राजघाट बांध में इस बार पानी पिछले साल से कम है, किसान भी बांध के पानी को चोरी कर रहे हैं। इसके बाद भी निगम और जिला प्रशासन ने पानी सहेजने के लिए कोई एक्टिव प्लान तैयार कर पाए हैं। बांध से लगातार पानी की चोरी हो रही है, दूसरी ओर हर दिन की सप्लाई में शहर तक पानी पहुंचने के पहले ही छोटे-बड़े लीकेज से करीब 1 करोड़ लीटर पानी सड़कों पर बह जाता है। अगर इसके खर्च का आंकलन किया जाए तो नगर निगम 1.82 करोड़ रुपए सालाना सड़कों पर बह रहे इस पानी पर ही खर्च कर रहा है। इतना ही नहीं निगम लीकेजों से बहते हुए इस पानी को रोक ले तो 71 हजार से ज्यादा लोगों की एक दिन की जरूरत पूरी हो सकती है।
हर साल 1.82 करोड़ रुपए का पानी बर्बाद
बांध से रोजाना शहर में अभी 3 सेमी. में 60 एमएलडी (6 करोड़ लीटर) पानी की सप्लाई होती है। जिस पर निगम पानी फिल्टर से लेकर बिजली खर्च पर हर रोज 3 लाख रुपए खर्च करता है। इसमें से 1 करोड़ लीटर पानी सड़कों पर बह रहा है। जिसके खर्च का आंकलन किया जाए तो यह रोजाना 50 हजार रुपए है। यानी एक साल में नगर निगम 1.82 करोड़ रुपए सालाना इस अतिरिक्त खर्च को उठा रहा है। जिसका कोई भी उपयोग नहीं करता।
प्रति व्यक्ति पानी की औसत खपत भी बढ़ी
बांध से पिछले कई सालों से जो पानी दिया जा रहा है। वह प्रति व्यक्ति 140 लीटर औसत खपत के आधार पर तय किया गया है। 30% जनसंख्या के आधार पर देखा जाए, तो प्रति व्यक्ति की औसत खपत इन सालों में 200 लीटर (प्रतिदिन) से ज्यादा पहुंच गई है। जबकि बांध का अधिकांश पानी लीकेज से ही बह रहा है।
- प्रतिदिन 1 करोड़ लीटर पानी लीकेजों से बह रहा।
- निगम के हिसाब से रोजाना 140 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की खपत।
बांध से शहर तक सप्लाई में यह होता है खर्च
स्थापना - 2 लाख रुपए ( महीना) कर्मचारियों का वेतन
राजघाट - 60 से 65 लाख रुपए बिजली (महीना)
क्लोरीन - 4 लाख रुपए का होता है (सालाना)
एलम - 28 से 30 लाख (सालाना)
भास्कर सुझाव - पानी की बर्बादी रोकने के लिए करें यह उपाय
- लीकेजों की हर दिन हो मॉनिटरिंग।
- तुरंत ही छोटे-बड़े लीकेजों की मरम्मत के लिए अमला हो तैयार।
- शहर के लोग और जनप्रतिनिधि भी हो इसके लिए जागरूक। लीकेज सुधार के कामों को प्राथमिकता से ले अधिकारी।
- लोग टोटियां लगाकर पानी की बर्बादी पर नजर रखें। व्यर्थ न बहाएं।
एक्शन प्लान तैयार किया है, मरम्मत जल्द ही होगी
शहर के सभी बड़े लीकेजों के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है। जिसकी मरम्मत की जा रही है। हाल में ही कुछ लीकेज सुधारे भी गए हैं। उधर, स्वच्छता सर्वेक्षण में भी जोन अधिकारियों और कर्मचारियों से कहा है कि सड़कों पर पानी न बहे।
-आरपी अहिरवार, निगमायुक्त
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