नगर में शनिवार को दो दिनों से गरमाए अतिक्रमण के मामले में नया मोड़ आ गया। गुरुवार को तहसील, नप और पुलिस प्रशासन द्वारा महाराणा प्रताप चौक के पास नाले के 15 साल पुराने पक्के अतिक्रमण आधे-अधूरे ध्वस्त किए जाने के बाद से छनेरा का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। इसी सिलसिले में विधायक प्रतिनिधि, पार्षदगण सहित करीब 50 लोगों ने वन मंत्री विजय शाह से खंडवा के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में 45 मिनट चर्चा कर ज्ञापन दिया। इस दौरान दो मामले सामने आए।
पहला अतिक्रमण की कार्रवाई में पुराने कब्जों को निशाना बनाया जाना, दूसरा नप प्रशासन द्वारा सितंबर 2020 में ग्राम पंचायत के समय के 90 दुकानदारों को नोटिस देकर दस्तावेज प्रस्तुत करने का फरमान दिया। जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों का पक्ष सुनने के बाद मंत्री शाह ने कहा कि रविवार को ग्राम पंचायत के समय और वर्तमान परिस्थिति, पुराने राज्य मार्ग की लोक निर्माण विभाग व राजस्व विभाग में दर्ज स्थिति को लेकर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, सीएमओ व सीईओ हरसूद के साथ बैठक लेंगे। उन्होंने निज सहायक को तत्काल संबधित को पत्र जारी करने के निर्देश दिए।
सुबह से ग्रामीण, मंत्री से मिलने की तैयारी में जुटे
एक दिन पूर्व भाजपा नेताओं की हुई चर्चा के बाद शनिवार सुबह से ग्रामीण व जनप्रतिनिधि वन मंत्री शाह से मिलने जाने को तैयारी में जुट गए। सुबह 11.30 बजे 50 लोगों का जत्था खंडवा रवाना हुआ। 1 बजे वन मंत्री शाह फॉरेस्ट विश्राम गृह में सभी से मिले। इस दौरान पहले ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व प्रशासन द्वारा की गई अचानक कार्रवाई पर नाराजी जताते हुए कहा कि पिछले 10 साल नप में कांग्रेस की परिषद रही लेकिन किसी को कोई दिक्कत नहीं आईं। भाजपा परिषद व सरकार में आपके मंत्री रहते हुए पक्की दुकानें तोड़ी जा रही हैं। ग्रामीणों ने ज्ञापन में लिखा कि प्रशासन द्वारा जनवरी 2020 में नगर के अन्य नालों का भी सीमांकन किया गया। लेकिन सिर्फ छनेरा के नाले से कार्रवाई शुरू कर दोहरे मापदंड प्रदर्शित किए। पूर्व में भी ऐसा हो चुका है। जबकि भगत सिंह चौक के पास एक भू माफिया ने 19 हजार वर्ग फुट शासकीय भूमि पर प्लाट बेच दिए। उसके विरूद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
90 दुकानदारों से रिकॉर्ड मांगे जाने का मामला भी उठा
अतिक्रमण के मुद्दे के बाद ग्रामीणों ने सितंबर 2020 नप सीएमओ द्वारा ग्राम पंचायत के समय से काबिज 90 दुकानदारों से दस्तावेज मांगे जाने का मुद्दा वरिष्ठ ग्रामीण रमेश बाबा ने प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि 2-3 पीढ़ियों से जहां काबिज होकर व्यापार व्यवसाय कर रहे हैं। पंचायत की रसीद भी है। लेकिन इसके बावजूद नप द्वारा सभी लोगों से दस्तावेज प्रस्तुत करने के नोटिस थमा दिए। कई लोगो के पास कब्जा व पंचायत से आवंटन संबंधी कागज नहीं है। उन लोगों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है।
नए पुराने रिकॉर्ड के साथ अफसरों को बुलाया
पौन घंटा जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों की बात सुनने के बाद मंत्री शाह ने कहा ग्राम पंचायत, जपं, नप तथा तहसील के वर्ष 2004 के पूर्व व वर्तमान उपलब्ध रिकॉर्ड लेकर अफसरों को रविवार को फॉरेस्ट रेस्ट ही बुलाया जाएगा। राजस्व, पंचायत, जनपद व नप के इस मामले पर कलेक्टर अनय द्विवेदी, एसडीएम डॉ. परीक्षित झाड़े, सीएमओ मिलन पटेल, सीईओ प्रवीण इवने से चर्चा करेंगे। इस मौके पर विधायक प्रतिनिधि रामनिवास पटेल, नप उपाध्यक्ष फरीद खान कांग्रेस नेता सुनील बाबा, हरिराम छ्लोत्र, ब्रजमोहन चौहान, अधिवक्ता मकसूद पटेल, रमेश बाबा, दिनेश सेन, अमीरदास बाबा मौजूद थे।
ग्राम पंचायत ने गठन के समय नप को नहीं सौंपे थे दस्तावेज
हरसूद | इंदिरा सागर बांध परियोजना में जलमग्न हुए हरसूद विस्थापन के दौरान प्रदेश सरकार ने ताबड़तोड़ छनेरा ग्राम पंचायत को नगर परिषद गठित कर दिया। इसमें पंचायत छनेरा की पुरानी आबादी क्षेत्र व पुनर्वास हरसूद को नगरीय क्षेत्र घोषित किया। डूब की जल्दबाजी में हुए नप गठन में ग्राम पंचायत से नवगठित नप को विधिवत कोई रिकॉर्ड हस्तांतरित नहीं किया गया। उसका नतीजा है कि पुराने छनेरा मुख्य बाजार की दुकानों पर नप सम्पत्ति सहित कर अधिरोपित नहीं कर पा रही है। इसके निराकरण के लिए नप प्रशासन ने दो माह में छनेरा के 90 दुकानदारों को नोटिस दिया, ताकि दस्तावेज के आधार पर कर निर्धारण किया जा सके।
वर्ष 2004 -05 में नप द्वारा ग्राम पंचायत के तत्कालीन सचिव को पत्र लिख कर पंचायत रिकॉर्ड व चल अचल सम्पत्ति का ब्योरा मांगा। तत्कालीन सचिव ने पूरा रिकॉर्ड जनपद के सुपुर्द कर दिए जाने का जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया। 2005 से 2007 तक नप मनोनीत परिषद रही। परिषद अवैध कॉलोनियों में सड़क नाली निर्माण में मशगूल हो गई। 2007 के आरंभ में तत्कालीन सीएमओ रामनाथ शर्मा ने पंचायत की चल-अचल संपत्ति के सर्वे व भौतिक सत्यापन कराया। इसमें 16 दुकानें, 4 आवास गृह, हैंड पंप ,पाइप लाइन सहित कुछ भवन नप के अधीन लिए गए।
नप की दिक्कत यह
पुराने छनेरा की अचल सम्पत्ति (दुकानों) को लेकर उपलब्ध कुछ दस्तावेज के कारण नप का राजस्व विभाग संशय में है। जिसने व्यक्ति को आवंटन, नीलाम व लीज की कागजी स्थिति व मौका पर बड़ा अंतर है। उदाहरण बतौर ग्राम पंचायत से किसी व्यक्ति को आवंटन व कब्जा 150 अथवा 300 वर्गफुट का दुकान के लिए दिया गया है। अब मौके पर कब्जा 500-600 वर्गफुट का हो चुका है। इससे नप का रिकॉर्ड भी व्यवस्थित नहीं हो पा रहा है।
पुराने दस्तावेज मिलना आसान नहीं - जनपद पंचायत में भी डूब के कारण काफी रिकॉर्ड उपलब्ध होना मुश्किल है। जिला पंचायत में ग्राम पंचायत छनेरा के 1994-95 से 2003 - 04 तक रिकॉर्ड मिल सकता है।
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