नवरात्र और दशहरा ऐसा त्योहार है जिसकी तैयारी महीनों पहले से होती है और यह शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि शहर का दशहरा पूरे देश में प्रसिद्ध है। ऐसे में यहाँ कि साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाएँ बेहतर होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
मुख्य मार्गाें से थोड़ा अंदर जाने पर ही निगम की हकीकत सामने आ जाती है और गंदगी के अंबार नजर आने लगते हैं। अधिकारियों की मनमानी कहें या बेशर्मी कि जब लोग उपवास में हैं ऐसे में भी बदबू और कचरे के ढेर उन्हें परेशान कर रहे हैं। जिन स्थानों को पूरी तरह साफ होना चाहिए वहाँ आवारा जानवर कचरे को फैलाते दिख रहे हैं, वैसे भी इन दिनों आम नागरिक कोरोना की दहशत में जी रहा है ऐसे में अब उन्हें संक्रामक बीमारियाँ भी परेशान कर रही हैं।
नगर निगम के पास 3 हजार से अधिक सफाई कर्मचारी हैं, मशीनरी इतनी है कि उसे संचालित नहीं किया जा रहा है और 100 करोड़ के लगभग की राशि खर्च की जा रही है, लेकिन इसके बाद भी शहर की सफाई भगवान भरोसे चल रही है। त्योहारों के पहले ऐसे दावे किए गए थे कि लगा था शहर चमकने लगेगा, लेकिन हुआ ठीक उलटा।
त्योहार के आते ही कर्मचारी गायब होने लगे और सफाई का कार्य चुनिंदा स्थानों को छोड़कर कहीं नहीं हो पा रहा है। जब कचरा गाड़ी घरों तक नहीं पहुँच रही तो लोग मजबूरी में कचरा आसपास ही फेंक रहे हैं और यही कारण है कि हर तरफ कचरे के ढेर दिख रहे हैं।
कुछ स्थानों पर सफाई हुई बाकी वैसे ही रहे
दैनिक भास्कर के गतांक में फोटो सहित शहर के कुछ खास स्थानों की रपट प्रकाशित की गई थी जहाँ गंदगी की भरमार थी। शनिवार को फिर से उन स्थानों का जायजा लिया गया तो देखा गया कि कुछ जगह तो निगम के कर्मचारी काम कर रहे थे और सफाई के बाद डस्टिंग भी की गई, लेकिन बाकी जगह कोई पहुँचा ही नहीं। इससे साफ जाहिर होता है कि निगम के अधिकारियों कर्मचारियों में कोई समन्वय नहीं है। और न ही इन्हें इस बात की चिंता है कि दशहरा जैसे त्योहार में शहर को बेहतर तरीके से साफ किया जा सके।
मुख्य मार्गों, वीआईपी क्षेत्रों पर नजर
इसमें कोई शक नहीं कि शहर के मुख्य मार्गों के साथ ही वीआईपी क्षेत्रों में सफाई का कार्य कराया जा रहा है और वहाँ नियमित तौर पर झाड़ू लगती है, कचरा गाड़ी पहुँचती है और फाॅगिंग आदि भी कराई जाती है, लेकिन शहर के बाकी क्षेत्रों को पूरी तरह लावारिस मान लिया गया है। या तो इन क्षेत्रों के लोगों को जीने का अधिकार नहीं है या फिर नगर निगम इन्हें शहर का नागरिक ही नहीं मानता है। अब चूँकि अवकाश का समय है ऐसे में निगम ने यदि जल्दी ही ध्यान नहीं दिया और सफाई नहीं कराई तो लोगों के बीमार होने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
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