(सुमित कुमार चौबे) मप्र का 52 वे जिला निवाड़ी के 7 थानों में महिलाओं की गुमशुदगी के अब तक 227 मामले सामने आए हैं। जिनमें से पुलिस काे सिर्फ 77 महिलाओं ही मिल पाईं हैं और 150 महिलाएं अब भी लापता हैं। इनमें नाबालिग बच्चियां भी शामिल हैं। हालांकि निवाड़ी जिले में पुलिस विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार अब तक 23 नाबालिग बच्चियां ही मिल पाई हैं। जबकि इस साल कुल 22 नाबालिग बच्चियां जिले से लापता हुई थी।
निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर थाना में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां अब तक लापता हुई 82 महिलाओं में से सिर्फ 23 को ही पुलिस दस्तयाब कर पाई है। जबकि 59 महिलाएं अब भी लापता हैं। वहीं ठीकठाक स्थिति में सिमरा थाना है। यहां पर अब तक 5 महिलाएं गायब हुई जिनमें से 3 को दस्तयाब किया गया और 2 अब भी लापता है।
बीते 11 महीनों की ही अगर बात करें तो निवाड़ी जिले में 93 महिलाएं लापता हुई हैं। डिस्ट्रिक्ट क्राइम ब्रांच निवाड़ी से मिली जानकारी के अनुसार इन 11 महीनों में पुलिस ने 23 नाबालिग बच्चियों को भी दस्तयाब कर परिजनों के सुपुर्द किया है। जिम्मेदारों का तर्क है कि इनमें पिछले साल गुम हुईं कुछ नाबालिग बच्चियां भी शामिल हैं।
राहत की बात यह है कि 18 वर्ष से कम उम्र की लापता हुई बच्चियों काे तलाश करने में निवाड़ी जिले की पुलिस कामयाब रही है। वहीं कई लापता हुई कई नाबालिगों के लौटने की बांट देखते-देखते परिजनों की आंखें ही पथरा गई हैं। घरों में दरवाजे की आहट और सड़क पर आते बच्चों के बीच उन्हें अपने जिगर के टुकड़ों की तलाश रहती है।
पुलिस ने लापता हुई महिलाओं में ज्यादातर अपहरण के केस भी दर्ज किए हैं। अब तक लापता 150 महिला जिनमें नाबालिग भी शामिल हैं। उनकी तलाश में पुलिस आज भी जुटी है, लेकिन महिलाओं और नाबालिगों का कोई पता नहीं चल पाया है। सुखद बात ये है कि जिले में बच्चों की चोरी एवं तस्करी का अब तक कोई गिरोह सामने नहीं आया है। जिससे परिजनों को अपनों के लौटने की आस आज भी जिंदा है।
अधिकांश नाबालिगों के लापता होने का यह है मुख्य कारण
मनोचिकित्सक डॉ. निधि जैन बुखारिया के मुताबिक घरों का माहौल और प्रेशर नाबालिग बालिकाओं पर असर डालता है। समस्याओं व परेशानियों को अक्सर बालिकाएं सबके सामने एक्सपोज नहीं कर पातीं। ऐसे में ये बालिकाएं घर से भाग जाने तक का कदम उठा लेती हैं। उन्होंने बताया कि बालिकाएं 18 वर्ष तक अपरिपक्व होती हैं, उन्हें अपने अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं रहता है। किसी भी प्रलोभन व सब्जबाग में वे आ जाती हैं। ऐसे में अपराधी भी उन्हें अच्छा लगता है सोशल मीडिया और मोबाइल का असर भी पड़ता है। बिना कुछ किए ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाएं सब कुछ पाना चाहती हैं।
मनोचिकित्सक ने बताया समस्या का निवारण
^मनोचिकित्सक डॉ. निधि जैन बुखारिया बताती हैं कि अभिभावकों को अपने बच्चों को प्रलोभन व सब्जबाग से बाहर लाकर वास्तविकता से जोड़ना चाहिए। बच्चों को धार्मिक ग्रंथों, दादी की कहानियों के माध्यम से सच्चाई से रूबरू कराकर आइडियोलॉजी सिखानी होगी। संघर्ष से सफलता की कहानियां बतानी होगी। ऐसा हम टीवी सोशल मीडिया के सदुपयोग से भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि घर में बच्चों के लिए होने वाले निर्णय में भी उनकी राय ली जाना बहुत जरूरी है।
निवाड़ी में 33% महिलाएं मिलीं
निवाड़ी जिले में पुलिस कप्तान और उपकप्तान की कमान महिलाओं के हाथ में हैं। यहां पुलिस कप्तान वाहिनी सिंह और उपकप्तान प्रतिभा त्रिपाठी हैं। बावजूद इसके निवाड़ी में गुम हुई 227 महिलाओं में से सिर्फ 33 फीसदी यानि 77 महिलाओं को पुलिस खोज पाई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में पुलिस महिलाओं को लेकर कितनी संजीदा है।
महिलाओं के गुम होने के मामले को गंभीरता से लें
महिलाओं की गुमशुदगी और दस्तयाबी के मामले में डीआईजी छतरपुर विवेक राज सिंह का कहना है कि अभी तक कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है, जिससे महिलाओं के गुम होने में किसी ग्रुप या गिरोह का हाथ हो। पृथ्वीपुर में लगातार गुम हो रही महिलाओं के मामले को लेकर जल्दी ही समीक्षा करेंगे। सिंह ने बताया कि लगातार महिलाओं के गुम और दस्तयाब होने की मॉनिटिरिंग होती है। फिर भी लगातार गुम हो रही महिलाओं के मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
मुझे ज्वाइंन किए 5 महीने ही हुए
महिलाओं की गुमशुदगी के मामले में निवाड़ी एसपी वाहिनी सिंह का कहना है कि उन्हें ज्वाइंन किए हुए सिर्फ 5 महीने ही हुए हैं। बावजूद इसके महिलाओं को दस्तयाब करने के लिए थानों में टीमें गठित करके लगातार भेजी जा रही हैं। जिससे अधिक से अधिक महिलाओं को तलाश किया जा सके।
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