सरकारी सिस्टम में माना जाता है कि सीएम मॉनिट की ‘ए प्लस’ की फाइलें बाकी आम फाइलों की तुलना में तेजी से दौड़ती हैं। इसके पीछे कारण है कि सीएम सचिवालय के अफसर खुद इनकी मॉनिटरिंग हफ्ते-दस दिन में करते हैं। हैरान करने वाला तथ्य है कि यही ‘ए प्लस’ की फाइलें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में आकर लंबित हो गई। इसका खुलासा हाल ही में पीडब्ल्यूडी की समीक्षा बैठक में हुआ।
अधिकारियों ने बताया कि नए निर्माण से जुड़ी सीएम मॉनिट की 448 फाइलें थी, जिसमें से 146 को ही पूरा किया गया। बाकी 302 लंबित हैं। यही हाल ट्रांसफर से जुड़े मामला का भी हुआ। 96 में से 57 ट्रांसफर हुए, 39 लंबित हैं।
जब पूछा गया तो सामने आया कि विभाग के पास बजट ही नहीं है, जिससे नए निर्माण किए जा सकें। मुख्यमंत्री द्वारा 9 महीने में 35 घोषणाएं की गईं, जिसमें से सिर्फ 4 यानी 10% ही पूरी हुईं। इन स्थितियों के मद्देनजर तय हुआ कि विभाग इस शीतकालीन सत्र में पेश हो रहे सप्लीमेंट्री बजट में अपनी डिमांड ज्यादा से ज्यादा रखे, ताकि शेष काम हो सकें।
नई सड़कों के काम कराने के बाद भी नहीं हो रहा भुगतान
निर्माण भवन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में 2020-21 के बजट में पहले ही कटौती कर दी गई। उसके बाद अब जब सड़कों की मरम्मत के साथ नए रोड बनाए जा चुके हैं तो एजेंसियों का भुगतान रोक दिया गया है। यह राशि करीब 911 करोड़ है।
- पीडब्ल्यूडी-आरडीसी : मरम्मत की देनदारी 109 करोड़।
- पीडब्ल्यूडी : रोड के नवीनीकरण का 112 करोड़ बकाया।
- सरकारी भवन : इनके संधारण का 128 करोड़ का काम हो चुका है।
- मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड : नई सड़कों के निर्माण का 23 करोड़ बकाया।
- ओडीआर/वीआर : 412 करोड़ बकाया।
- आरडीसी : नई सड़कों का 74 करोड़ भुगतान लंबित।
- पुल निर्माण और सड़कों की मजबूती (पीडब्ल्यूडी) : 127 करोड़ लंबित।
बजट की कमी
बजट की कमी के कारण कुछ काम प्रभावित हुए हैं, लेकिन सभी कामों की प्रक्रिया तेज है। अनुपूरक बजट में मांग रखी गई है। राशि मिल जाती है तो लंबित देनदारियों को पूरा किया जाएगा।
- नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव, पीडब्ल्यूडी
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