KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं (या एक परीक्षक की कल्पना कर सकते हैं) kbs हर मुद्दे को उनकी स्थिर या सैद्धांतिक पृष्ठभूमि से जोड़ता है। यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग किस प्रकार लगाया जा सकता है?
संदर्भ:
हाल ही में, डेमोक्रेट्स द्वारा हाउस ऑफ रिपब्लिकन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ, अमेरिकी संसद पर हुए हमले में उनकी भूमिका के लिए, ‘विद्रोह के लिए उकसाना’ (Incitement of Insurrection) शीर्षक से महाभियोग का प्रस्ताव (Article of Impeachment)- पेश किया गया है।
‘महाभियोग’ क्या होता है?
महाभियोग (Impeachment) एक ऐसा प्रावधान है जिसके तहत अमेरिकी कांग्रेस को संयुक्त राज्य के राष्ट्रपति को हटाने की शक्ति प्रदान की गयी है।
अमेरिकी संविधान के अंतर्गत:
अमेरिकी संसद के हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिवस (निचला सदन) को ‘महाभियोग की पूर्ण शक्ति’ प्राप्त होती है, जबकि सीनेट (उच्च सदन) के लिए ‘सभी महाभियोगों पर सुनवाई करने की पूर्ण शक्ति’ प्राप्त होती है।
सीनेट में महाभियोग पर सुनवाई की अध्यक्षता अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
महाभियोग लगाए जाने हेतु आधार:
1 अमेरिकी राष्ट्रपति को ‘देशद्रोह, रिश्वतख़ोरी, अथवा गंभीर अपराध और दुराचार’ के आरोप में पद से हटाया जा सकता है।
2 मुख्य रूप से, इसका तात्पर्य उच्च-स्तरीय लोक-अधिकारी द्वारा सत्ता का दुरुपयोग करने पर महाभियोग लगाया जा सकता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि, किसी सामान्य आपराधिक क़ानून का उल्लंघन अनिवार्य किया गया हो।
प्रीलिम्स लिंक:
1 अमेरिकी राष्ट्रपति तथा भारतीय राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति।
2 महाभियोग।
3 शक्तियाँ।
मेंस लिंक:
अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग किस प्रकार आरोपित किया जाता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960
(Prevention of Cruelty to Animals Act)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (Prevention of Cruelty to Animals Act), 1960 के तहत वर्ष 2017 में जारी किए गए नियमों नियमों के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है, और एक याचिका का जवाब देते हुए कहा है, कि नियमों के तहत जानवरों को जब्त करने (Seizure) और अधिहरण करने (Confiscation) में अंतर है।
पिछले सप्ताह, अदालत ने केंद्र सरकार से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, क़ानून के तहत किसी अभियुक्त के अपराधी साबित होने से पहले ही उसके पशुओं के अधिहरण से संबंधित नियमों में संशोधन करने के लिए कहा था। केंद्र द्वारा इसी निर्देश के तहत अपना प्रत्युत्तर दाखिल किया गया।
संबंधित प्रकरण:
कुछ समय पूर्व शीर्ष अदालत में बफ़ेलो ट्रेडर्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें अधिकारियों द्वारा मवेशी परिवहन में प्रयुक्त वाहनों को जब्त करने और जानवरों को आश्रय स्थलों (Shelters) पर भेजने जाने संबंधी नियमों की वैधता को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया कि नियम अधिसूचित किए जाने के बाद से ट्रांसपोर्टरों, किसानों और पशु व्यापारियों को धमकी दी जा रही है।
केंद्र सरकार का पक्ष:
केंद्र सरकार ने जब्त करने (Seizure) और अधिहरण करने (Confiscation) में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा है, कि ‘जब्ती’ (Seizure) अस्थायी प्रकृति की होती है, जिसमे परिसंपत्ति पर कब्जा मात्र किया जाता है, जबकि अधिहरण (Confiscation), परिसंपत्ति के स्वामित्व-हस्तांतरण के तुल्य होती है और किसी मामले में परिसंपत्ति पर पक्षकारों के अधिकार संबंधी अंतिम निर्णय के बाद ही अधिहरण प्रक्रिया की जाती है।
पृष्ठभूमि:
पशु क्रूरता निवारण (केस विषयक पशुओं देखरेख एवं भरणपोषण) नियम, 2017:
( Prevention of Cruelty to Animals (Care and Maintenance of Case Property Animals) Rules, 2017):
1 इन नियमों को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत निर्मित किया गया था।
2 2017 के नियमों के अनुसार, मजिस्ट्रेट को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमे में अभियुक्त व्यक्ति के मवेशियों को जब्त करने का अधिकार प्राप्त है।
3 जब्त किये गए जानवरों को फिर ‘चिकित्सालयों’, ‘गौशालाओं,’ आदि में भेजा जा सकता है।
4 इसके बाद में संबंधित अधिकारी इन जानवरों को ‘पालने के लिए’ किसी अन्य व्यक्ति को दे सकते हैं।
व्यापारियों की चिंताएं:
1 व्यापारियों ने दावा किया है कि इनके पशुओं को गौशालाओं जबरन भेजकर इन्हें अपने मवेशियों से वंचित किया जा रहा है।
2 इस प्रकार की लगातार लूटपाट से कानून के शासन को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है और आम तौर दुस्साहसी व्यक्तियों के समूहों द्वारा कानून अपने हाथों में लिया जा है।
3 इसके अलावा, इस प्रकार की घटनाएं समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को भड़काने का काम कर रही हैं।
आगे की राह:
यदि इस प्रकार की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से और तत्काल रोक नहीं लगाई गयी, तो देश के सामाजिक ताने-बाने पर विनाशकारी परिणाम पड़ेगा।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के बारे में:
1 इस अधिनियम का उद्देश्य ‘जानवरों को अनावश्यक यंत्रणा अथवा पीड़ा दिए जाने’ को रोकना है।
2 अधिनियम की धारा 4 के तहत, वर्ष 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) की स्थापना की गई थी।
3 इस अधिनियम में ‘जानवरों को अनावश्यक यंत्रणा अथवा पीड़ा पहुचाने के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। अधिनियम में जानवरों और इनके विभिन्न प्रकारों को परिभाषित करता है।
4 इसके अंतर्गत, वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए जानवरों पर प्रयोग से संबंधित दिशानिर्देश प्रदान भी प्रदान किए गए हैं।
स्रोत: द हिंदू
a विषय: भारत एवं ;इसके पड़ोसी- संबंध।
वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीन द्वारा सेना वापसी
संदर्भ:
हाल ही में, चीन ने पूर्वी लद्दाख में विवादित सीमा पर भीतरी क्षेत्रों से लगभग 10,000 सैनिकों को हटा लिया है, जबकि अगली पंक्ति के सैनिकों की स्थिति यथावत बनी हुई है।
इस स्थान पर विवाद का कारण ;
वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control– LAC) – सामान्यतः यह रेखा पैंगोंग त्सो की चौड़ाई को छोड़कर स्थल से होकर गुजरती है तथा वर्ष 1962 से भारतीय और चीनी सैनिकों को विभाजित करती है। पैंगोंग त्सो क्षेत्र में यह रेखा पानी से होकर गुजरती है।
दोनों पक्षों ने अपने क्षेत्रों को चिह्नित करते हुए अपने- अपने क्षेत्रों को घोषित किया हुआ है।
भारत का पैंगोंग त्सो क्षेत्र में 45 किमी की दूरी तक नियंत्रण है, तथा झील के शेष भाग को चीन के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
पैंगोंग त्सो झील का ‘फिंगर्स’ में विभाजन
पैंगोंग त्सो झील को फिंगर्स (Fingers) के रूप में विभाजित किया गया है। इस क्षेत्र में भारत और चीन के बीच LAC को लेकर मतभेद है, तथा यहाँ पर 8 फिंगर्स विवादित है।
1 भारत का दावा है कि LAC फिंगर 8 से होकर गुजरती है, और यही पर चीन की अंतिम सेना चौकी है।
2 भारत इस क्षेत्र में, फिंगर 8 तक, इस क्षेत्र की संरचना के कारण पैदल ही गश्त करता है। लेकिन भारतीय सेना का नियंत्रण फिंगर 4 तक ही है।
3 दूसरी ओर, चीन का कहना है कि LAC फिंगर 2 से होकर गुजरती है। चीनी सेना हल्के वाहनों से फिंगर 4 तक तथा कई बार फिंगर 2 तक गश्त करती रहती है।
पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण का कारण
1 पैंगोंग त्सो झील रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चुशूल घाटी (Chushul Valley) के नजदीक है। वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने चुशूल घाटी ने अपना मुख्य आक्रमण शुरू किया था।
2 चुशूल घाटी तक का रास्ता पैंगोंग त्सो झील से होकर जाता है, यह एक मुख्य मार्ग है जिसका चीन, भारतीय-अधिकृत क्षेत्र पर कब्जे के लिये उपयोग कर सकता है।
3 चीन यह भी नहीं चाहता है कि भारत LAC के पास कहीं भी अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दे। चीन को डर है कि इससे अक्साई चिन और ल्हासा-काशगर (Lhasa-Kashgar) राजमार्ग पर उसके अधिकार के लिए संकट हो सकता है।
4 इस राजमार्ग के लिए कोई खतरा, लद्दाख और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में चीनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के लिए बाधा पहुचा सकता है।
पैंगोंग त्सो के बारे में ;
1 लद्दाखी भाषा में पैंगोंग का अर्थ है समीपता और तिब्बती भाषा में त्सो का अर्थ झील होता है।
2 पैंगोंग त्सो लद्दाख में 14,000 फुट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक लंबी संकरी, गहरी, स्थलरुद्ध झील है, इसकी लंबाई लगभग 135 किमी है।
3 इसका निर्माण टेथीज भू-सन्नति से हुआ है।
4 यह एक खारे पानी की झील है।
5 काराकोरम पर्वत श्रेणी, जिसमे K2 विश्व दूसरी सबसे ऊंची चोटी सहित 6,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली अनेक पहाड़ियां है तथा यह ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और भारत से होती हुई पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर समाप्त होती है।
6 इसके दक्षिणी तट पर भी स्पंगुर झील (Spangur Lake) की ओर ढलान युक्त ऊंचे विखंडित पर्वत हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
1 1. LoC क्या है और इसकी स्थापना, भौगोलिक सीमा और महत्व
2 LAC क्या है?
3 नाथू ला कहाँ है?
4 पैंगोंग त्सो कहाँ है?
5 अक्साई चिन का प्रशासन कौन करता है?
6 नाकु ला कहाँ है?
7 पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में में नियंत्रण
मेंस लिंक:
भारत और चीन के लिए पैंगोंग त्सो के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
संयुक्त राष्ट्र के उच्च पटल पर भारत
(India at UN high table)
संदर्भ:
हाल ही में, भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) में एक गैर-स्थायी सदस्य (non-permanent member) के रूप में शामिल हुआ है। सुरक्षा परिषद में भारत के कार्यकाल की अवधि दो वर्ष है।
‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ में भारत:
भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सात बार अपनी सेवाएं दे चुका है।
1 1950-51 में, भारत ने कोरियाई युद्ध के दौरान शत्रुता समाप्त करने और कोरिया गणराज्य की सहायता संबंधी संकल्पों को अपनाने वाले सत्रों की अध्यक्षता की थी।
2 1972-73 में, भारत ने बांग्लादेश को संयुक्त राष्ट्र में शामिल करने के लिए जोरदार प्रयास किया। किंतु एक स्थायी सदस्य द्वारा किये वीटो के कारण यह संकल्प पारित नहीं हो सका था।
3 1977-78 के दौरान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत, अफ्रीका की आवाज बना और रंगभेद के खिलाफ सशक्त आवाज उठाई। तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1978 में नामीबिया की स्वतंत्रता के लिए UNSC में चर्चा की थी।
4 1984-85 के दौरान, मध्य पूर्व, विशेषकर फिलिस्तीन और लेबनान में जारी संघर्षों के समाधान हेतु UNSC में भारत में प्रमुखता से मामला उठाया।
5 2011-2012 के दौरान, भारत ने विकासशील देशों, शांति व्यवस्था, आतंकवाद-निवारण और अफ्रीका के लिए एक मजबूत आवाज था।
- भारत, आतंकवाद-निवारण से संबंधित UNSC 1373 कमेटी, आतंकी कृत्यों से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा संबंधी 1566 वर्किंग ग्रुप, और सोमालिया और इरिट्रिया से संबंधित सुरक्षा परिषद 751/1907 समिति की अध्यक्षता कर चुका है।
भारत का कहना है कि, वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थाई सदस्यता के लिए, किसी भी उद्देश्य मानदंड, जैसे जनसंख्या, क्षेत्रीय आकार, सकल घरेलू उत्पाद, आर्थिक क्षमता, सभ्यता की विरासत, सांस्कृतिक विविधता, राजनीतिक प्रणाली और अतीत में संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों के लिए विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में योगदान आदि, पर उपयुक्त है।
प्रीलिम्स लिंक:
1 UNSC के स्थायी सदस्यों के नाम बताइए?
2 गैर स्थायी सदस्य किस प्रकार चुने जाते हैं?
3 UNSC में मतदान की शक्तियां।
4 गैर स्थायी सीटें किस प्रकार वितरित की जाती हैं?
5 UNGA बनाम UNSC।
मेंस लिंक:
भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सदस्यता क्यों प्रदान की जानी चाहिए? चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस ;
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
संदर्भ:
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 1,364 करोड़ रुपए गलत लाभार्थियों को वितरित किए गए।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के बारे में:
- इस योजना को भारत सरकार द्वारा एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना (central sector scheme) के रूप में लागू किया गया है।
- यह योजना कई छोटे और सीमांत किसानों की आय के स्रोतों में वृद्धि करने हेतु शुरू की गई थी।
- इस योजना के तहत, प्रति वर्ष 6,000 रु.की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जाती है। इसके तहत कुछ मानदंडों के तहत उच्च आय स्तर वाले किसानों को योजना के लाभ से बाहर रखा गया है।
- योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान करने संबंधी पूरी जिम्मेदारी राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों की है।
योजना का विस्तार:
इस योजना के अंतर्गत, शुरुआत में, दो हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि पर खेती करने वाले पूरे देश के सभी छोटे और सीमांत किसान परिवारों के लिए आय-सहायता प्रदान की गई थी। बाद में, 01 जून, 2019 से इस योजना का विस्तार करते हुए देश के किसान परिवारों को इसके दायरे में लाया गया तथा पूर्व निर्धारित कृषि योग्य भूमि- जोत की सीमा को हटा लिया गया।
अपवाद:
पिछले आकलन वर्ष में, आयकर दाता, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि जैसे पेशेवर और प्रति माह न्यूनतम 10,000 रुपए प्राप्त करने वाले (एमटीएस / चतुर्थ-वर्ग / ग्रुप डी कर्मचारी को छोड़कर) संपन्न किसानों को इस योजना से बाहर रखा गया है।
राज्यों द्वारा इसी प्रकार के कार्यक्रम:
- भावांतर भुगतान योजना- म.प्र.
- रायथु बंधु योजना- तेलंगाना
- आजीविका और आय वृद्धि हेतु कृषक सहायता (Krushak Assistance for Livelihood and Income augmentation KALIA)- ओडिशा।
प्रीलिम्स लिंक:
- पीएम किसान- पात्रता।
- भावांतर भुगतान योजना के बारे में।
- रायथु बंधु योजना के बारे में।
- KALIA योजना के बारे में।
स्रोत: पीआईबी
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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