कोरोना काल की वजह से जिले के सभी प्राथमिक व मिडिल स्कूल बंद हैं। पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए हमारा घर, हमारा विद्यालय अभियान के तहत बच्चों की पढ़ाई (पिता के मार्गदर्शन में) कराई जा रही है, लेकिन अब बच्चों को मध्याह्न भोजन भी मां के हाथों का बना हुआ मिलेगा।
मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के तहत अब बच्चों को सूखा राशन दिया जा रहा है। ऐसे में अब घर में ही मध्याह्न भोजन तैयार होगा। हालांकि शिक्षकों की ड्यूटी अब बढ़ गई है। घर-घर बच्चों के संपर्क में रहकर उनकी पढ़ाई कराने के साथ-साथ अब ये शिक्षक घर-घर राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं।
डीपीसी वीएस राठौर ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। इसलिए हमारा घर, हमारा विद्यालय अभियान चलाकर पढ़ाई कराई जा रही है। मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के तहत गेहूं और चावल पहले से दिया जा रहा है। अब दाल और तेल भी दिया जाएगा। जिले में इसका स्टॉक आने वाला है। स्टॉक आते ही एक सप्ताह के भीतर सभी बच्चों तक यह राशन पहुंच जाएगा। सभी ब्लॉक में राशन का वितरण शुरु हो चुका है।
जिले में 26 सौ स्कूलों में सवा दो लाख से अधिक छात्र है। इन सभी बच्चों को मध्याह्न भोजन का लाभ दिया जा रहा है। इधर शिक्षक बच्चों के घर-घर पहुंचकर प्रतिभा पर्व और वार्षिक मूल्यांकन की तैयारी भी करवा रहे हैं।
जिले के स्कूलों में तेल और दाल का स्टॉक आ चुका है: डीपीसी श्री राठौर के अनुसार दाल और तेल का स्टॉक आने वाला है। इसे स्व-सहायता समूह व शिक्षक बच्चों तक पहुंचाने का काम करेंगे। स्कूलों में बच्चों के परिजनों को बुलाकर दाल और तेल दिया जा रहा है।
हर छात्र को 73 दिन के लिए दी जाएगी सामग्री
प्राथमिक स्कूल : प्रत्येक बच्चे को रोज के मान से 100 ग्राम गेहूं व प्रत्येक गुरुवार 100 ग्राम चावल दे रहे हैं। 73 दिन के लिए दो किलो तुअर की दाल और 525 ग्राम सोयाबीन का तेल दिया जाएगा।
मिडिल स्कूल : प्रत्येक बच्चे को रोजाना के मान से 150 ग्राम गेहूं व प्रत्येक गुरुवार 150 ग्राम चावल दे रहे हैं। वहीं 73 दिन के लिए तीन किलो तुअर दाल और 783 ग्राम सोयाबीन का तेल दिया जाएगा।
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