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उच्चतम न्यायालय का आदेश- 2030 तक नहीं हो सकती '1993 मुंबई बम धमाकों' के गुनहगार अबू सलेम की रिहाई

 सुप्रीम कोर्ट का आदेश- 2030 तक नहीं हो सकती '1993 मुंबई बम धमाकों' के  गुनहगार अबू सलेम की रिहाई - supreme court says abu salem convict of 1993  mumbai bomb blasts case

च्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि गैंगस्टर अबू सलेम को 2030 तक रिहा नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसकी 25 साल की हिरासत अवधि पूरी होने के बाद, केंद्र सरकार भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि के बारे में राष्ट्रपति को सलाह दे सकती है I साल 1993 के मुंबई बम धमाकों के गुनहगार अबू सलेम ने 2 मामलों में खुद को मिली उम्रकैद की सजा को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी I

उसने दावा किया था कि पुर्तगाल से हुए उसके प्रत्यर्पण में तय शर्तों के मुताबिक उसकी कैद 25 साल से अधिक नहीं हो सकती I इसलिए, उसे 2027 में रिहा किया जाए I इसका जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि सलेम की रिहाई पर विचार करने का समय 2027 में नहीं, 2030 में आएगा I क्योंकि उसे 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था I तब सरकार जरूरी फैसला लेगी I

अपनी यचिका में अबू सलेम ने उच्चतम न्यायालय से क्या मांग की थी

अबू सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था I उसने अपनी याचिका में उच्चतम न्यायालय से कहा था कि भारत सरकार ने 2002 में पुर्तगाल सरकार से यह वादा किया था कि उसे न तो फांसी की सजा दी जाएगी, न ही किसी केस में 25 साल से अधिक कैद की सजा होगी I लेकिन मुंबई के विशेष टाडा कोर्ट से उसे 1993 मुंबई बम ब्लास्ट समेत 2 मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई I गैंगस्टर ने शीर्ष अदालत से यह मांग की थी कि उसे रिहा करने के लिए 2002 की तारीख को आधार बनाया जाना चाहिए, क्योंकि तभी उसे पुर्तगाल में हिरासत में ले लिया गया था I इस हिसाब से 25 साल की समय सीमा 2027 में खत्म होती है I

सलेम की याचिका के जवाब में केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से क्या कहा?

अबू सलेम की याचिका के जवाब में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की तरफ से शीर्ष अदालत को बताया गया कि गैंगस्टर के प्रत्यर्पण के समय किया गया वादा ‘एक सरकार का दूसरी सरकार से किया गया वादा’ था I सलेम के मामले में फैसला सुनाने वाले टाडा कोर्ट के जज इससे बंधे नहीं थे I उन्होंने भारतीय कानून के हिसाब से फैसला सुनाया और 1993 के मुंबई बम धमाकों में उसे दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा दी I केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से यह भी कहा कि सलेम को 2005 में भारत लाया गया था I इसलिए, 2030 में उसकी रिहाई के मामले पर जरूरी निर्णय लिया जाएगा I गृह सचिव ने यह भी सुझाव दिया है कि उच्चतम न्यायालय अबू सलेम की अपील को सुनते हुए सिर्फ दोनों केस के तथ्यों को देखे और पुर्तगाल सरकार के साथ उसके प्रत्यर्पण को लेकर हुए समझौते का पालन सरकार पर छोड़ दे I

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