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गौतमपुरा में भाजपा का तो देपालपुर में कांग्रेस का दबदबा, बेटमा में एक बार निर्दलीय जीता, सांवेर में 2-2 बार दोनों जीते

नगर परिषद अध्यक्ष के चार चुनाव की बात करें तो गौतमपुरा में भाजपा का, देपालपुर में कांग्रेस का दबदबा नजर आया है. बेटमा में एक बार निर्दलीय मैदान मार चुका है। सांवेर में दो बार भाजपा ने जीत हासिल की तो कांग्रेस ने भी दो बार।

एक बार भी चुनाव की तैयारी दोनों दलों के प्रत्याशियों ने तैयारी शुरू कर दी है। पुराने रिकार्ड के अनुसार रणनीति बना रहे हैं ताकि जो पार्टी जीती है वह कायम रह सके और जो हारी है वह फतह कर सके।

बेटमा : चार चुनाव में दो बार भाजपा तो एक-एक बार कांग्रेस-निर्दलीय जीते
बेटमा नगर परिषद के चार चुनाव में यहां से अध्यक्ष पद पर दो बार भाजपा ने जीत हासिल की तो एक-एक बार कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशी नगर परिषद अध्यक्ष बन चुके हैं। 1999 में भाजपा के रामनिवास दाउ, कांग्रेस के हाजी अब्दुल कलाम व निर्दलीय भेरूसिंह वर्मा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। इसमें भाजपा के दाऊ 81 वोटों से विजयी हुए।

2004 में भाजपा के मूलचंद्र शर्मा, कांग्रेस के सतीश खंडेलवाल व निर्दलीय मनमोहन खंडेलवाल व हाजी अब्दुल कलाम के बीच मुकाबला हुआ। इसमें निर्दलीय मनमोहन खंडेलवाल 619 वोटों से जीते। 2009 में भाजपा की ललिता सुलाखिया, कांग्रेस की नारायणकुंवर चौहान व निर्दलीय अनिता खंडेलवाल के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें चौहान 621 वोटों से जीते। 2014 में भाजपा प्रत्याशी धर्मवीर सिंह चौहान बब्बी दरबार ने 1821 वोट से कांग्रेस के दरजू मंत्री को हराया।

पति-पत्नी दोनों मटका चुनाव चिन्ह पर लड़े चुनाव, पति जीते-पत्नी हारी
2004 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मनमोहन खंडेलवाल ने मटका चुनाव चिन्ह से ही जीत हासिल की तो 2009 महिला सीट होने के चलते उनकी पत्नी अनिता खंडेलवाल निर्दलीय मैदान में उतरी तो उनका चुनाव चिन्ह भी मटका ही रहा। इस बार अनिता खंडेलवाल चुनाव हार गई।

सांवेर : पहले कांग्रेस से पति जीते फिर पत्नी, जीत का अंतर हजार के अंदर रहा
सांवेर नगर परिषद में चार चुनाव में दो बार कांग्रेस ने जीत दर्ज करवाई तो दो बार भाजपा ने। कांग्रेस को एक बार पति ने जीत दिलाई तो दूसरी बार पत्नी ने। 1999 में भाजपा की सुरिंद्र कौर ने कांग्रेस की मधुबाला कमलसिंह दरबार को 1600 वोट से हराया था। 2004 में कांग्रेस के दिलीप चौधरी ने भाजपा के संतोष गांधी को 850 वोट से पराजित किया। 2009 में भाजपा के गजानंद करड़वाल ने कांग्रेस के श्याम सोनी को 350 वोट से परास्त कर दिया। फिर 2014 में कांग्रेस के दिलीप चौधरी की पत्नी कांता ने भाजपा की बलविंद कौर नवीनसिंह गांधी को 350 वोट से हराया।

भाजपा के बागी के कारण हारे भाजपा प्रत्याशी
2004 के चुनाव में भाजपा के बागी रखबचंद जैन के मैदान में उतरने से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी संतोष गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद दोनों पार्टियों ने पूरा प्रयास किया कि कोई बागी खडा़ नहीं रहे ताकि किसी को बागी के कारण हार का सामना नहीं करना पड़े।

गौतमपुरा : दो बार भाजपा, एक बार कांग्रेस और एक चुनाव भाजपा के बागी ने जीता
गौतमपुरा में भाजपा का दबदबा रहा है। चार चुनाव की बात करें तो दो बार भाजपा ने जीत हासिल की तो एक बार भाजपा के ही बागी चुनाव जीत गए। कांग्रेस भी एक बार जीती। 1999 में कांग्रेस समर्थित किरण मोहन जायसवाल अध्यक्ष का चुनाव जीतीं। इन्होंने भाजपा समर्थित तारा अशोक भावसार को हराया था।

2004 में भाजपा के विशाल राठी ने कांग्रेस के राजू राठी, निर्दलीय कैलाश पाटीदार, निर्दलीय अकरम खान को हराकर जीत हासिल की। 2009 में भाजपा से टिकट नहीं मिला तो विशाल राठी निर्दलीय मैदान में उतर गए और पूरी ताकत से चुनाव लड़ते हुए भाजपा के हुकुमचन्द जैन, कांग्रेस के राजा पाटीदार व निर्दलीय प्रकाश जैन को परास्त किया। 2014 में भाजपा के चेतन भावसार ने 1118 वोट से जीत हासिल की। इसमें कांग्रेस के शंकर सोनी, निर्दलीय राजेंद्र प्रजापत, निर्दलीय देवेंद्र भावसार को हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा के बागी ने भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त करवा दी
2009 में जब भाजपा के विशाल राठी बागी होकर चुनाव लड़े तो उन्होंने भाजपा प्रत्याशी हुकुमचंद जैन की जमानत जब्त करवा दी। इसमें राठी 4242 वोट लेकर आए थे तो कांग्रेस के राजा पाटीदार को 1400 और भाजपा के जैन को 400 वोट ही मिले थे।

देपालपुर : तीन बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा समर्थित को मिला अध्यक्ष पद
1999 में भाजपा समर्थित सुनीता माथुर ने चुनाव जीता। 2004 कांग्रेस के संतोष ठाकुर में भाजपा के दीनदयाल चौबे को 668 मतों से पराजित किया। ठाकुर को 4002 मिले थे तो चौबे को 3334 वोट। 2009 में कांग्रेस की सुमित्रा रमेशचंद्र यादव ने भाजपा प्रत्याशी पुष्पा विमल यादव को 1357 मतों से हराया था।

सुमित्रा ने 3429 प्राप्त किए तो पुष्पा को 2072 वोट पर ही संतोष करना पड़ा था। इस समय निर्दलीय मेहरून्निसा मजीद खान को 1900 वोट मिले थे। 2014 में कांग्रेस के प्रत्याशी पप्पू यादव ने भाजपा प्रत्याशी गोपाल कटेसरिया को 939 मतों से हराया। पप्पू यादव को 5537 तो गोपाल कटेसरिया को 4598 मत मिले थे।

यहां पार्षद निर्विरोध चुनाव जीत चुके हैं
1999 में कांग्रेस के संतोष ठाकुर वार्ड 10 से निर्विरोध जीते। इसी सत्र में वार्ड 12 के उपचुनाव में कांग्रेस के पप्पू यादव निर्विरोध जीते। 2004 में वार्ड 5 से भाजपा के विमल यादव, वार्ड 7 से कांग्रेस के पप्पू यादव, वार्ड 13 से कांग्रेस की आमना बी निर्विरोध जीतीं। 2009 में वार्ड 1 से सावित्री बाई नागर व वार्ड 2 से रवि चौरसिया निर्विरोध जीते।



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