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18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।




KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं (या एक परीक्षक की कल्पना कर सकते हैं) kbs  हर मुद्दे को उनकी स्थिर या सैद्धांतिक पृष्ठभूमि से जोड़ता है। यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।


भीमा कोरेगांव लड़ाई


संदर्भ:

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (Office of the High Commissioner for Human Rights– OHCHR) द्वारा भीमा कोरेगांव कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की गयी है।

संबंधित प्रकरण:

भीमा कोरेगांव मामले की शुरुआत 1 जनवरी, 2018 को हुई थी। इस दिन भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था।

  • इस कार्यक्रम का आयोजन, पेशवा बाजी राव द्वितीय की सेना के खिलाफ ब्रिटिश सेना की जीत का जश्न मनाने के लिए किया गया था। इस लड़ाई में ब्रिटिश सेना की ओर से ‘महार’ सैनिकों ने युद्ध किया था।
  • भीमा कोरेगांव मामले में जांच के दौरान सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और गौतम नवलखा सहित कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।

भीमा-कोरेगांव लड़ाई के बारे में:

  • पुणे के एक जिले ‘भीमा कोरेगांव’ में 1 जनवरी, 1818 को पेशवा सेनाओं और अंग्रेजों के बीच हुई एक लड़ाई के साथ दलितों का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संबंध है।
  • ब्रिटिश सेना, जिसमें मुख्य रूप से दलित सैनिक शामिल थे, ने उच्च जातियों के वर्चस्व वाली पेशवा सेना का मुकाबला किया। इस युद्ध में ब्रिटिश सेना ने पेशवा सेना को पराजित किया था।

लड़ाई के परिणाम:

  • भीमा-कोरेगांव लड़ाई में विजय को जाति-आधारित भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ एक जीत के रूप में देखा गया। पेशवा, महार दलितों के उत्पीड़न और उन पर अत्याचार करने के लिए कुख्यात थे। इस लड़ाई में पेशवाओं के ऊपर विजय ने दलितों को एक नैतिक जीत प्रदान की, जोकि जाति आधारित भेदभाव एवं उत्पीड़न और पहचान की भावना के खिलाफ एक जीत थी।
  • हालाँकि, अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति ने भारतीय समाज में कई दरारें पैदा कर दी, जो आज भी जाति और धार्मिक भेदभाव के विकराल रूप में दिखाई देती है जिस पर संविधान के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए रोक लगाने की आवश्यकता है।

‘भीमा कोरेगांव’ को ‘दलित प्रतीक’ के रूप में क्यों देखा जाता है?

  • इस लड़ाई को दलित गौरव के प्रतीक के रूप में देखा जाने लगा है क्योंकि कंपनी की सेना में अधिकाँश सैनिक ‘महार’ दलित थे। चूंकि पेशवा, जोकि ब्राह्मण थे, उन्हें दलितों के उत्पीड़क के रूप में देखा जाता था और इसलिए पेशवा सेना पर महार सैनिकों की जीत को दलित शक्ति के रूप में देखा जाता है।
  • 1 जनवरी 1927 को डा. भीमराव अंबेडकर ने युद्धस्थल पर बने ‘स्मारक-स्तंभ’ का दौरा किया, इस स्तंभ पर लगभग दो दर्जन महार सैनिकों सहित मृतकों के नाम दर्ज हैं। कोरेगांव की लड़ाई में भाग लेने वाले सैनिक महार थे और महार अछूत थे।

OHCHR के बारे में:

  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (Office of the High Commissioner for Human Rights -OHCHR) को ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार’ (UN Human Rights) भी कहा जाता है, यह मानव अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की अग्रणी संस्था है।
  • OHCHR का उद्देश्य, संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 48/141 के अनुसार निर्धारित सभी मानवाधिकारों की रक्षा करने और इन्हें प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए तथा इनसे संबंधित आवश्यक समर्थन करना है।
  • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के अनुपालन को प्रोत्साहित करना भी है, और इसके तहत OHCHR, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनी दायित्वों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु स्थानीय अदालतों का सहयोग करना है। यही हस्तक्षेप की मांग करने का आधार है। 
  • प्रीलिम्स लिंक:

  • ‘भीमा कोरेगांव’ लड़ाई के बारे में
  • किनके बीच लड़ी गयी थी?
  • परिणाम
  • भीमा कोरेगांव को दलित प्रतीक के रूप में क्यों देखा जाता है?

मेंस लिंक:

भीमा कोरेगांव लड़ाई का विजय उत्सव न केवल उपनिवेशवाद-विरोधी परंपरा को चुनौती देता है, बल्कि यह जातियों की हीन संस्कृति के खिलाफ दलितों की एक स्वतन्त्र संस्कृति बनाने की कहानी का भी वर्णन करता है। आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू  


  



 

 महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

 

राष्ट्रीय बालिका दिवस


(National Girl Child Day)

संदर्भ:

भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। यह महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक पहल है।

इसका उद्देश्य बाल लिंग अनुपात (Child Sex Ratio- CSR) में होनी वाली कमी के मुद्दे पर जागरूकता फैलाना है।

  • यह समारोह, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ (Beti Bachao, Beti PadhaoBBBP) योजना की वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया जाता है।
  • पंजाब सरकार द्वारा ‘जनवरी 2021’ को ‘बालिका माह’ घोषित किया गया है तथा ‘धीयाँ दी लोहड़ी’ (Dheeiyan Di Lohri) योजना भी शुरू की गई है।

 ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ (BBBP) के बारे में:

  • आरंभ एवं विस्तार: ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ कार्यक्रम की शुरुआत जनवरी, 2015 में हरियाणा के पानीपत में की गयी थी। 8 मार्च 2018 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ कार्यक्रम को देश के सभी 640 जिलों (जनगणना 2011 के अनुसार) में शुरू किया गया।
  • यह, तीन केंद्रीय मंत्रालयों, महिलाओं और बाल विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों का संयुक्त प्रयास है।

कार्यान्वयन:

यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है। इसके तहत जिला स्तर पर योजना घटक को 100% वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है और इसके सुचारू संचालन हेतु सहायता राशि सीधे जिलाधिकारी / जिला कलेक्टर के खाते में जारी की जाती है।

उद्देश्य:

  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य बाल लिंग अनुपात (CSR) में होने वाली कमी तथा जीवन-चक्र सातत्य (life-cycle continuum) के संदर्भ में महिलाओं के सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है।
  • इस योजना के विशिष्ट उद्देश्यों में लैंगिक रूप से पक्षपातपूर्ण चयनात्मक लिंग उन्मूलन को रोकना; बालिकाओं के जीवन और सुरक्षा को सुनिश्चित करना तथा बालिकाओं की शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल है।

योजना के परिणाम:

  • स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के आशाजनक रुझान दिखाई दे रहे हैं और इसमें वर्ष 2014-15 में 918 से 16 अंकों का सुधार होकर वर्ष 2019-20 में 934 हो चुका है।
  • प्रसवपूर्व देखभाल की पहली तिमाही के दौरान स्वास्थ्य प्रतिशत में सुधार की प्रवृत्ति दिखाई देती गई, और यह वर्ष 2014-15 में 61 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 71 प्रतिशत हो गया है।
  • माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में लड़कियों के सकल नामांकन अनुपात भी वर्ष 2014-15 के 45 प्रतिशत से बढ़ कर वर्ष 2018-19 में 81.32 प्रतिशत हो गया है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय बालिका दिवस के बारे में
  2. ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ (BBBP) के बारे में
  3. उद्देश्य
  4. कार्यान्वयन

मेंस लिंक:

‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ (BBBP) के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

Made in India Products

 स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना


(Ayushman Bharat health scheme for Central Armed Police Forces)

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों और उनके आश्रितों के लिए ‘आयुष्मान सीएपीएफ’ (Ayushman CAPF) योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत, देश के सभी सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों को केंद्रीय स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम का लाभ प्रदान किया गया है।

योजना की प्रमुख विशेषताएं:

इस योजना के तहत, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF), असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के लगभग 28 लाख कर्मियों और उनके परिवारों को आयुष्मान भारत: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना‘ (AB PM-JAY) द्वारा कवर किया जाएगा।

PM-JAY की प्रमुख विशेषताएं:

  1. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा / आश्वासन योजना है।
  2. यह योजना भारत में सार्वजनिक व निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य उपचार के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक की धन राशि लाभार्थियों को मुहया कराती है।
  3. कवरेज:74 करोड़ से भी अधिक गरीब व वंचित परिवार (या लगभग 50 करोड़ लाभार्थी) इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकतें हैं।
  4. इस योजना में सेवा-स्थल पर लाभार्थी के लिए कैशलेस स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को उपलब्ध कराया जाता है।

पात्रता:

  • इस योजना के तहत परिवार के आकार, आयु या लिंग पर कोई सीमा नहीं है।
  • इस योजना के तहत पहले से मौजूद विभिन्न चिकित्सीय परिस्थितियों और गम्भीर बीमारियों को पहले दिन से ही शामिल किया जाता है।
  • इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने से 3 दिन पहले और 15 दिन बाद तक का नैदानिक उपचार, स्वास्थ्य इलाज व दवाइयाँ मुफ्त उपलब्ध होतीं हैं।
  • यह एक पोर्टेबल योजना हैं यानी की लाभार्थी इसका लाभ पूरे देश में किसी भी सार्वजनिक या निजी सूचीबद्ध अस्पताल में उठा सकतें हैं।
  • इस योजना में लगभग 1,393 प्रक्रियाएं और पैकिज शामिल हैं जैसे की दवाइयाँ, आपूर्ति, नैदानिक सेवाएँ, चिकित्सकों की फीस, कमरे का शुल्क, ओ-टी और आई-सी-यू शुल्क इत्यादि जो मुफ़्त उपलब्ध हैं।
  • स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति सार्वजनिक अस्पतालों के बराबर की जाती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. आयुष्मान भारत के घटक
  2. PMJAY- मुख्य विशेषताएं
  3. पात्रता
  4. राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी के बारे में

मेंस लिंक:

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के महत्व और संभावानाओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

स्कॉटिश नेता द्वारा ‘कानूनी जनमत संग्रह’ कराए जाने की मांग


संदर्भ:

स्कॉटलैंड की प्रमुख मंत्री निकोला स्टर्जन (Nicola Sturgeon) ने हाल ही में कहा है, कि वह वेस्टमिंस्टर के विरोध के बावजूद ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल करने हेतु एक कानूनी जनमत संग्रह (legal referendum) कराने की बना रही हैं, क्योंकि एक ओपिनियन पोल में ब्रिटेन से अलग होने के पक्ष में बहुमत प्राप्त हुआ है।

स्कॉटलैंड के लिए पिछला जनमत संग्रह

स्कॉटलैंड की स्वतंत्रता के लिए अंतिम जनमत संग्रह वर्ष 2014 में आयोजित किया गया था। जिसमे स्कॉटलैंड ने ब्रिटेन में शामिल रहने के पक्ष में मतदान किया था।

स्कॉटलैंड और इंग्लैंड का एकीकरण

16 जनवरी, 1707 को स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के बीच एकीकरण हेतु एक अधिनियम पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह अधिनियम 1 मई, 1707 को लागू हुआ और इसके साथ ही यूनाइटेड किंगडम ऑफ ब्रिटेन का निर्माण हुआ। इसके बाद से स्कॉटिश संसद को भंग कर दिया गया और वेस्टमिंस्टर, लंदन में समूचे यूनाइटेड किंगडम के लिए एक संसद गठित की गई।

स्कॉटलैंड और इंग्लैंड का एकीकरण होने संबंधी कारण

स्कॉटलैंड और इंग्लैंड का जटिल इतिहास है, लेकिन इनके इनके एकीकरण का संक्षिप्त जवाब यह है कि तत्कालीन स्कॉटलैंड को आर्थिक प्रोत्साहन की अत्याधिक आवश्यकता थी। पनामा में एक व्यापारिक उपनिवेश स्थापित करने का प्रयास असफल होने के बाद स्कॉटलैंड की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा गई। व्यापारिक उपनिवेश स्थापित करने संबंधी योजना की असफलता इस बात का निर्णायक प्रमाण थी कि स्कॉटलैंड की भविष्य में होने वाली समृद्धि इंग्लैंड के साथ एकीकरण करने पर ही संभव है।

स्कॉटलैंड की आजादी संबंधी प्रमुख मामला क्या है?

  • स्कॉटलैंड की आजादी का समर्थन करने वालों का मानना ​​है कि स्कॉटलैंड, इंग्लैंड से अलग होने पर अधिक समृद्ध होगा।
  • स्वतंत्रता के समर्थक चाहते हैं कि, संसाधनों के नियंत्रण और धन के निवेश संबंधी निर्णय स्कॉटलैंड द्वारा किये जाएँ।
  • इनका कहना है, कि, परमाणु हथियारों में अरबों पाउंड का निवेश करने के बजाय, स्कॉटलैंड बाल-कल्याण अथवा प्रतिभाओं को देश में रोकने एवं युवाओं को पलायन से रोकने के लिए कार्यक्रमों जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
  • स्कॉटलैंड- अवस्थिति
  • स्वतंत्रता की माँग
  • स्कॉटलैंड और इंग्लैंड का एकीकरण: कब और क्यों?      

    जनमत संग्रह के महत्व पर चर्चा कीजिए।

    स्रोत: द हिंदू

         Principi contabili internazionali. Testo completo e integrato dei principi contabili IAS/IFRS e ...  

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

सुंदरवन जैवमंडल रिजर्व के पक्षी- भारतीय प्राणी-विज्ञान सर्वेक्षण की रिपोर्ट


संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय प्राणी-विज्ञान सर्वेक्षण (Zoological Survey of India- ZSI) द्वारा ‘सुंदरवन जैवमंडल रिजर्व के पक्षी’ (Birds of the Sundarban Biosphere Reserve) शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी है।

यह रिपोर्ट, सुंदरबन के पक्षी-जगत का विवरण देने के अलावा इस क्षेत्र की सभी प्रजातियों के विस्तृत वितरण और स्थानीयता संबंधी आकंड़ों सहित एक व्यापक फोटोग्राफिक फील्ड गाइड के रूप में भी कार्य करती है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

  1. भारतीय सुंदरवन, विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों का एक भाग हैं तथा पक्षियों की 428 प्रजातियों का वास स्थल है। इसका अर्थ है कि देश में पाए जाने वाले प्रत्येक तीन में से एक पक्षी इस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र में पाया जाता है।
  2. नकाबपोश फिनफुट (masked finfoot) तथा बफी फिश आउल (Buffy fish owl) जैसे कुछ पक्षी केवल सुंदरबन में पाए जाते हैं।
  3. यह क्षेत्र, देश में पाई जाने वाले किंगफिशर की 12 प्रजातियों में से नौ प्रजातियों के साथ-साथ गोलियत बगुला (Goliath heron) तथा चम्मच जैसी चोंच वाली टिटहरी (spoon-billed sandpiper) जैसी दुर्लभ प्रजातियों का वास-स्थल है।

भारतीय सुंदरवन के बारे में:

  1. सुंदरवन के अंतर्गत बंगाल की खाड़ी के मुहाने पर गंगा और ब्रह्मपुत्र के डेल्टा में सैकड़ों द्वीप और नदियों, सहायक नदियों का एक नेटवर्क शामिल है, तथा यह भारत और बांग्लादेश में विस्तृत हैं।
  2. डेल्टा के दक्षिण-पश्चिमी भाग पर स्थित, भारतीय सुंदरबन, देश के कुल मैंग्रोव वन क्षेत्र के 60 प्रतिशत से अधिक है।
  3. भारत में सुंदरवन 27 वां रामसर स्थल है तथा 4,23,000 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में विस्तृत देश में सबसे बड़ी संरक्षित आर्द्रभूमि है।
  1. भारतीय सुंदरवन, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है तथा रॉयल बंगाल टाइगर का वास-स्थल है।
  • यह जंगली मुर्गी, विशाल छिपकली, चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर, मगरमच्छ आदि जैसे कई अन्य वन्य पशुओं का भी प्राकृतिक निवास स्थान है। साइबेरियाई बतख खानाबदोश मौसम के दौरान यहां आते हैं। सुंदरबन विलुप्तप्राय प्रजातियों जैसे बटागुर बसका, किंग क्रैब और ऑलिव रिडल कछुए का भी निवास स्थान है।  
  • सुंदरवन कहाँ अवस्थित है?
  • ‘मैंग्रोव’ क्या हैं?
  • इस क्षेत्र पायी जानी वनस्पति एवं जीव प्रजातियाँ
  • बंगाल की खडी क्षेत्र में हाल के चक्रवात

    भारत में मैंग्रोव पर चक्रवात अम्फान के प्रभाव पर चर्चा कीजिए।

    स्रोत: द हिंदू   


    विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।

    बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र समझौता (BTR agreement)


    (Bodoland Territorial Region agreement)

    संदर्भ:

    पूर्वोत्तर राज्य असम में ऐतिहासिक बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (Bodoland Territorial RegionBTR) समझौते की पहली वर्षगांठ मनाई जा रही है।

    वर्तमान में, बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (Bodoland Territorial Area Districts- BTAD) असम के चार जिलों, कोकराझार, चिरांग, बाक्सा और उदलगुड़ी में विस्तृत है।

    हस्ताक्षरित समझौते का अवलोकन:

  • BTR समझौते के अनुसार, वर्तमान में बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्रीय जिलों (BTAD) से बाहर स्थित उन बोडो बाहुल्य गाँवों को इस क्षेत्र में शामिल किया जाएगा तथा गैर-बोडो आबादी को इस क्षेत्र से बाहर रखा जाएगा।
  • समझौते में कहा गया है कि ‘नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड’ (National Democratic Front of Boroland- NDFB) गुटों के सदस्यों के खिलाफ “गैर-जघन्य” अपराधों के लिए दर्ज आपराधिक मामलों को असम सरकार द्वारा वापस ले लिया जाएगा और इन मामलों की समीक्षा की जाएगी।
  • बोडो आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारों को 5 लाख रुपए मुआवज़े के रूप में दिये जाएंगे।
  • बोडो क्षेत्रों के विकास हेतु विशिष्ट परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1,500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज़ जारी किया जाएगा।
  • BTAD में नए क्षेत्रों को शामिल करने तथा बाहर करने के संबंध में एक समिति द्वारा निर्णय किया जाएगा।
  •  
  • महत्व:

    BTR समझौते पर हस्ताक्षर करने के पश्चात 50 वर्षों से जारी बोडो संकट समाप्त हो गया है।

  • NDFB (P), NDFB (RD) और NDFB (S) के लगभग 1500 कैडरों का केंद्र और असम सरकार द्वारा पुनर्वासन किया जाएगा। इस प्रकार, इनके लिए अब मुख्यधारा में शामिल किया जाएगा।
  • समझौते के बाद, NDFB गुट हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करेंगे साथ ही समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक माह के भीतर ये लोग अपने सशस्त्र संगठनों की सभी गतिविधियों को समाप्त करेंगे।

‘बोडो’ कौन हैं?

  • बोडो (Bodos), असम में सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है, तथा इनकी जनसँख्या राज्य की कुल आबादी में 5-6 प्रतिशत से अधिक है। अतीत में, इनका असम के एक विशाल भू-भाग पर नियंत्रण था।
  • बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट ( BTAD) के अंतर्गत आने वाले असम के चार जिले- कोकराझार, चिरांग, बाक्सा और उदलगुड़ी – कई जातीय समूहों का वास-स्थान है।

बोडोलैंड विवाद:

  • वर्ष 1966-67 में ‘असम मैदानी जनजातीय परिषद्’ (Plains Tribals Council of Assam-PTCA)’ नामक राजनीतिक संगठन के माध्यम से पहली बार एक पृथक बोडोलैंड राज्य की मांग की गयी थी।
  • वर्ष 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन (All Bodo Students Union-ABSU) ने एक बार फिर से पृथक बोडोलैंड की मांग तेज़ की तथा ABSU के तत्कालीन अध्यक्ष उपेन्द्रनाथ ब्रह्मा द्वारा असम राज्य को दो बराबर हिस्सों में बाँटने (Divide Assam fifty-fifty) की मांग की गई।
  • वर्ष 1979-85 में ‘असमिया लोगों की सुरक्षा तथा उनके हितों की रक्षा के लिये’ हुए ‘असम आंदोलन’ की परिणति ‘असम समझौते’ के रूप में हुई थी। इसके बाद बोडो समुदाय के लोगों ने भी अपनी संस्कृति और पहचान बचाने के लिये फिर से आंदोलन शुरू कर दिया था।
  • ‘बोडो’ कौन हैं?
  • बोडोलैंड क्या है?
  • BTR समझौते की प्रमुख विशेषताएं   

    बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) समझौते के महत्व पर चर्चा कीजिए।

    स्रोत: पीआईबी  


    विषय: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।

    ओडिशा में फीस चुकाने हेतु बहनों द्वारा मनरेगा के तहत मजदूरी 


    ओडिशा में, 19 वर्ष से कम उम्र की तथा बी.टेक और बारहवीं कक्षा में पढने वाली सुश्री बेहरा की दो बहनें प्रतिदिन 207 रुपए कमाने के लिए मनरेगा के तहत मजदूरी कर रही हैं।

  • ये बहने, चैनपुर पंचायत के अंतर्गत गोराडीपीड़ा गाँव के एक दलित परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
  • ये दोनों, अपनी पांच बहनों में सबसे बड़ी, सुश्री बेहरा के लिए अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने में मदद करने के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए परेशान हैं।

स्रोत: द हिंदू  


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


स्पेसएक्स ने 143 उपग्रह प्रक्षेपित कर विश्व अंतरिक्ष रिकॉर्ड तोड़ा

  • हाल ही में, स्पेसएक्स (SpaceX) ने 143 उपग्रहों को लॉन्च करके विश्व अंतरिक्ष रिकॉर्ड तोड़ दिया है।, इसके पूर्व फरवरी 2017 में भारत ने 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने का रिकॉर्ड बनाया था।
  • स्पेसएक्स की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग फ्लाइट के लिए ‘फाल्कन-9’ प्रक्षेपण वाहन का उपयोग किया गया और इस मिशन को ट्रांसपोर्टर –1 के नाम दिया गया।
  • यह लॉन्च, स्पेसएक्स के पहले स्मॉटसैट राइडशेयर प्रोग्राम मिशन को समर्पित है। यह प्रोग्राम छोटे सैटेलाइट कंपनियों के लिए स्पेस तक पहुंचने की सुविधा को कम लागत में उपलब्ध कराता है।

दो नई चींटी प्रजातियों की खोज

केरल और तमिलनाडु में एक दुर्लभ चींटी की दो नई प्रजातियों की खोज की गई है। वे एंटेना सखंडो की संख्या के आधार पर एक ही प्रजाति की अन्य चींटियों से भिन्न होती हैं।

नई प्रजातियां:

  1. उकेरिया जोशी (Ooceraea Joshii):

यह प्रजाति केरल के पेरियार बाघ अभ्‍यारण में पाई गई है।

इसका नाम जवाहर लाल नेहरू एडवांस्‍ड साइंटिफिक रिसर्च सेंटर (JNCASR) के एक प्रख्‍यात विकासमूलक जीवविज्ञानी प्रोफेसर अमिताभ जोशी के सम्‍मान में उकेरिया जोशी रखा गया है।

  1. उकेरिया डेकामरा (Ooceraea decamera):

डेकामरा का तात्पर्य दस-सखंडित एंटिना से है। इसे मदुरै के अलगार्कोइल (Alagarkoil) से खोजा गया है।

 

राष्ट्रीय मतदाता दिवस (NVD)

(National Voters’ Day)

  • भारत निर्वाचन आयोग 25 जनवरी 2021 को 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जा रहा है।
  • इस वर्ष के राष्ट्रीय मतदाता दिवस (NVD) का विषय है– ‘मेकिंग आवर वोटर्स एम्पावर्ड, विजिलेंट, सेफ एंड इन्‍फॉर्म्‍ड’ यानी मतदाताओं को सशक्‍त, सतर्क, सुरक्षित और जानकार बनाना।
  • भारतीय निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस अर्थात 25 जनवरी 1950 को मनाने के लिए 2011 से हर साल 25 जनवरी को देश भर में राष्ट्रीय मतदाता दिवस आयोजित किया जाता है।                            (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ) 

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