सरकार ने पूर्व में 30 फीसदी से कम परीक्षा परिणाम आने पर परीक्षा लेकर शिक्षकों को बर्खास्त करने की नीति बनाई थी। इस वर्ष भी लोक शिक्षक संचालनालय ने 10वीं और 12वीं की कक्षाओं में 40 फीसदी से कम परीक्षा परिणाम आने पर संबंधित विषय के शिक्षक और कैचमेंट शालाओं के शिक्षकों की परीक्षा लेना प्रस्तावित है। इसमें अनुत्तीर्ण होने पर शिक्षकों पर कार्रवाई के रूप में सीधे सेवा से बर्खास्त किया जाना उचित नहीं है।
प्रांतीय शिक्षक संघ मप्र जिला उज्जैन की अगुवाई में पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नाम सांसद अनिल फिरोजिया और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को ज्ञापन दिया। संघ के जिलाध्यक्ष कैलाश बारोड़ ने बताया 2018 में 30 फीसदी से कम परीक्षा परिणाम आने पर संबंधित विषय के शिक्षकों को वार्षिक वेतन रोकने का दंड दिया जाता था।
उन्होंने बताया परीक्षा परिणाम कम आने के कई कारण हो सकते हैं। मात्र शिक्षक को दोषी ठहराना उचित नहीं है। परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देना, दक्षता बढ़ाने के लिए परीक्षा लेना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और जुर्माना लगाने के स्थान पर सीधे सेवा से बर्खास्त करने की नीति समाप्त करने की जरूरत है। संघ के पदाधिकारियों ने आग्रह किया कि संबंधित नीति में बदलाव कर उसे शिक्षक के मूल्यांकन तक सीमित किया जाए।
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