काल भैरव मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ छलावा हो रहा है। कोरोना काल में श्रद्धालुओं का मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और शराब का भोग पर प्रतिबंध है। ऐसे में कथित दुकानदार व शराबी लोग अपना हित साधने के लिए श्रद्धालुओं को बरगलाकर उनसे मंदिर के बाहर रखे बेरिकेड पर ही शराब व अन्य पूजन सामग्री चढ़वा रहे हैं। बेरिकेड पर ही मंगल धागे बंधवाए जा रहे हैं।
यहां श्रद्धालुओं के पास बचने वाली पूजन सामग्री पुन: उक्त दुकानदार लेकर अपनी टोकरियों में सजा लेते हैं और शराबी चढ़ी हुई शराब ले जाते हैं। काल भैरव मंदिर में रोज 500 श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। ये दुकानों से 100 से 350 रुपए देकर पूजा की टोकरी खरीदते हैं। उसमें हार-फूल, मंगल धागा, भैरव यंत्र, मिठाई व मदिरा आदि पूजन सामग्री रहती है। चूंकि कोरोना काल में गर्भगृह में प्रवेश व पूजन सामग्री चढ़ावा प्रतिबंधित है।
यह उठ रहे सवाल- मंदिर के बाहर सूचना चस्पा क्यों नहीं?
1. जब काल भैरव को मदिरा व पूजन सामग्री चढाने पर पाबंदी है तो ये बेची क्यों जा रही है? मंदिर के बाहर सूचना चस्पा क्यों नहीं है।
2. मदिरा और अन्य पूजन सामग्री मंदिर के बाहर बेरिकेड पर चढ़ाने से ये पैरों में आ रही है, इन हालातों का जिम्मेदार कौन?
यह हो सकती व्यवस्था
श्रद्धालुओं द्वारा लाई जाने वाली मदिरा को पात्र में एकत्रित कर सुबह-शाम होने वाली आरती के दौरान कालभैरव को पुजारी के द्वारा प्रतीकात्मक रूप से चढ़वाईं जा सकती है।
हार-फूल, प्रसाद, मंगल धागे प्रतीकात्मक अर्पण किए जा सकते हैं।
प्रस्ताव तैयार है, लागू कराएंगे
श्रद्धालुओं द्वारा लाई जाने वाली मदिरा प्रसादी को पात्र में एकत्रित कर प्रतीकात्मक रूप से कालभैरव को चढ़ाए जाने का प्रस्ताव तैयार है। जल्द ही व्यवस्था लागू करवाएंगे।
-राकेश मोहन त्रिपाठी, एसडीएम व अध्यक्ष मंदिर प्रबंध समिति
व्यवस्था में सुधार के प्रस्ताव हम प्रशासन को दे चुके हैं। उम्मीद है जल्द ही व्यवस्था बदलेगी।
-धर्मेंद्र चतुर्वेदी, पुजारी, कालभैरव मंदिर
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