कोरोना काल में प्रदेश में तीसरे स्थान पर रहे उज्जैन में फिर से संक्रमण बढ़ने लगा है। नौ माह में सबसे ज्यादा 1170 मरीज सितंबर में पाए गए, उसके बाद मई, अगस्त व अक्टूबर तथा अब नवंबर में। इस माह में मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 4224 तक पहुंच गया है। दिवाली के बाद से लगातार 20 से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं।
नवंबर माह में 517 मरीज संक्रमित पाए जा चुके हैं, जो मार्च, अप्रैल व जून-जुलाई से ज्यादा हैं। एक्टिव मरीज 283 हो गए हैं, जो पिछले माह की तुलना में 151 ज्यादा हैं यानी संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ठंड में कोरोना का वायरस 10 से 12 घंटे तक सक्रिय रहता है। ऐसे में संक्रमण का खतरा दोगुना हो सकता है।
ओल्ड एज के लोगों को अवेयरनेस बरतना होगी। ठंड के दिनाें में खासकर 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोग तथा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व हार्ट तथा अस्थमा के मरीज संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। उज्जैन में संक्रमण की शुरुआत 26 मार्च से हुई थी और प्रदेश में पहले मरीज की भी मौत भी यहां ही हुई थी।
उसके बाद से उतार-चढ़ाव के बीच सबसे ज्यादा सितंबर में 1170 मरीज पाए गए। उसके बाद अक्टूबर में 764 मरीज संक्रमित पाए गए। ऐसे ही हालात रहे तो सितंबर व अक्टूबर की तरह कोविड हॉस्पिटल के आईसीयू फुल हो सकते हैं तथा वेंटिलेटर उपलब्ध होने की समस्या आ सकती है। ऑक्सीजन की किल्लत भी हो सकती है। इसके लिए लिक्विड ऑक्सीजन ही बेहतर विकल्प है।
हालांकि अभी उज्जैन के कोविड हॉस्पिटल व सेंटर तथा प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के लिए 995 बेड उपलब्ध हैं तथा पीटीएस पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में भी अतिरिक्त व्यवस्था है। लोग आम दिनों की तरह सार्वजनिक व भीड़ वाले स्थानों पर आ-जा रहे हैं। त्योहारों पर भी न तो दुकान संचालकों ने और न ग्राहकों ने प्रोटोकाल का पालन किया। यही लापरवाही संक्रमण बढ़ने की प्रमुख वजह बनी हुई है। ऐसे ही हाल रहे तो संक्रमण और तेजी से बढ़ता जाएगा।
प्रोटोकाल का पालन नहीं करेंगे तो और बढ़ेगा संक्रमण
सितंबर व अक्टूबर में सबसे ज्यादा मरीजों के संक्रमित होने के बाद नवंबर में मरीजों का आंकड़ा बढ़ने लगा है। लोग प्रोटोकाल का पालन नहीं करेंगे तो ठंड में संक्रमण और बढ़ सकता है। इन दिनाें में ओल्ड एज और पुरानी बीमारी से ग्रसित लोगों को अवेयर होना पड़ेगा। मास्क ही बचाव का बेहतर उपाय है।
-डॉ. एचपी सोनानिया, नोडल अधिकारी कोविड-19
ये 4 लापरवाही, जो संक्रमण बढ़ा रही
1. पुलिस-प्रशासन की टीम को देखकर वाहन सवार मास्क लगा लेते हैं और फिर हटा देते हैं, यह लापरवाही संक्रमित होने का कारण बन सकती है।
2. खुले मार्केट में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे। दुकानों के बाहर गोल घेरे का सिस्टम भी खत्म हो गया।
3. बाजार से खरीद कर लाई गई सामग्री को लोग सीधे उपयोग में ले रहे हैं।
4. कई लोग तो मास्क को पूरे समय गले में लटकाएं रहते हैं।
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from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3ltMeU6 December 02, 2020 at 05:33AM https://ift.tt/1PKwoAf
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