KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं !
kbs हर मुद्दे को उनकी स्थिर या सैद्धांतिक
पृष्ठभूमि से जोड़ता है। यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से
अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको
विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।
केएसएम का उद्देश्य प्राचीन गुरु - शिष्य परम्परा पद्धति में "भारतीय को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना" है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
(Jallianwala Bagh massacre)
संदर्भ:
13 अप्रैल, 1919 को, ब्रिटिश सेना द्वारा जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों पर की गयी गोलीबारी की सैकड़ों लोग मारे गए थे।
घटना के बारे में:
- 13 अप्रैल, 1919 को ‘बैसाखी’ थी, और इस दिन अमृतसर के स्थानीय निवासियों द्वारा दो स्वतंत्रता सेनानियों सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को कैद करने तथा ‘रौलट एक्ट’ को लागू करने के खिलाफ चर्चा और विरोध करने के लिए एक सभा आयोजित करने का फैसला किया गया था। ‘रौलट एक्ट’ के तहत ब्रिटिश सरकार को बिना किसी सुनवाई के गिरफ्तार करने की शक्ति दी गई थी।
- जलियांवाला बाग़ चारो और से दीवारों से घिरा था और इसमें आने-जाने के लिए कुछ छोटे-छोटे दरवाजे थे। अंग्रेजों के आदेश के खिलाफ, इस बाग़ में एकत्रित भीड़ में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
- ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनल्ड एडवर्ड हैरी डायर, एकत्रित भीड़ को सबक सिखाने के उद्देश्य से दबे पाँव बाग़ में पहुँच गया, और अपने साथ लाए 90 सैनिकों को, सभा के दौरान ही, भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया।
- भीड़ में कई लोगों ने दीवार फांद कर जान बचाने का असफल प्रयास किया, और कई लोग जान बचाने के लिए बाग़ के अंदर बने एक कुएं में कूद गए।
परिणाम:
- इस नरसंहार के बाद जनरल डायर को ‘अमृतसर का कसाई’ कहा गया और उसे कमांड से हटा कर वापस ब्रिटेन भेज दिया गया।
- इस घटना के प्रतिरोध में रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी ने क्रमशः ब्रिटिश नाइटहुड और ‘कैसर-ए-हिंद’ की अपनी उपाधियों को त्याग दिया।
- वर्ष 1922 में कुख्यात रोलेट एक्ट अंग्रेजों द्वारा निरस्त कर दिया गया।
प्रीलिम्स लिंक:
- इस घटना के दौरान भारत का वायसराय कौन था?
- घटना के परिणाम?
- रौलट एक्ट क्या है?
मेंस लिंक:
जलियांवाला बाग त्रासदी, ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर एक शर्मनाक निशान है। टिप्पणी कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन-II
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) संधि
संदर्भ:
हाल ही में, सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने कहा है, कि उन्हें उम्मीद है कि भारत ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) जैसे क्षेत्रीय व्यापारिक समझौतों पर अपने दृष्टिकोण का ‘पुनर्मूल्यांकन’ करेगा। ज्ञातव्य है कि भारत, वर्ष 2019 में ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ समझौते से अलग हो गया था।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में भारत की मौजूदगी की आवश्यकता:
- बढ़ती हुई वैश्विक अस्थिरता के दौर में एक समावेशी संरचना का निर्माण करने हेतु क्षेत्र की सहायता करने में भारत को ‘एक महत्वपूर्ण भूमिका’ अदा करनी थी।
- इस प्रकार के व्यापारिक समझौते, भारतीय कंपनियों को बड़े बाजारों में भी अपनी ताकत दिखाने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
- इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता हुआ तनाव, क्षेत्र के लिए ‘गंभीर चिंता’ का विषय है, जोकि महामारी के कारण और भी सघन हो गया है।
RCEP क्या है?
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता है, जिसमे चीन, जापान ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और आसियान (ASEAN) के दस देश, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, लाओस, म्यांमार और फिलीपींस शामिल है। यह नवंबर 2020 में लागू हुआ था तथा इसमें भारत शामिल नहीं है।
RCEP के लक्ष्य और उद्देश्य:
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विश्व के शेष भागों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सहायता करने हेतु टैरिफ कम करना, तथा सेवा क्षेत्र में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना।
- कंपनियों के लिए समय और लागत की बचत करने हेतु ब्लॉक के सदस्य देशों में भिन्न-भिन्न औपचारिकताओं को पूरा किये बिना किसी उत्पाद के निर्यात करने की सुविधा प्रदान करना।
- इस समझौते में बौद्धिक संपदा संबंधी पहलुओं को शामिल किया गया है, किंतु इसमें पर्यावरण संरक्षण और श्रम अधिकारों को सम्मिलित नहीं किया गया है।
RCEP में भारत क्यों शामिल नहीं हुआ?
भारत, ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी’ (RCEP) से मुख्यतः चीन द्वारा उत्पादित सस्ते सामान के देश में प्रवेश करने संबंधी चिंताओं के कारण अलग हो गया था। चीन के साथ भारत का व्यापार असंतुलन पहले से काफी अधिक है। इसके अलावा, यह समझौता सेवाओं को पर्याप्त रूप से खुला रखने में विफल रहा था।
प्रीलिम्स लिंक:
- RCEP – संरचना और उद्देश्य
- आसियान देशों के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते
- आसियान देशों की भौगोलिक अवस्थिति
- RCEP के लक्ष्य और उद्देश्य
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
भारत और रूस S-400 मिसाइल प्रणाली सौदे के लिए प्रतिबद्ध
संदर्भ:
हाल ही में, भारत में रूस के राजदूत निकोलाई कुदाशेव (Nikolai Kudashev) द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है, कि भारत और रूस, दोनों देश S-400 मिसाइल प्रणाली सौदे
को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समझौते के तहत, S-400 मिसाइल प्रणाली, वर्ष के अंत तक भारत के लिए सौंपी जानी है। उन्होंने कहा कि दोनों देश, इस मुद्दे पर अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध करते हैं।
संबंधित प्रकरण:
S-400 मिसाइल प्रणाली सौदे के कारण अमेरिका द्वारा CAATSA कानून अर्थात ‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम’ (Countering America’s Adversaries through Sanctions Act- CAATSA) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है।
इसी प्रकार के समान सौदों पर अमेरिका, चीन और तुर्की पर पहले से ही प्रतिबंध लगा चुका है।
S-400 वायु रक्षा प्रणाली एवं भारत के लिए इसकी आवश्यकता:
- S-400 ट्रायम्फ (Triumf) रूस द्वारा डिज़ाइन की गयी एक मोबाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (surface-to-air missile system- SAM) है।
- यह विश्व में सबसे खतरनाक, आधुनिक एवं परिचालन हेतु तैनात की जाने वाली लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली SAM (MLR SAM) है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित, ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस’ (Terminal High Altitude Area Defence – THAAD) से काफी उन्नत माना जाता है।
CAATSA क्या है?
- CAATSA अर्थात ‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम’ (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act- CAATSA) का प्रमुख उद्देश्य दंडात्मक उपायों के माध्यम से ईरान, उत्तर कोरिया और रूस को प्रत्युत्तर देना है।
- इसे वर्ष 2017 में अधिनियमित किया गया था।
- इसके तहत, रूस के रक्षा और ख़ुफ़िया क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लेनदेन करने वाले देशों के खिलाफ लगाए जाने वाले प्रतिबंधो को शामिल किया गया है।
लगाये जाने वाले प्रतिबंध
- अभिहित व्यक्ति (sanctioned person) के लिए ऋणों पर प्रतिबंध।
- अभिहित व्यक्तियों को निर्यात करने हेतु ‘निर्यात-आयात बैंक’ सहायता का निषेध।
- संयुक्त राज्य सरकार द्वारा अभिहित व्यक्ति से वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर प्रतिबंध।
- अभिहित व्यक्ति के नजदीकी लोगों को वीजा से मनाही।
प्रीलिम्स लिंक:
- CAATSA किससे संबंधित है?
- CAATSA के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियां।
- लगाये जाने वाले प्रतिबंधों के प्रकार।
- भारत और रूस के बीच महत्वपूर्ण रक्षा सौदे।
- ईरान परमाणु समझौते का अवलोकन।
मेंस लिंक:
CAATSA की विशेषताओं और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
नाटो भी अमेरिका के साथ अफगानिस्तान से वापस
संदर्भ:
हाल ही में, ‘उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन’ (NATO) द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, 11 सितंबर तक अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से होने वाली वापसी के साथ ही नाटो कमांड के अधीन तैनात विदेशी सैनिक भी अफगानिस्तान से वापस चले जाएंगे।
वापसी के बाद, अमेरिका और नाटो का लक्ष्य अफगानिस्तान को सुरक्षा के लिए अफगानी सेना और पुलिस बलों पर निर्भर करना है, जिसे उन्होंने अरबों डॉलर व्यय करके विकसित किया है। हालांकि वर्तमान में, अफगानिस्तान में शांति वार्ताएं कोशिशों के दौर से गुजर रही हैं और अक्सर छिटपुट विद्रोह की घटनाएँ होती रहती हैं।
पृष्ठभूमि:
11 सितंबर एक काफी प्रतीकात्मक तारीख है। इस दिन, 20 वर्ष पूर्व अल-कायदा द्वारा विमान अपहरण करके अमेरिका पर हमला किया गया था, जिसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप किया था।
‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ (नाटो) के बारे में:
- यह एक ‘अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन’ है।
- ‘वाशिंगटन संधि’ द्वारा स्थापित किया गया था।
- इस संधि पर 4 अप्रैल 1949 को हस्ताक्षर किए गए थे।
- मुख्यालय – ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
- मित्र राष्ट्रों का ‘कमान संचालन मुख्यालय’ – मॉन्स (Mons), बेल्जियम।
संरचना:
- नाटो की स्थापना के बाद से, गठबंधन में नए सदस्य देश शामिल होते रहें है। शुरुआत में, नाटो गठबंधन में 12 राष्ट्र शामिल थे, बाद में इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है।
- नाटो गठबंधन में शामिल होने वाला सबसे अंतिम देश ‘उत्तरी मकदूनिया’ था, उसे 27 मार्च 2020 को शामिल किया गया था।
- नाटो की सदस्यता, ‘इस संधि के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने में योगदान करने में सक्षम किसी भी ‘यूरोपीय राष्ट्र’ के लिए खुली है’।
उद्देश्य:
राजनीतिक: नाटो, लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है, और सदस्य देशों के लिए, समस्याओं का समाधान करने, विश्वास का निर्माण करने तथा दीर्घ-काल में संघर्ष रोकथाम हेतु रक्षा और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर परामर्श और सहयोग करने में सक्षम बनाता है।
सामरिक- नाटो, विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। राजनयिक प्रयास विफल होने की स्थिति में, नाटो, के पास संकट-प्रबंधन कार्रवाई करने हेतु सैन्य शक्ति उपलब्ध है। ये सैन्य-कार्रवाई, नाटो की संस्थापक संधि के ‘सामूहिक रक्षा अनुच्छेद’- वाशिंगटन संधि के अनुच्छेद 5 अथवा संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत, अकेले या अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से- के अंतर्गत की जाती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- नाटो- स्थापना एवं मुख्यालय
- नाटो ‘एलाइड कमांड ऑपरेशन’ क्या है?
- ‘नाटो’ का सदस्य बनने हेतु शर्ते?
- वाशिंगटन संधि का अवलोकन।
- ‘उत्तरी अटलांटिक महासागर’ के आसपास के देश।
- नाटो में शामिल होने वाला अंतिम सदस्य।
मेंस लिंक:
नाटो के उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन-III
विषय: सरकारी बजट।
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत का ‘लोक ऋण’ स्तर सर्वाधिक
संदर्भ:
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के अनुसार, भारत के ‘लोक ऋण’ (Public Debt) का स्तर उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में उच्चतम है, हालांकि देश में मात्रात्मक सुधार कार्यक्रम (Quantitative Easing Programme) जारी है, फिर भी इसकी ऋण वहन क्षमता सबसे कमजोर है।
‘लोक ऋण’ क्या होता है?
किसी देश की सरकार द्वारा उधार ली गई कुल राशि को ‘लोक ऋण’ (Public Debt) कहा जाता है।
भारतीय संदर्भ में, ‘लोक ऋण’ के तहत, भारित की संचित निधि पर भारित केंद्र सरकार की कुल देनदारियाँ शामिल होती हैं। इसके तहत, लोक खाते (Public Account) के ऊपर अनुबंधित देनदारियों को शामिल नहीं किया जाता है।
‘लोक ऋण’ के स्रोत:
- दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियाँ अथवा जी-सेक (G-secs)
- ट्रेजरी बिल अथवा टी-बिल (T-Bills)
- बाह्य सहायता
- अल्पकालिक ऋण
संविधान के अनुच्छेद 292 के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा भारत की संचित निधि के ऊपर अनुबंधित देनदारियों को ‘लोक ऋण’ के रूप में वर्णित किया जाता है।
‘लोक ऋण’ के प्रकार:
‘लोक ऋण’ को आंतरिक और बाह्य ऋण में वर्गीकृत किया जाता है।
आंतरिक ऋण (Internal debt) के लिए विपणनयोग्य (Marketable) और गैर-विपणन योग्य (Non-Marketable) प्रतिभूतियों में वर्गीकृत किया जाता है।
- ‘विपणन योग्य सरकारी प्रतिभूतियों’ में नीलामी के माध्यम से जारी की जाने वाली ‘जी-सेक’ (सरकारी प्रतिभूतियां) और ‘ट्रेज़री-बिल’ शामिल होते हैं।
- ‘गैर-विपणन योग्य प्रतिभूतियों’ में राज्य सरकार को जारी किए जाने वाले मध्यवर्ती ट्रेजरी बिल, राष्ट्रीय लघु बचत कोष को जारी की जाने वाली विशेष प्रतिभूतियां आदि शामिल होती हैं।
‘ऋण-जीडीपी अनुपात’ क्या है?
‘ऋण-जीडीपी अनुपात’ (Debt-to-GDP Ratio) किसी देश द्वारा अपने ऋण का भुगतान करने की क्षमता के बारे में बताता है। निवेशको द्वारा किसी देश की ऋण चुकाने की क्षमता का आकलन करने के लिये ‘ऋण-जीडीपी अनुपात’ (Debt-to-GDP Ratio) का अवलोकन किया जाता है। उच्च ‘ऋण-जीडीपी अनुपात’, विश्व भर में आर्थिक संकटों को हवा दे चुके हैं।
क्या ‘ऋण-जीडीपी अनुपात’ का कोई स्वीकार्य स्तर होता है?
राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (FRBM) पर एन के सिंह समिति द्वारा सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात’ कुल 60 प्रतिशत रखने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए केंद्र सरकार के लिए ‘ऋण-जीडीपी अनुपात’ 40 प्रतिशत और राज्यों के लिए 20 प्रतिशत परिकलिप्त किया गया था।
प्रीलिम्स लिंक:
- G-Secs क्या हैं?
- टी-बिल क्या हैं?
- ‘वेज़ और मीन्स एडवांस’ (Ways and Means Advances- WMA) क्या है?
- FRBM अधिनियम क्या है?
- भारत की संचित निधि के बारे में
- संविधान के अनुच्छेद 292 के बारे में
मेंस लिंक:
सरकारी ऋण में वृद्धि सरकार के वित्त को किस प्रकार प्रभावित करती है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली।
मेट्टूर-सरबंगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना
(Mettur-Sarabanga lift irrigation project)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ (National Green Tribunal- NGT) द्वारा तमिलनाडु सरकार को ‘मेट्टूर-सरबंगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना’ (Mettur-Sarabanga lift irrigation project) पर काम आगे बढ़ाने हेतु अनुमति दे दी गई है, और साथ ही इस परियोजना पर रोक लगाने की मांग करने वाले आवेदन को खारिज कर दिया गया है।
संबंधित प्रकरण:
- ‘मेट्टूर-सरबंगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना’ पर रोक लगाने हेतु दायर किये गए आवेदन में दावा किया गया था, कि इस परियोजना की शुरुआत करने से पहले पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ली गई है।
- आवेदन में, परियोजना के निर्माण में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कहा गया था, कि इस परियोजना की परिकल्पना करते समय डेल्टा क्षेत्र के किसानों के ‘नदी तटवर्ती’ अधिकारों (Riparian rights) की पूर्णतयः उपेक्षा की गई है।
- इसके अलावा, चूंकि इस परियोजना में तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के हित शामिल हैं, इसलिए इसके लिए केंद्र सरकार से मंजूरी लेना आवश्यक है।
‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ (NGT) का निर्णय:
- इस परियोजना के तहत 4,238 एकड़ भूमि को सिंचाई क्षेत्र के अंतर्गत लाना प्रस्तावित है, जोकि 2,000 हेक्टेयर से कम है तथा वर्ष 2018 में जारी संशोधित ‘पर्यावरणीय प्रभाव आकलन’ (Environmental Impact Assessment-EIA) अधिसूचना के अनुसार, यह परियोजना लघु सिंचाई प्रणालियों की श्रेणी में आती है जिनके लिए पर्यावरणीय मंजूरी हासिल करने की अनिवार्यता से स्पष्ट छूट प्राप्त है।
- इसके अलावा, इस परियोजना के अंतर्गत, कर्नाटक से प्राप्त होने वाले पानी को केवल नियंत्रित किया जा रहा है, और मेट्टूर बांध के पानी को दोनों राज्यों में से किसी के साथ साझा नहीं किया जा रहा है तथा इसका उपयोग केवल तमिलनाडु के लाभ के लिए किया जा रहा है। अतः, परियोजना के लिए किसी अन्य प्राधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक नहीं है।
‘परियोजना’ के बारे में:
- ‘मेट्टूर-सरबंगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना’ का कार्यान्वयन तमिलनाडु सरकार द्वारा किया जा रहा है।
- इस परियोजना का उद्देश्य, मेट्टूर जलाशय के अधिशेष जल से, 100 टैंकों, झीलों और तालाबों के माध्यम से ईदापडी, ओमालुर, संकगिरी और मेट्टूर तालुकों की 4,200 एकड़ भूमि को सिंचित करना है।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
‘मंकीडेक्टाइल’ क्या है?
- ‘मंकीडेक्टाइल’ (Monkeydactyl), सबसे प्राचीन ‘सम्मुख अंगुष्ठ’ अर्थात उल्टे अंगूठे वाला (opposable thumbs) एक उड़ने वाला सरीसृप है।
- हाल ही में, चीन में लिओनिंग के तियाओझिशन संरचनाओं में एक नवीन ‘टेरोसौर’ (pterosaur) जीवाश्म की खोज की गई है। इसे 160 मिलियन वर्ष पुराना माना जा रहा है।
- इसे कुनपेंग्गोप्टेरस एंटीपॉलिकैटस (Kunpengopterus antipollicatus) नाम दिया गया है, जिसे “मंकीडक्टाइल” भी कहा जाता है।
- ‘टेरोसौर’ प्रजातियां सरीसृप थीं और डायनासोर प्रजातियों से निकट संबंधित थी। ये, कीटों के बाद, उड़ान भरने में सक्षम पहले जीव थे।
पृष्ठभूमि:
अंगूठे की सम्मुखता, अंगूठे को एक साथ मोड़ने, झुकाने तथा बीच में से घुमाने में सक्षम बनाती है, जिससे अंगूठे की नोक से दूसरी उंगलियों के सिरों को छुआ जा सकता है। मनुष्यों के साथ-साथ कुछ प्राचीन बंदरों और वानरों में भी ‘सम्मुख अंगूठे’ पाए जाते थे।
टीका उत्सव
- इसे टीकाकरण उत्सव या वैक्सीनेशन फेस्टिवल भी कहा जाता है।
- भारत में शुरू किया गया है।
- इसका उद्देश्य कोविड-19 के खिलाफ अधिकतम पात्र लोगों का टीकाकरण करना है।
रायसीना संवाद
(Raisina Dialogue)
- हाल ही में, रायसीना संवाद का 6 वाँ संस्करण आयोजित किया जा रहा है।
- इस सम्मेलन को विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
- 2021 संस्करण का विषय, “#वायरलवर्ल्ड: आउटरीक्स, आउटलाइनर्स एंड आउट ऑफ कंट्रोल” है।
- वर्ष 2016 में शुरू हुआ, ‘रायसीना डायलॉग’ अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर एक प्रमुख वैश्विक सम्मेलन के रूप में विकसित हुआ है।
- यह, राजनीति, व्यापार, मीडिया और नागरिक समाज के नेताओं को वैश्विक स्थिति पर चर्चा करने और समकालीन मामलों पर सहयोग के अवसरों की तलाश करने के लिए आमंत्रित करता है।
नैरो-लाइन सेफ़र्ट 1 (NLS1) आकाशगंगा
(Narrow-Line Seyfert 1 (NLS1) galaxy)
- हाल ही में, खगोल वैज्ञानिकों ने एक नई सक्रिय आकाशगंगा का पता लगाया है। इसकी पहचान सुदूर गामा रे उत्सर्जक आकाशगंगा के रूप में की गई है।
- यह लगभग 31 बिलियन प्रकाश-वर्ष की दूरी पर अवस्थिति है।
मानस ऐप
(MANAS App)
- मानस ऐप, एक सेहत संबंधी एप्लीकेशन है, जिसका पूरा नाम ‘मेंटल हेल्थ एंड नार्मलेसी ऑग्मेंशन सिस्टम’ अर्थात ‘MANAS’ है।
- इसे प्रधानमंत्री के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC) द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- यह प्रधानमंत्री के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC) द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में समर्थित है।
- भारतीय नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक ऐप के रूप में विकसित किया गया है
- मानस एक व्यापक और परिमार्जित राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे भारतीय नागरिकों की मानसिक भलाई को बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है।
- मानस ऐप विभिन्न सरकारी मंत्रालयों के स्वास्थ्य और कल्याणकारी प्रयासों को एकीकृत करता है।
सोशल मीडिया बोल्ड है।
सोशल मीडिया युवा है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल सोशल मीडिया एक जवाब से संतुष्ट नहीं है।
सोशल मीडिया में दिखती है ,
बड़ी तस्वीर सोशल मीडिया हर विवरण में रुचि रखता है।
सोशल मीडिया उत्सुक है।
सोशल मीडिया स्वतंत्र है।
सोशल मीडिया अपूरणीय है।
लेकिन कभी अप्रासंगिक नहीं। सोशल मीडिया आप हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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