सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति व तबादलों में हो रही देर पर नाराजगी जताते हुए केंद्र से दो टूक कहा कि इस प्रक्रिया में किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं होने देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जजों के एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट में तबादले में देरी का सवाल ही नहीं उठता जबकि सरकार की इसमें बहुत कम भूमिका है।
जस्टिस एसके कौल (SK Kaul) और जस्टिस एएस ओका (AS Oka) ने कहा कि हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम ने एक जज के नाम की सिफारिश की थी। अब तक फैसला नहीं हुआ। संबंधित जज 19 दिनों में पद छोड़ने जा रहे हैं। क्या आप चाहते हैं कि वह चीफ जस्टिस बने बिना ही सेवानिवृत्त हो जाएं? वेंकटरमणी ने कहा कि इसकी जानकारी है और जरूरी कार्रवाई की जा रही है। इस पर पीठ ने कहा, कभी-कभी नामों को रातोंरात मंजूरी दे दी जाती है, तो कभी-कभी इसमें बहुत समय लगता है। इसमें एकरूपता नहीं होती है। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा, कुछ मामलों में कॉलेजियम के नाम दोहराने के बावजूद अब तक नियुक्ति नहीं की गई है।
भूषण ने कहा, कानून के अनुसार सरकार के पास उन लोगों को नियुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है जिनके नाम दोहराए गए हैं। यह इस तरह नहीं चल सकता। एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश एक वकील ने कहा, अदालत पर अदालत के बाहर हमला’ किया जा रहा है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, हम इसके अभ्यस्त हैं. हम इसे संभालने के आदी हैं। निश्चिंत रहें, यह एक चरण से परे, हमें परेशान नहीं करता है। यह अलग-अलग प्राधिकारियों को देखना है कि क्या उचित है और क्या अनुचित। पीठ इस मामले में अब 13 फरवरी को सुनवाई करेगी।
Source Link
सोशल मीडिया बोल्ड है। सोशल मीडिया युवा है। सोशल मीडिया सवाल खड़ा करता है। सोशल मीडिया जवाब से संतुष्ट नहीं है। सोशल मीडिया बड़ी तस्वीर देखता है। सोशल मीडिया हर विवरण में रुचि रखता है। सोशल मीडिया उत्सुक है। सोशल मीडिया फ्री है। सोशल मीडिया अपूरणीय है। लेकिन अप्रासंगिक कभी नहीं। सोशल मीडिया आप हैं। (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ) अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो इसे एक दोस्त के साथ शेयर करें! हम एक गैर-लाभकारी संगठन हैं। रखने के लिए आर्थिक रूप से हमारी मदद करें सरकार और कारपोरेट के दबाव से मुक्त पत्रकारिता।
0 Comments