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भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

 


KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं (या एक परीक्षक की कल्पना कर सकते हैं) kbs  हर मुद्दे को उनकी स्थिर या सैद्धांतिक पृष्ठभूमि से जोड़ता है। यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।

 

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मार्शल आर्ट के चार स्वदेशी स्वरूप सम्मिलित


खेलो इंडिया यूथ गेम्स की शुरुआत वर्ष 2018 में 17 वर्ष तथा 21 वर्ष से कम आयु वर्ग के युवाओं के लिए जमीनी स्तर पर एक बहु-विषयक के कार्यक्रम के रूप में की गयी थी।

  • वार्षिक रूप से आयोजित किए जाने वाले खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों को अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं की तैयारी के लिए आठ वर्षों तक 5 लाख की वार्षिक छात्रवृत्ति दी जाती है।
  • हाल ही में, खेल मंत्रालय द्वारा मार्शल आर्ट के चार स्वदेशी स्वरूपों- केरल का कलारीपयट्टू, मध्य भारत का मल्लखंब, पंजाब का गदका तथा मणिपुर का थांग-ता– के लिए खेलो इंडिया यूथ गेम्स-(Khelo India Youth Games- KIYG) में शामिल किया गया है ।

मल्लखम्ब (Mallakhamba):

  • यह जिमनास्टिक का एक पारंपरिक स्वरूप है जिसे लकड़ी के खंभे (शीशम की लकड़ी से निर्मित एवं अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) से पॉलिश किया जाता है), एक बेंत अथवा रस्सी के साथ प्रदर्शित किया जाता है।
  • मध्य प्रदेश द्वारा वर्ष 2013 में मल्लखंभ को राज्य-खेल घोषित कर दिया गया। हालाँकि इसे वर्ष 1981 से ही एक प्रतिस्पर्धात्मक खेल के रूप में विकसित किया जा रहा था और इसी वर्ष पहली राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में इससे संबंधित नियम-कानून लागू किए गए थे।

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गदका (Gatka):

यह, 15वीं शताब्दी के दौरान पंजाब में विकसित हुई, लकड़ी की लाठियों से लड़ी जानी वाली युद्धकला की एक शैली है। इसके अनुष्ठानिक प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकर्ता ‘बाना और चोला’ धारण करते है, जबकि खेल के रूप में प्रदर्शन के दौरान खिलाड़ी सामान्यतः पाजामा और टी-शर्ट पहनते हैं।

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थांग ता (Thang-Ta):

  • यह एक मणिपुरी कला का स्वरूप है।
  • इसमें अनुष्ठान, प्रदर्शन और युद्ध कला का संयोजन होता है और इसमें विभिन्न प्रकार के नृत्य और योद्धिक अभ्यास शामिल होते हैं।

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कलारिपयट्टू (Kalaripayattu):

  • यह एक मार्शल आर्ट है जिसकी उत्पत्ति केरल में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी के दौरान एक युद्ध शैली के रूप में हुई थी।
  • कलारी शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख संगम साहित्य में मिलता है, जिसमे यह ‘युद्ध के मैदान’ और ‘मुठभेड़ क्षेत्र’ दोनों को वयक्त करता है।
  • इसके लिए अब तक ज्ञात सबसे पुरानी युद्ध प्रणाली में से एक माना जाता है।

प्रीलिम्स लिंक और मेंस लिंक:

केरल के कलारीपयट्टू, मध्य भारत के मल्लखंब, पंजाब के गदका तथा मणिपुर के थांग-ता की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू  


Principi contabili internazionali. Testo completo e integrato dei principi contabili IAS/IFRS e ...  


विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी की दया याचिका


संदर्भ:

हाल ही में, तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने उच्चतम न्यायालय को सूचित करते हुए कहा है, कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे एजी पेरारिवलन (AG Perarivalan) की दया याचिका पर चार सप्ताह के भीतर फैसला लिया जाएगा।

संबंधित प्रकरण:

हत्याकांड मामले में दोषी की दया याचिका 30 दिसंबर, 2015 से राज्यपाल के पास लंबित है।

संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल की गयी अपनी क्षमादान याचिका पर राज्यपाल की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने का हवाला देते हुए पेरारिवलन ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने हेतु उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाई है।

‘अनुच्छेद 161 क्या है?

संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत, किसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर उस राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश में निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति प्रदान की गयी है।

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अनुच्छेद 72 बनाम अनुच्छेद 161:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के अंर्तगत राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का विस्तार, अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से अधिक व्यापक है।

ये शक्ति निम्नलिखित दो प्रकार से भिन्न होती है:

  1. अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का विस्तार सजा कोर्ट मार्शल द्वारा प्रदान की गयी सजा अथवा दंड पर भी होता है, जबकि, अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल के लिए ऐसी कोई शक्ति प्रदान नहीं की गयी है।
  2. राष्ट्रपति को मृत्युदंड के सभी मामलों में क्षमा प्रदान करने की शक्ति प्राप्त है लेकिन राज्यपाल को प्राप्त क्षमादान शक्ति का विस्तार मृत्युदंड के मामलों पर नहीं है।

क्षमादान शक्ति का महत्व:

कार्यपालिका की क्षमादान शक्ति काफी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह न्यायपालिका द्वारा की गई त्रुटियों में सुधार करती है। इसके द्वारा अभियुक्त के अपराध या निर्दोषता पर विचार किए बगैर उसे दोषसिद्धि किए जाने संबंधी प्रभाव को समाप्त किया जाता है।

  1. क्षमादान शक्ति, न्यायपालिका की त्रुटि अथवा संदेहात्मक दोषसिद्धि के मामले में किसी निर्दोष व्यक्ति को दंडित होने से बचाने में काफी सहायक होती है।
  2. क्षमादान शक्ति का उद्देश्य न्यायिक त्रुटियों को ठीक करना है। क्योंकि कोई भी न्यायिक प्रशासन संबंधी मानव प्रणाली खामियों से मुक्त नहीं हो सकती है।    


  1. अनुच्छेद 161 के बारे में
  2. अनुच्छेद 72
  3. राष्ट्रपति बनाम राज्यपालों की क्षमादान शक्ति
  4. क्षमादान संबंधी विषयों पर राज्यपाल को कैबिनेट की सलाह
    1. न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप- न्यायिक समीक्षा 

      राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों पर एक टिप्पणी लिखिए।

      स्रोत: द हिंदू  

      विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

       

      अमेरिका द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन को फिर से सहायता जारी


      संदर्भ:

      अमेरिका द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए फिर से वित्तीय सहायता शुरू कर दी गई है। राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की नीति अपनाई जा रही है।

      पृष्ठभूमि:

      पिछले वर्ष, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए अमेरिका द्वारा प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता को स्थगित कर दिया था। कोरोनोवायरस महामारी के दौरान ट्रम्प ने WHO पर चीन-केंद्रित होने का आरोप लगाया था।

      संयुक्त राज्य अमेरिका WHO के लिए सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।

      WHO का वित्त पोषण

      विश्व स्वास्थ्य संगठन को चार प्रकार से वित्त प्राप्त होता है:

      1. निर्धारित योगदान (Assessed contributions): इसके अंतर्गत संगठन के प्रत्येक सदस्य को सदस्यता राशि के रूप में एक निश्चित राशि का भुगतान करना होता है। प्रत्येक सदस्य देश द्वारा किए जाने वाले भुगतान की गणना देश के धन और जनसंख्या के सापेक्ष की जाती है।
      2. स्वैच्छिक योगदान (Voluntary contributions): इसके अंतर्गत सदस्य देशों (उनके निर्धारित योगदान के अतिरिक्त) तथा अन्य भागीदारों से अनुदान दिया जाता है।
      3. कोर स्वैच्छिक योगदान (Core voluntary contributions): इसके तहत कम वित्त पोषित कार्यक्रमों को वित्त की कमी के कारण वाधित होने पर सुचारू ररूप से संचालित करने के लिए फंडिंग की जाती है।
      4. इंफ्लूएंजा महामारी से निपटने हेतु योगदान (Pandemic Influenza Preparedness- PIP): इसे संभावित महामारी के दौरान विकासशील देशों की वैक्सीन तथा अन्य सामग्री की आपूर्ति को सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2011 से आरम्भ किया गया है।

      WHO का वर्तमान वित्त-पोषण प्रारूप:

      वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के अनुसार, WHO के लिए  लगभग $ 5.62 बिलियन का कुल योगदान प्राप्त हुआ था, जिसमें निर्धारित योगदान के तहत 956 मिलियन डॉलर, निर्दिष्ट स्वैच्छिक योगदान के तहत $ 4.38 बिलियन, कोर स्वैच्छिक योगदान के तहत $ 160 मिलियन, और इंफ्लूएंजा महामारी से निपटने हेतु योगदान (PIP) के तहत $ 178 मिलियन प्राप्त हुआ। 

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      1. WHO का प्रशासन
      2. WHO में योगदान के प्रकार
      3. सबसे बड़ा योगदानकर्ता
      4. विश्व स्वास्थ्य दिवस का महत्व  

        विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में WHO की भूमिका पर चर्चा कीजिए।

        स्रोत: द हिंदू   



        विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

        अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में ताइवान के लिए आमंत्रण


        संदर्भ:

        अमेरिका में ताइवान के तथ्यत: राजदूत (de facto Ambassador) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के शपथग्रहण समारोह में औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया था।

        ताइपे के विदेश मंत्रालय ने कहा कि कई दशकों में पहली बार किसी ताइवानी राजदूत को उद्घाटन समिति (Inauguration Committee) द्वारा “आमंत्रित” किया गया है।

        चीन- ताइवान संबंध: पृष्ठभूमि

        चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीति के जरिए ताइवान पर अपना दावा करता है। सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के संस्थापक माओत्से तुंग ने पूरे चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक ताइवान द्वीप पर भाग गए। इसके बाद से ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ ने ताइवान को बीजिंग के अधीन लाने, जरूरत पड़ने पर बल-प्रयोग करने का भी प्रण लिया हुआ है।

      5. चीन, ताइवान का शीर्ष व्यापार भागीदार है। वर्ष 2018 के दौरान दोनों देशों के मध्य 226 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार हुआ था।
      6. हालांकि, ताइवान एक स्वशासित देश है और वास्तविक रूप से स्वतंत्र है, लेकिन इसने कभी भी औपचारिक रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की है।
      7. एक देश, दो प्रणाली” (one country, two systems) सूत्र के तहत, ताइवान, अपने मामलों को खुद संचालित करता है; हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यवस्था का उपयोग किया जाता है।
      8. ताइवान, विभिन्न नामों से विश्व व्यापार संगठन, एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग और एशियाई विकास बैंक का सदस्य है।

      भारत-ताइवान संबंध

      • यद्यपि भारत-ताइवान के मध्य औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, फिर भी ताइवान और भारत विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग कर रहे हैं।
      • भारत ने वर्ष 2010 से चीन की ‘वन चाइना’ नीति का समर्थन करने से इनकार कर दिया है।

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      1. ताइवान की अवस्थिति और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि।
      1. वन चाइना नीति के तहत चीन द्वारा प्रशासित क्षेत्र।
      2. क्या ताइवान का WHO और संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व किया गया है?
      3. दक्षिण चीन सागर में स्थित देश।
      4. कुइंग राजवंश (Qing dynasty)।

        भारत- ताइवान द्विपक्षीय संबंधों पर एक टिप्पणी लिखिए।

        स्रोत: द हिंदू

         


        सामान्य अध्ययन- III


         

        विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

        V-आकार की आर्थिक बहाली में नीतिओं को सुगम बनाने की संभावना


        संदर्भ:

        V-आकार की आर्थिक बहाली की भविष्यवाणी करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि यदि विकास की गति जारी रहती है और मुद्रास्फीति अनुकूल रहती है, तो आर्थिक वृद्धि में सहयोग करने के लिए नीतिगत-कार्रवाई की जा सकती है।

        रिजर्व बैंक का यह व्यक्तव्य ऐसे समय आया है जब केंद्रीय बैंक द्वारा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आर्थिक संकट से उबरने के लिए प्रवाहित किये गए अधिशेष को वापस लेकर मुद्रा बाजार में तरलता को ‘सामान्य’ करना शुरू कर दिया गया है।

        आर्थिक बहाली के आकार (Shapes)

        जेड-आकार की बहाली (Z-shaped recovery): सबसे आशावादी परिदृश्य होता है जिसमें अर्थव्यवस्था में गिरने के बाद तेजी से वृद्धि होती है। Z- शेप चार्ट, सामान्य पृवत्ति में आने से पहले अर्थव्यवस्था में पूर्व स्थिति पर तेजी से पहुचने का प्रयास दर्शाता है (जैसे, लॉकडाउन हटाए जाने के बाद भरपाई में की गयी खरीददारी)।

        Z-Shaped_Recovery

        V-आकार की बहाली: में अर्थव्यवस्था तीव्रता से पूर्व स्थिति को प्राप्त करती है और सामान्य विकास की प्रवृत्ति-रेखा पर वापस आ जाती है।

        V-Shaped_Recovery

        U-आकार की बहाली: में ऐसा परिदृश्य होता है जिसमें अर्थव्यवस्था, गिरने, संघर्ष करने और कुछ अवधि के लिए कम विकास दर के बाद, धीरे-धीरे सामान्य स्तर तक वृद्धि करती है। 


        U-Shaped_Recovery  


        W-आकार की बहाली: जोखिम युक्त होती है – इसमें विकास दर में कमी तथा वृद्धि होती है, तथा फिर गिरती है और पुनः वृद्धि करती है, इस प्रकार, इसमें डब्ल्यू-आकार का चार्ट बनता है।

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        L- आकार की रिकवरी: सबसे खराब स्थिति होती है, जिसमें अर्थव्यवस्था में गिरावट के बाद विकास निम्न स्तर पर रुक जाता है और लंबे समय तक ठीक नहीं होता है।

        L-Shaped_Recovery

        J-आकार की बहाली: में कुछ हद तक अवास्तविक परिदृश्य होता है, इसमें निम्न स्तर पर पहुचने के बाद तीव्रता से सामान्य स्तर से आगे तक वृद्धि की प्रवृत्ति होती हैं।

        other_shapes


      5. उपरोक्त उल्लिखित विभिन्न वक्रों का संक्षिप्त अवलोकन कीजिए।

      स्रोत: द हिंदू

       

      विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

       

      फेसबुक अधिकारी के लिए ‘चुप रहने का अधिकार’


      संदर्भ:

      फेसबुक इंडिया के प्रमुख अजीत मोहन ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बताया है, कि दिल्ली विधानसभा की ‘शांति एवं सद्भाव समिति’ (Peace and Harmony Committee) द्वारा उनके लिए जारी किया गया सम्मन राजनीति से प्रेरित हैं। ज्ञातव्य है, कि ‘शांति एवं सद्भाव समिति’ द्वारा फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों की जांच की जा रही है।

      संबंधित प्रकरण:

      ‘मौन रहने के अपने अधिकार’ का प्रयोग करते हुए, अजीत मोहन ने कहा कि वह, दंगों के संबंध में ‘द्वेषपूर्ण भाषण’ (हेट स्पीच) पर अंकुश लगाने में विफल रहने पर फेसबुक की भूमिका की जांच कर रही समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे।

      इनका कहना है कि “समिति द्वारा की जा रही जांच शीघ्र ही ‘हेट स्पीच’ क्या है और ‘उचित भाषण’ क्या है? इसमें बदल जाएगी, जोकि बहुत ही ध्रुवीकरण करने वाले विषय होंगे”।

      ‘द्वेषपूर्ण भाषण’ (हेट स्पीच) क्या है?

      • ‘द्वेषपूर्ण भाषण’, धार्मिक विश्वासों, यौन अभिविन्यास, लिंग आदि के आधार पर हाशिए पर स्थित व्यक्तियों के विशेष समूह के खिलाफ नफरत के लिए उकसाना है।
      • विधि आयोग द्वारा ‘हेट-स्पीच’ पर अपनी 267 वीं रिपोर्ट में कहा कि इस तरह के बयानों में व्यक्तियों और समाज को आतंकवाद, नरसंहार और जातीय हिंसा करने के लिए भड़काने की क्षमता होती है।

      ‘हेट स्पीच’ पर लगाम लगाने की आवश्यकता के कारण:

      1. आंतरिक सुरक्षा: वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे एक झूठे वीडियो के कारण फैले थे, इसके द्वारा जिसने सांप्रदायिक जुनून भडकाया गया था।
      2. ‘द्वेषपूर्ण भाषण’ उग्रवादी भावनाओं को भड़काते है।
      3. मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) ।
      4. झूठी ख़बरें तथा भ्रामक जानकारी: दिल्ली दंगे।

      उपाय:

      • फेसबुक, गूगल, ट्विटर और बाइटडांस सहित विश्व की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां, भारत में अपने प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों को रोकने के लिए एक उद्योग-व्यापी गठबंधन तैयार करने पर विचार कर रही हैं।
      • भारत के निर्वाचन आयोग के लिए फर्जी खबरों को तैयार करने वालों पहचान करने के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ गठजोड़ करना चाहिए।
      • अंतिम उपयोगकर्ताओं को शिक्षित करना चाहिए।
      • सरकार के लिए इंटरनेट मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म के कारण होने वाले संभावित नुकसानों से गहन स्तर पर निपटने हेतु पर नीतिगत रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
      • जर्मनी में, यदि सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफ़ॉर्म अनुचित सामग्री हटाने में निरंतर असफल रहती हैं तो उन पर € 50 मिलियन तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसी भांति भारत में भी जुर्माना लागू किया जा सकता है।

      प्रीलिम्स लिंक:

      1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के बारे में
      2. अधिनियम की धारा 66A
      3. भारत के विधि आयोग के बारे में
      4. आईटी अधिनियम के तहत ‘हेट स्पीच’ का विनियमन

      मेंस लिंक:

      ‘द्वेषपूर्ण भाषण’ (हेट स्पीच) क्या है? इस पर किस प्रकार अंकुश लगाया जा सकता है? चर्चा करें।

      स्रोत: द हिंदू

       

      विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

      एस्ट्रोसैट


      (AstroSat)

      संदर्भ:

      हाल ही में, एस्ट्रोसैट के अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप ने आकाशगंगा में एक विशाल जटिल ब्रह्मांडीय डायनासोर में दुर्लभ पराबैंगनी– चमकीले तारों की खोज की है।

      इस खोज का महत्व:

      इस प्रकार के दुर्लभ पराबैंगनी– चमकीले तारों के बारे में यह अनुमान लगाया जाता है, कि युवा नीले तारों से रहित अण्डाकार आकाशगंगाओं जैसी प्राचीन तारकीय प्रणालियों से उत्सर्जित होने वाले पराबैंगनी विकिरण का कारण ये ‘पराबैंगनी– चमकीले तारे’ होते हैं। इसलिए, ऐसे सभी तारों के गुणों को समझने के लिए उनका निरीक्षण करना अधिक जरूरी है।

      एस्ट्रोसैट के बारे में:

      • एस्ट्रोसैट भारत की पहली समर्पित बहु तरंगदैर्घ्य अंतरिक्ष वेधशाला (multi-wavelength space telescope) है। इसमें पांच दूरबीन लगे हुए है, जिनके माध्यम से एस्ट्रोसैट एक ही समय में ऑप्टिकल, पराबैंगनी, निम्न और उच्च ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के एक्स-रे क्षेत्रों में ब्रह्मांड का अवलोकन करता।
      • एस्ट्रोसैट में लगा हुआ पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (UltraViolet Imaging Telescope- UVIT), दृश्य, पराबैंगनी और सुदूर पराबैंगनी विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के क्षेत्रों के पास आकाश को अवलोकन करने में सक्षम है।
      • एस्ट्रोसैट को 28 सितंबर 2015 को इसरो (ISRO) द्वारा पृथ्वी के निकट भू-स्थिर कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था।
      • यह एक बहु-संस्थान सहयोग परियोजना है, जिसमें IUCAA, इसरो, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) मुंबई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (बेंगलुरु), और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (अहमदाबाद) शामिल हैं।

      AstroSat

      स्रोत: पीआईबी

       


      प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


      महिलाओं के लिए संकट होने पर मदद हेतु स्मार्ट कैमरे

      उत्तर प्रदेश की राजधानी में पुलिस सार्वजनिक स्थानों पर स्मार्ट कैमरे लगाने के लिए तैयार है। ये कैमरे चेहरे के भावों को देखकर संकट की स्थिति होने पर महिलाओं की तस्वीरों को स्वचालित रूप से क्लिक करेंगे और निकटतम पुलिस वाहन को सतर्क करेंगे।

      ‘कवच’ युद्धाभ्यास

      (Exercise Kavach)

      • यह एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है जिसमें भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय तटरक्षक बल शामिल होंगे।
      • इस सैन्य अभ्यास को, देश के एकमात्र संयुक्‍त बल कमान – अंडमान एवं निकोबार कमान (ANC) के तत्वावधान में आगामी सप्ताह में आयोजित किया जा रहा है।
      • तीनों सेनाओं के अभ्‍यास का लक्ष्‍य संयुक्‍त युद्धक क्षमताओं को बेहतर बनाना और संचालन संबंधी तालमेल बढ़ाने की दिशा में मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करना है।

      (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ) 

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