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पेगासस 'जासूसी' की जांच से क्यों भाग रहे हैं शिकायतकर्ता? SC के पैनल को न फोन दे रहे और ना ही बयान

 पेगासस जासूसी आरोपों की जांच के लिए अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की  याचिका | PIL Filed In Supreme Court Seeking Court-Monitored SIT Probe Into  Pegasus Snooping Allegations

पेगासस जासूसी मामले को लेकर अभी भी सियासत गरम है। लेकिन, दिलचस्प बात ये है कि जो लोग इजरायली स्पाईवेयर से जासूसी करवाने का आरोप लगा रहे हैं, वह जांच से भाग रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसको लेकर गठित पैनल दो-दो बार अपील कर चुका है कि आइए, अपनी बात रखिए, फोन जमा कीजिए ताकि उनकी जासूसी के लिए पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की तकनीकी जांच की जा सके। लेकिन, लोग सामने आने के लिए तैयार ही नहीं हैं। कहा जा रहा था कि 300 से ज्यादा विपक्षी दल के नेता, पत्रकारों और ऐक्टिविस्ट की जासूसी करवाई गई है, लेकिन जांच पैनल के सामने सिर्फ दो ही लोग पहुंचे और उनमें से भी सिर्फ एक ने अपना बयान दर्ज करवाया है।

पेगासस 'जासूसी' की जांच से क्यों भाग रहे हैं शिकायतकर्ता?

पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अक्टूबर में पैनल गठित हुआ था। इनको 300 से ज्यादा विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और ऐक्टिविस्ट के खिलाफ कथित पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल की जांच की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन, यह पैनल अपना काम पूरा नहीं कर पा रहा है। क्योंकि, आरोपों की तकनीकी जांच के लिए अपनी डिवाइस सौंपने के लिए शिकायतकर्ता सामने ही नहीं आ रहे हैं। अभी तक जांच पैनल को सिर्फ दो लोगों ने अपना फोन जांच के लिए दिया है। ये हैं दिल्ली में रहने वाले पत्रकार जे गोपीकृष्णन और झारखंड के ऐक्टिविस्ट रुपेश कुमार। लेकिन, इन दोनों में से भी सिर्फ एक नहीं अपना बयान दर्ज करवाया है।

कुछ लोगों ने सिर्फ पूछताछ की है

8 लोगों ने वीडियोकांफ्रेंस के जरिए साक्ष्य जरूर दर्ज करवाए हैं, लेकिन वे भी फोन जमा करने से कन्नी काट रहे हैं। इनके अलावा करीब दो दर्जन शिकायतकर्ताओं ने थोड़ी-बहुत जानकारी लेकर ही अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ ली है। इस जांच में तकनीकी पक्ष को देखते हुए पैनल में तकनीक के एक्सपर्ट भी रखे गए हैं। जब लोग अपनी शिकायत रखने के लिए सामने आ रहे हैं तो पैनल की ओर से मीडिया के जरिए जांच में सहयोग करने के लिए दो-दो बार अपील भी जारी की गई है। पहली अपील 2 जनवरी को जारी की गई थी। लेकिन, फिर भी जब लोग अपना बयान दर्ज कराने और कथित पेगासस स्पाइवेयर इस्तेमाल हुए फोन को जमा करने नहीं पहुंचे तो पैनल ने गुरुवार को दोबारा अपील जारी करके, शिकायतकर्ताओं से कहा है कि अपना फोन जमा करें, तभी तो उनके आरोपों की पुष्टि की जा सकेगी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है जांच

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका के आधार पर कथित पेगासस जासूसी की जांच के लिए पैनल गठित करने का आदेश दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि जब टोरंटो यूनिवर्सिटी के मुंक स्कूल के सिटीजन लैब में एमेनेस्टी इंटरनेशन की ओर से फोरेंसिक जांच करवाई गई थी तो पता चला था कि ऐक्टिविस्ट, पत्रकारों और विपक्ष के नेताओं समेत और लोगों से भी जुड़े कम से कम 14 फोन को पेगासस का इस्तेमाल करके हैक कर लिया गया था। हालांकि, पेगासस बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ का शुरू से दावा रहा है कि वह सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही अपना स्पाईवेयर बेचती है।

सरकार ने गैर-कानूनी जासूसी से किया है इनकार

जब से पेगासस जासूसी के आरोप लगे हैं, भारत में यह मामला राजनीतिक रूप से बहुत ही गरम रहा है। अभी न्यूयॉर्क टाइम्स में इसी से संबंधित एक और खबर छपी है, जिसको लेकर फिर से सियासी उबाल आया हुआ है। हालांकि, भारत में सरकार ने किसी भी नागरिक की गैर-कानूनी जासूसी से इनकार किया है। लेकिन, पेगासस खरीदा गया है, इसकी ना तो पुष्टि हुई है और ना ही इनकार किया गया है। गौरतलब है कि 2021 के जुलाई में 17 वैश्विक समाचार संगठनों के एक संघ ने यह जानकारी जारी की थी कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके करीब 50,000 टारगेट की निगरानी की गई है।

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