निमाड़ के सबसे बड़े निःशुल्क कोचिंग संस्थान टंट्या भील अध्ययन केंद्र के नए भवन के लिए शनिवार को वनमंत्री कुंवर विजय शाह ने भूमिपूजन किया। दोपहर 12 बजे आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वन मंत्री शाह, खंडवा विधायक देवेंद्र वर्मा, पंधाना विधायक राम दांगोरे, मांधाता विधायक नारायण पटेल, टंट्या मामा भील के वंशज सोनी बाई, भील समाज प्रदेश अध्यक्ष गुलाब सिंह वास्कले, कलेक्टर अनय द्विवेदी, एडिशनल एसपी सीमा अलावा, चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष गुरमीत सिंह उबेजा, राजेश तिवारी, धीरज तिरोले, मंगल यादव, प्रमिला शर्मा सहित अन्य उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के दौरान मंत्री विजय शाह ने एक करोड रुपए की लागत से बनने वाले टंट्या भील अध्ययन केंद्र के लिए नकद एक लाख और पांच लाख विधायक निधि से देने की घोषणा की। साथ ही विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। खंडवा विधायक देवेंद्र वर्मा और मांधाता विधायक नारायण पटेल ने पांच-पांच लाख रुपए व दादाजी इंजीनियरिंग कॉलेज ने एक लाख ग्यारह हजार रुपये की घोषणा की।
कार्यक्रम में किसने क्या कहा
मंत्री विजय शाह ने विद्यार्थियों के संघर्ष और उसके बाद शुरू हुई स्कॉलरशिप के तीन किस्से सुनाए।
खंडवा विधायक देवेंद्र वर्मा ने अपने घर का मिक्सर खराब होना, उसके सुधारने में परेशानी आना और इससे युवाओं के रोजगार की संभावनाओं से जुड़ा वाकया सुनाया।
विधायक राम दांगोरे ने टंट्या भील अध्ययन केंद्र की रूपरेखा रखी और बताया कि संस्थान की शुरुआत में हमारा खूब मजाक उड़ा। उधार का सामान लाकर हमने बच्चों को पढ़ाया। कार्यक्रम के दौरान मंच से इन्हीं विद्यार्थियों ने अपने वेतन से रुपए इकट्ठा कर संस्थान के भवन के लिए देने की घोषणा की।
अध्ययन केंद्र में यह सुविधाएं होंगी
एक बॉयज हॉस्टल होगी जिसमें लगभग 100 विद्यार्थियों के रुकने की व्यवस्था होगी। { एक मेस संचालित होगी। { पुराने बिल्डिंग (जिसमें अध्ययन केंद्र में कक्षाएं संचालित होती है) में छात्राओं के लिए हॉस्टल की व्यवस्था रहेगी। यह नए भवन से 500 मीटर की दूरी पर है। { पूरा भवन वातानुकूलित होगा, प्रत्येक कमरे में एयरकूल्ड सिस्टम लगा होगा। { भवन के फ्रंट में टंट्या मामा की 5 फीट की मूर्ति लगाई जाएगी, जिससे विद्यार्थियों को उनसे देशभक्ति की प्रेरणा मिल सकेगी।
बिना वेतन पढ़ा रहे शिक्षकों का किया सम्मान... 6 वर्षों से बिना वेतन पढ़ा रहे 35 शिक्षकों का सम्मान किया गया। टंट्या मामा भील के वंशज सोनी बाई का सम्मान किया गया। अपने छः वर्षों के कार्यों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। साथ ही कोरोना के नियमों का भी पालन किया गया।
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