एक साल पहले चंबल में नदी आई बाढ़ से विस्थापित हुए नदुआपुरा गांव के 60 परिवार इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। क्योंकि रेल पटरी के किनारे जहां मल्लाह समुदाय के लोगों को बसाया गया है वहां लगा हैंडपंप एक महीने से बंद है। ऐसे में ग्रामीण महिलाओं को गांव से तीन किलोमीटर दूर चंबल नदी से पानी लाकर घरों में पेयजल की आपूर्ति करनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि वे हैंडपंप सुधारने के लिए कई बार पीएचई के अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के अभाव में पानी की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनके गांव में जल्द ही पानी की समस्या दूर नहीं हुई तो वे उपचुनाव के दौरान मतदान का बहिष्कार करेंगे।
एक साल पहले विस्थापित हुए थे नदुआपुरा के लोग: मालूम हो कि पिछले साल कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण चंबल नदी में बाढ़ आ गई थी। जिससे जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर चंबल किनारे बसा नदुआपुरा गांव बाढ़ के पानी में डूब गया था। इस दौरान गांव की महिला-पुरुषों व बच्चों को किसी तरह बचाकर गांव से दूर रेल पटरी के किनारे एक टापू पर पहुंचाया गया। जहां वर्तमान में मल्लाह समुदाय के लोग टपरे व झोंपड़ी बनाकर रह रहे हैं। ग्रामीणों की समस्या को महसूस करते हुए तात्कालीन कलेक्टर प्रियंका दास ने वहां हैंडपंप खनन कराकर ग्रामीणों को पेयजल सुविधा मुहैया कराई, लेकिन यहां लगा हैंडपंप वर्तमान में एक महीने से खराब पड़ा है। ऐसे में ग्रामीणों को चंबल नदी से पानी ला कर घरों में आपूर्ति करनी पड़ रही है।
ग्रामीण बोले-उपचुनाव में मतदान का करेंगे बहिष्कार
मंगलवार को जब दैनिक भास्कर की टीम नदुआपुरा गांव पहुंची तो ग्रामीण रामबरन, मुन्नी बाई, रामवती आदि ने बताया कि वे सुबह 5 बजे से चंबल नदी से पानी लाने का काम करते हैं। 60 घरों की बस्ती में पानी ढोने का सिलसिला 8 बजे तक चलता रहता है। इसी तरह शाम को 4 बजे से 6 बजे तक यानि दो घंटे पानी लाने में व्यतीत हो जाते हैं। पानी भरने के चलते कई बार वे मजदूरी पर नहीं पहुंच पाते। ग्रामीणों ने बताया कि वे हैंडपंप सुधरवाने के लिए सरपंच, सचिव व पीएचई कर्मचारियों से कई बार कह चुके हैं, बावजूद इसके अब हैंडपंप नहीं सुधरा। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्दी ही हैंडपंप नहीं सुधारा गया तो वे उपचुनाव के दौरान मतदान का बहिष्कार करेंगे।
बिजली नहीं, रात में जंगली जानवरों के हमले का रहता है भय
नंदुआपुरा गांव के विस्थापित परिवार वर्तमान में जहां गुजारा कर रहे हैं वहां बिजली का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में पूरी रात इन्हें अंधेरे में गुजारनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि चंबल नदी का किनारा होने के कारण यहां रात को कई तरह के जानवर विचरण करते हैं। जिससे उन्हें हमेशा जान का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि घरों में उजाला रखने के लिए उनके यहां बिजली का इंतजाम किया जाए।
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