शारदेय नवरात्रि पर्व की अष्टमी पर शनिवार को देवी मंदिरों एवं घरों में पूजन-अर्चन के साथ हवन किया गया। साथ ही अनेक जगहों पर कन्या भोज भी कराए गए। दिनभर माँ दुर्गा की आराधना की गई। वहीं शाम को पंडालों में विराजीं आदि शक्ति के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुजन घरों से निकले।
देर रात्रि पंडालों में दर्शन के लिए लोग पहुँचते रहे। अष्टमी पर माता महागौरी का पूजन-अर्चन किया गया। नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। नवमी पर सिद्ध बाबा वार्ड चाचा किराना स्टोर्स के पास 25 अक्टूबर शनिवार को शाम 7:30 बजे महाआरती एवं भंडारे का आयोजन किया गया है। समिति के संजय सिंह, अस्सु दाहिया, दुर्गा मौर्य, राहुल आदि ने उपस्थिति की अपील की है।
26 को मनेगा दशहरा- पं. रोहित दुबे ने बताया कि नवरात्रि व्रत कन्या पूजन 25 अक्टूबर दिन रविवार को ही दिन में 11:14 बजे तक नवरात्रि के किसी भी दिन कन्या भोज कराना शुभ माना जाता है। दशमी तिथि 25 अक्टूबर से शुरू होकर 26 अक्टूबर की सुबह 11:30 बजे तक रहेगी। ऐसे में इस साल दशहरा का पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल महानवमी तिथि का प्रारंभ शनिवार की सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रहा है। जो कि अगले दिन 25 अक्टूबर (रविवार) को सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। नवरात्रि व्रत पारण 25 अक्टूबर को किया जाएगा।
बगलामुखी माता के मंदिर में 1100 कमल के पुष्पों से अर्चन
बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर में शनिवार को माता भगवती का किशमिश एवं कमल के 11 सौ पुष्पों से अर्चन किया गया। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज भगवती की आराधना कर रहे हैं। भक्त अपनी मनोकामना के लिए अखंड ज्योति कलश का पूजन कर रहे हैं। मनोज सेन ने बताया की कोविड-19 को देखते हुए कन्या भोज एवं भंडारा नहीं कराया जाएगा।
महाआरती का आयोजन
अष्टमी पर कालीपुत्र आश्रम में कालीपुत्र महाराज द्वारा अखण्ड साधना के आठ दिन के समापन पर हवन-पूजन एवं महाआरती की गई। हवन-पूजन के साथ शाम को काली माता की महाआरती की गई। आचार्यों के सान्निध्य में माँ काली का विशेष पूजन किया गया।
गीताधाम में श्री दुर्गा सहस्त्रार्चन
जगत जननी जगदंबा ने अपने भक्तों के कष्टों के निवारण के लिए नित नव रूप धरे हैं, भक्त प्रह्लाद की करुण वेदना सुनकर भगवती पराम्बा ने नरसिंह अवतार लेकर श्रीहरि नारायण के अंग में अवतरित हो हिरण्यकश्यिपु का संहार किया था।
दुर्गा महाअष्टमी पर जगत-गुरु देव डॉ. श्री श्यामदेवाचार्य महाराज, स्वामी नरसिंह दास महाराज के सान्निध्य में गीताधाम में सहस्त्रार्चन, श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ आचार्य संजय शास्त्री, पं. अमित द्विवेदी वैदिक आचार्यों द्वारा किया गया। मंत्रोच्चार के साथ ही षोडशोपचार पूजन-अर्चना के पश्चात महाआरती हुई।
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