एक सप्ताह से माैसम पूरी तरह बदला हुआ है। इसमें 3 दिन मावठा बरसा। सर्दी में माैसम बदलने हुई मावठे की बारिश ने गेहूं के लिए अमृत का काम किया, लेकिन अब बादल छाए रहने से चना में इल्ली का प्रकाेप शुरू हाे गया है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। इधर चिंतित किसानों काे बचाव के उपाय बताने और समझाइश देने के लिए कृषि विभाग का मैदानी अमला और कृषि वैज्ञानिक खेतों में किसानों के बीच पहुंच रहे हैं।
वर्तमान का माैसम गेहूं की वृद्धि के साथ बेहतर उत्पादन में देगा सहयाेग
बीते शुक्रवार से माैसम का रुख बदला हुआ है। दिन में सर्द हवा चलने लगी। रात के तापमान में भी गिरावट आई। इसका असर रबी सीजन की फसलाें पर भी पड़ने लगा है। उप संचालक कृषि एमपीएस चंद्रावत ने बताया कि माैसम बदलने और मावठा गिरने से गेहूं काे फायदा है। अभी बना माैसम गेहूं की वृद्धि और बेहतर उत्पादन के लिए अनुकूल है। उन्होंने बताया कि बादल छाए रहने से चना में हेलिकाेवर्पा आर्मीजेरा नामक इल्ली का प्रकाेप कहीं कहीं दिखाई दे रहा है। मालूम हाे कि इस साल जिले में चना का रकबा 25 हजार हेक्टेयर से 49500 हेक्टेयर हुआ है। ऐसे में बदले माैसम से किसान चिंतित हैं।
इकामेक्टिन बेंजाेएट का छिड़काव करें किसान
डीडीए ने बताया कि इल्ली से चने के पाैधाें काे बचाने के लिए इकामेक्टिन बेंजाेएट की 150 एमएल मात्रा 80 ग्राम प्रति एकड़ के मान से 200 लीटर पानी में घाेल बनाकर छिड़काव करें। इसके अलावा खेतों में लगातार निगरानी रखें। यदि किसी प्रकार से कीट इल्ली का असर दिखाई ताे तुरंत कृषि विभाग के अधिकारियों या कृषि वैज्ञानिकों काे बताएं, जिससे समय रहते बचाव के उपाय किए जा सकें।
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from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3akrKuW December 18, 2020 at 05:24AM https://ift.tt/1PKwoAf
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