवालय कहाँ है?      

    फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) का अधिदेश तथा उद्देश्य क्या हैं? भारत – पाकिस्तान संबंधों के लिए FATF के महत्व पर चर्चा कीजिए।

    स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स      


    प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


    “श्रमशक्ति” डिजिटल डेटा समाधान

  6. जनजातीय कार्य मंत्रालय और गोवा सरकार द्वारा संयुक्त रूप से “श्रमशक्ति” डिजिटल डेटा समाधान का शुभारंभ किया गया है।
  7. यह प्रवासी श्रमिकों के लिए, राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कार्यक्रमों के सुचारू संचालन हेतु एक राष्ट्रीय प्रवासन सहायता पोर्टल है।

स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वेपन

(Smart Anti Airfield Weapon)

  • हाल ही में, डीआरडीओ द्वारा स्‍वदेश में निर्मित स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वेपन (SAAW) का ओडिशा तट से कुछ दूर, हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) के हॉक-I विमान के जरिए, सफल ‘कैप्टिव एंड रिलीज’ उड़ान परीक्षण किया।
  • स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन एक 125 किलोग्राम श्रेणी का स्‍मार्ट हथियार है जो कि स्‍थल पर शत्रु की एयरफील्‍ड सम्‍पत्तियों जैसे रेडार, बंकर, टैक्‍सी ट्रैक और रनवे को 100 किलोमीटर की दूरी से निशाना बना सकता है।

मसाला बोर्ड

(Spices Board)

  • ‘मसाला बोर्ड’ (Spices Board), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन एक ‘निकाय’ है।
  • इसका गठन मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986 के तहत वर्ष 1987 में इलायची बोर्ड और मसाला निर्यात संवर्धन परिषद का विलय करके किया गया था।
  • मसाला बोर्ड, वाणिज्य मंत्रालय के अधीन काम करने वाले पांच कमोडिटी बोर्डों में से एक है।
  • यह एक स्वायत्त निकाय है जो 52 अधिसूचित मसालों के प्रचार तथा छोटी और बड़ी इलायची के विकास के लिए जिम्मेदार है।                  

    (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ) 

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