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सेहत के लिए स्वच्छता, दवाइयां व खानपान में बदलाव, दाल, तेल, चाय, पेट्रोल-डीजल के दामों में हुई ज्यादा बढ़ोतरी

कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन के बाद बढ़ती महंगाई ने घरेलू बजट बिगाड़ दिया है। हर घर में खान-पान की सामग्री का खर्च बढ़ने के साथ सैनिटाइजर, मास्क और इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाइयों का खर्च भी जुड़ गया है। यात्रा के लिए सार्वजनिक परिवहन के वाहनों का संचालन नियमित नहीं होने के कारण निजी वाहनों से यात्रा का भी अतिरिक्त खर्च हो रहा है। अनुमानत: पांच से दस सदस्यों के सामान्य आय वाले परिवारों में 5 से 10 हजार रुपए तक का खर्च ज्यादा हो रहा है। इसका असर है कि एक तरफ जहां उन्हें तंगहाली का सामना करना पड़ रहा है वहीं घरेलू बचत में भी पिछड़ रहे हैं।

लॉकडाउन के पहले यानी मार्च के खर्च और अनलॉक के बाद के घरेलू खर्च को लेकर भास्कर ने जब नागरिकों के साथ बातचीत की तो उनकी पीड़ा सामने आ गई। कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के दौरान घरेलू खर्च में कमी आई थी। लेकिन अनलॉक के बाद जैसे जैसे स्थिति सामान्य होती गई महंगाई ने भी पांव पसारे। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भी तेजी आई। मार्च और दिसंबर के दामों की तुलना करने पर पता चला कि सभी आवश्यक खाद्य सामग्री की कीमतों में तेजी आई है। इसके कारण घरेलू खर्च में इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल के दामों में तेजी के कारण यात्रा व्यय बढ़ गया।

स्वास्थ्य और इम्युनिटी के लिए भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। ऐसे में आम घरों में आर्थिक तंगी की स्थिति बनी हुई है। तंगी के हालातों के चलते नागरिक खर्च करने की सीमा बांधने लगे हैं। नागरिकों का अनुभव है कि महंगाई के कारण वे घरेलू बचत भी नहीं कर पा रहे। इधर कई घरों में आय भी कम हुई है। कई निजी कंपनियों द्वारा कर्मचारियों के वेतन में कमी की गई है। कई परिवारों में किसी सदस्य का रोजगार जाने जैसे हालत भी बने हैं। इससे उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं।

स्वच्छता पर खर्च बढ़ गया
कोरोना संक्रमण के कारण घरों में स्वच्छता का खर्च बढ़ गया है। खास कर कपड़े धोने का साबून-सोडा, फर्श पर पोछा लगाने के केमिकल, बाथरूम सफाई की सामग्री का उपयोग बढ़ा है। इसके अलावा सैनिटाइजर, मास्क के साथ इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाइयां आदि का उपयोग भी लोग करने लगे हैं। च्यवनप्राश, तुलसी ड्रॉप और आयुर्वेदिक काढ़े का उपयोग किया जा रहा है। सेहत के लिए हरी सब्जियों के अलावा फलों का उपयोग भी घरों में हो रहा है। इस कारण घरेलू खर्च में इजाफा हुआ है।

पेट्रोल में 12 व डीजल में 14 रु. बढ़े
घरों का बजट बिगाड़ने में यात्रा व्यय भी है। मार्च और दिसंबर के बीच पेट्रोल 12 रुपए और डीजल 14 रुपए महंगा हो गया। सार्वजनिक परिवहन के वाहन, जैसे बस, मैजिक, सिटी बस, ऑटो आदि का संचालन नियमित नहीं होने तथा सार्वजनिक वाहनों में यात्रा से बचने के लिए निजी वाहनों का उपयोग तेजी से बढ़ा है। लोग निजी वाहन में यात्रा करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं ताकि वे संक्रमण से बच सकें। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण प्राइवेट टैक्सी का किराना भी बढ़ गया है। उज्जैन-इंदौर का कार का किराया 1200 रुपए था जो बढ़कर 1800 रुपए हो गया। बड़ी गाड़ी इस रूट पर 1800 रुपए में जाती थी जो अब 2500 रुपए किराए पर मिल रही है।

समझें कैसे बिगड़ा घर का बजट
गृहिणी मीना पटवर्धन

  • परिवार के सदस्य : 9
  • किराना- 6000 से बढ़कर 7500
  • सब्जी-फल- 3000 से बढ़ कर 4500
  • पेट्रोल- 2000 से बढ़ कर 3000
  • दूध आदि- 2500 से बढ़ कर 3000
  • साबुन आदि- 500 से बढ़ कर 1000
  • दवाइयां आदि का अतिरिक्त खर्च- 2000
  • (परिवार में करीब 7 हजार रुपए का खर्च बढ़ा)


बैंककर्मी ममता गौड़ परिवार के सदस्य : 12

  • किराना- 7000 से बढ़कर 8500
  • सब्जी-फल- 4000 से बढ़ कर 5000
  • पेट्रोल- 3000 से बढ़ कर 5000
  • दूध आदि- 3000 से बढ़ कर 4000
  • साबुन आदि- 1500 से बढ़ कर 2000
  • दवाइयां आदि का अतिरिक्त खर्च- 4000
  • (परिवार में करीब 10 हजार रुपए खर्च बढ़ा)


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आटा सस्ता हुआ पर चाय महंगी


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