सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर मंगलवार को नाराजगी जताई जिसके चलते सरकारी परियोजनाएं अटक रही हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों की राजनीतिक मजबूरियां हो सकती हैं लेकिन यह करदाताओं का पैसा हो जो नाली में जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें हरियाणा और गुजरात में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का मुद्दा उठाया गया है।
हरियाणा और गुजरात से संबंधित मामलों में अधिकारियों को दिया समाधान तलाशने का निर्देश
अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को इस समस्या का तत्काल समाधान तलाशना चाहिए। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि नगर निगम, राज्य सरकार और रेलवे के बीच इन मामलों में तालमेल नहीं नजर आ रहा। चूंकि यह सार्वजनिक हित का मामला है इसलिए परियोजना तुरंत आगे बढ़नी चाहिए। पीठ ने कहा, 'आप इस समस्या से कैसे पार पाएंगे? हम आपसे जानना चाहते हैं। कोई राजनीतिक बयान देने की मंशा के बिना, इन तीनों स्तरों पर सरकार ट्रिपल इंजन है और रेलवे इसमें अपना इंजन चला नहीं पा रहा।' पीठ में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस टी. रविकुमार भी शामिल थे।
जो कुछ भी व्यवस्था करनी है युद्ध स्तर पर करें
मेहता ने कहा कि वह सभी स्तरों पर इस मामले पर चर्चा करेंगे और रेल मंत्री से भी बात करेंगे क्योंकि सरकारी परियोजना को अटकाया नहीं जा सकता है। पीठ ने कहा, 'यह मामला आपको जल्द से जल्द सुलझाना है। यह सुनिश्चित करें कि 15 दिन के भीतर यह परियोजना शुरू होनी चाहिए। जो कुछ भी व्यवस्था करनी है युद्ध स्तर पर करें। हम केंद्र, राज्य या निगम की तरफ से कोई बहाना नहीं सुनना चाहते।' इस मामले में अब 14 दिसंबर को सुनवाई होगी। गुजरात में एक रेलवे लाइन बिछाई जानी है, जिसकी जमीन पर अवैध कब्जा है। वहीं, हरियाणा के फरीदाबाद में रेल पटरी के किनारे बनी झुग्गियों को हटाया जाना है
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