इस वर्ष प्राइवेट स्कूल में गरीब व वंचित वर्ग के बच्चे प्रवेश से वंचित रह गए। अभी तक स्कूलों में प्रवेश के लिए कोई लिंक ओपन नहीं हुई है। हर वर्ष अप्रेल माह से ही प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती थी, इसके तहत सेंवढ़ा ब्लाॅक के 75 अशासकीय स्कूलों में 815 सीटें आरक्षित रहती हैं। इनमें क्षेत्र के सीबीएसई बोर्ड के इंग्लिश मीडियम स्कूल, जिनकी फीस काफी अधिक है, उनमें भी इन बच्चों को प्रवेश मिलता था।
लेकिन इस बार प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई। सूत्रों की मानें तो इस वर्ष शैक्षणिक सत्र शून्य घोषित हो सकता है। ऐसे में इस योजना के तहत प्रवेश लेने के इच्छुक बच्चों को योजना के लाभ से वंचित होना पड़ेगा। खास बात यह है कि निशुल्क प्रवेश के लिए शासन द्वारा आयु सीमा निर्धारित की गई है।
इसमें केजी के लिए अधिकतम 5 वर्ष एवं कक्षा 1 एक अधिकतम 7 वर्ष आयु होना चाहिए। इस साल प्रवेश नहीं होने के कारण कई बच्चे आयु सीमा को पार कर जाऐंगे। ऐसे में पात्र बच्चों को भी आने वाले 8 वर्ष तक शुल्क के साथ अथवा शासकीय स्कूलों में अध्ययन करने को मजबूर होना पड़ेगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 के आते ही अब प्रत्येक अशासकीय स्कूल को अपनी छात्र संख्या के मान से प्रथम प्रवेशित कक्षा में न्यूनतम 25 फीसदी छात्रों को निशुल्क प्रवेश देना अनिवार्य होता है। पिछले पांच साल से स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए पात्र छात्र छात्रा को ऑन लाइन प्रक्रिया के तहत प्रवेश दिया जाता था। लेकिन इस वर्ष लाॅकडाउन के चलते यह संभावना थी कि बोर्ड की तरह अक्टूबर माह में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो जाऐगी।
पर अभी तक शासन द्वारा कोई निर्देश जारी नहीं किए गए है। सूत्रों की मानें तो राज्य शिक्षा केंद्र ने शासन को इस वर्ष शून्य सत्र घोषित करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। और इसका असर पूरे प्रदेश में 2 लाख से अधिक बच्चों पर पड़ेगा। स्कूल नहीं खुलने के कारण अगर शासन शून्य सत्र घोषित कर आरटीई के प्रवेश को इस वर्ष स्थगित करता है तो प्रति बच्चे के मान से अशासकीय स्कूलों को दी जाने वाली राशि के एवज में भी शासन सौ करोड़ से अधिक की राशि बचा सकता है।
हालांकि इससे सबसे बड़ा नुकसान उन बच्चों का होगा जो कि पात्र होने के बावजूद योजना का लाभ लेने से वंचित हो जाऐंगे। यहां बताना जरूरी होगा कि एक बार प्रवेश मिलने के बाद छात्र छात्राओं को कक्षा 8 वीं तक निशुल्क सुविधा रहती है। और नतीजतन इस बार प्रवेश से वंचित छात्र अगर उम्र की सीमा पूरी कर लेंगे तो उन्हें कक्षा 8 वीं तक फिर प्रवेश नहीं मिल सकेगा।
पालकों की चिंता
स्थानीय वार्ड क्रमांक 2 निवासी रामदीन सिंह का कहना है कि बच्चे की उम्र इस बार 5 वर्ष हो गई है। नियमानुसार एलकेजी में प्रवेश के लिए 5 वर्ष से अधिक की उम्र नहीं होनी चाहिए। अगर इस बार प्रवेश नहीं हुआ तो हमें मजबूरी में या तो शासकीय स्कूल में प्रवेश दिलाना पड़ेगा या फिर प्राईवेट स्कूल में सशुल्क प्रवेश दिलाना पड़ेगा। अधिकारी कह रहे हैं कि ऊपर से ही तिथि जारी नहीं हुई वह क्या कर सकते हैं। रामदीन जैसे कई लोगों के लिए दिक्कत यह है कि अगर उनके बच्चे को इस वर्ष प्रवेश नहीं मिला तो अगले साल उम्र बढ़ने पर वह अपात्र हो जाएंगे। जिससे उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
जल्द ही आ सकते हैं निर्देश
^पूरी प्रक्रिया राज्य शिक्षा केंद्र के द्वारा संचालित होती है। अभी तक इस दिशा में कोई आदेश नहीं आया है। जल्द ही शासन के निर्देश आने की संभावना है। अगर इस वर्ष को शून्य सत्र भी घोषित किया जाता है तो उम्र की सीमा अगले वर्ष अवश्य बड़ाई जानी चाहिए। पालकों को निराश होने की जरूरत नहीं है।
पुरुषोत्तम पाठक, बीआरसी सेंवढ़ा
तीन से सात वर्ष तक के बच्चों को मिलता है प्रवेश
प्रवेश के लिए विभिन्न स्कूलों में अलग अलग श्रेणियां होती हैं। अगर बच्चे की उम्र 3 से 5 वर्ष तक की है तो नर्सरी में और उम्र 5 वर्ष से 7 वर्ष तक की है तो कक्षा एक में प्रवेश मिलता है। कुछ स्कूल नर्सरी से तो कुछ कक्षा 1 से प्रवेश देते हें। फार्म भरने के लिए अभिभावक को अपने बच्चे की बीपीएल अंत्योदय कार्ड अथवा एससी, एसटी, विमुक्त जाति प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होता है।
वन भूमि, पट्टाधारी, शारीरिक रूप से निःशक्त कार्ड एचआईवी पीड़ित बच्चा तथा अनाथ बच्चा को भी प्रवेश मिलता है। इन श्रेणियों के बच्चों का एसएसएम आईडी, आधार कार्ड, दो फोटो, एड्रेस प्रूफ,जन्म प्रमाण पत्र एवं जाति प्रमाण पत्र लेकर ऑनलाइन सेंटर से फार्म भरे जाते हैं। सेवढ़ा ब्लाक के 75 अशासकीय स्कूलों में दोनों श्रेणियों की कुल 815 सीटें आरक्षित रहती हैं।
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