मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ व उनके गृहक्षेत्र के दौरे पर पहुंचे पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया आक्रामक हो गए। राघौगढ़ नपा क्षेत्र के वार्ड रुठियाई में सभा में उन्होंने कहा कि इलाके में अब तक जो हुआ, उसका चुकता हम तीन साल में कर देंगे।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को मैं निर्देश देने वाला हूं कि अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में एक भी भाजपा कार्यकर्ता के साथ अन्याय हुआ, तो तेरी खटिया खैर (शायद वे खड़ी बोलने वाले थे) कर देंगे, तेरी ....। इसके बाद आमसभा में मौजूद लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। सिसौदिया ने बाद में राघौगढ़ में दिग्विजय सिंह के पारिवारिक निवास किला कोठी से करीब 2 किमी दूर सभा को संबोधित किया। इससे पहले रोड शो हुआ, जो साडा काॅलोनी से राघौगढ़ तक करीब 2 किमी का था।
इतने आक्रामक क्यों हैं सिसाैदिया
दरअसल, इसकी पृष्ठभूमि में ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। सिसौदिया ने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाॅइन की थी। कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया ने एक अपवाद के अलावा कभी राघौगढ़ या इसके विधानसभा क्षेत्र में सभा आदि नहीं की। ठीक ऐसा ही दिग्विजय सिंह ने भी किया। 2003 के बाद से उन्होंने गुना, बमोरी आदि इलाकों में सभा नहीं की। अब हालात बदल गए हैं। अब वे आमने-सामने हैं। हाल के उपचुनाव के दौरान दोनों की ओर से बयानबाजी हो चुकी है। बमोरी में तो पूर्व सीएम ने महारानी लक्ष्मीबाई वाला प्रसंग तक छेड़ दिया।
भाजपा नेताओं ने भी बनाए रखी दूरी
खुद भाजपा शासनकाल के बीते 17 साल में भी कभी चुनाव के अलावा कोई भाजपा नेता राघौगढ़ में सभा लेने या रोड शो करने नहीं गया। यहां तक कि मंत्रियों ने भी वहां समीक्षा बैठक आदि नहीं की। वे जिला मुख्यालय तक ही सीमित रहते थे। भाजपा की ओर से दिग्विजय सिंह के गढ़ में सबसे प्रभावी चुनौती चांचौड़ा से पूर्व विधायक ममता मीणा की ओर से मिलती रही है। बाकी, राघौगढ़ के मामलों में भाजपा ने भी दूरी बनाए रखने की नीति अपनाई है।
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