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हॉस्पिटल से 7 गुना मरीज होम आइसोलेशन में, इसलिए हर मरीज पर सरकार के 10 हजार रुपए रोज बच रहे

क्वारेंटाइन हॉस्पिटल से सात गुना मरीज होम आइसोलेशन तथा होम क्वारेंटाइन में हैं। इसकी बड़ी वजह सरकारी खर्च जो कि मरीजों के इलाज से लेकर उनकी देखरेख व खाने व चाय-नाश्ते पर होने वाले खर्च को बचाना है। दूसरा कारण मरीज भी हॉस्पिटल में भर्ती रहने की बजाए घर पर ही रहना चाहते हैं ताकि परिवार के लोगों की मौजूदगी में रह सकें।
ऐसे मरीज जिनमें लक्षण नहीं हैं, उन्हें प्रोटोकाल के तहत होम आइसोलेशन में रखा जाता है तथा पॉजिटिव मरीज के कांटेक्ट वाले लोगों को होम क्वारेंटाइन किया जाता है। उनमें लक्षण पाए जाने पर सैंपलिंग की जाती है।

रिपोर्ट पॉजिटिव पाई जाने पर लक्षण के आधार पर हॉस्पिटल या होम आइसोलेशन में रखे जाने का निर्णय कोविड विशेषज्ञ लेते हैं। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार कोविड हॉस्पिटल में केवल 130 पॉजिटिव मरीज भर्ती हैं। जबकि होम आइसोलेशन और होम क्वारेंटाइन में 760 मरीज हैं, जो घर पर ही अपना इलाज करवा रहे हैं। कोविड कंट्रोल रूम पर भी फोन लगाकर भी चिकित्सकीय सेवाएं लेते हैं। ऐसे में कोविड हॉस्पिटल खाली पड़े हैं। पॉजिटिव मरीज पर हर दिन 10 हजार रुपए तक का खर्च आता है। इसमें ऑक्सीजन, दवाइयां तथा मरीजों की देखरेख व खाने तथा चाय-नाश्ते आदि का खर्च शामिल है। करीब 200 रुपए रोज भोजन व नाश्ते का खर्च आ रहा है। एक मरीज 10 से 11 दिन भर्ती रहता है तो करीब एक लाख 10 हजार रुपए तक का खर्च आता है।

चरक का पूरी तरह उपयोग नहीं हाे रहा
100 बेड के कोविड सेंटर चरक अस्पताल का उपयोग पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। मक्सी रोड स्थित पीटीएस में भी मरीजों को नहीं रखा जा रहा है। माधवनगर हॉस्पिटल में 54 मरीजों का इलाज हो रहा है। कोविड विशेषज्ञों का कहना है कि जिनमें लक्षण नहीं है, उन्हीं काे होम आइसोलेशन में रखा जाता है और जो पॉजिटिव के कांटेक्ट वाले या सस्पेक्टेड होते हैं एवं जिनकी रिपोर्ट आना बाकी है, उन्हें होम क्वारेंटाइन किया जाता है। लक्षण वाले मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जाता है।

लक्षणों के आधार पर निर्णय लेते हैं
लक्षणाें के आधार पर ही मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती रखने या होम आइसोलेशन में रखे जाने का निर्णय लिया जाता है। मरीज में लक्षण नहीं हैं तो होम आइसोलेट किया जाता है तथा पॉजिटिव मरीजों के कांटेक्ट में रहने वाले लोगों को होम क्वारेंटाइन में रखा जाता है।
डॉ. रौनक एलची, नोडल अधिकारी, आरआरटीम



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आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में भी कम मरीज ही भर्ती है।


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