शहर के एकमात्र गोल्फ कोर्स पर नया विवाद सामने आया है। गोल्फ कोर्स को मेंटेन कर रहे भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल) ने हाल ही में राज्य सरकार से इसे बेचकर पैसा जुटाने की अनुमति मांगी, लेकिन राजस्व विभाग ने इनकार कर दिया। साथ ही स्पष्ट कर दिया कि यह जमीन औद्योगिक उपयोग के लिए दी गई थी, लिहाजा जरूरत नहीं है तो इसे वापस कर दिया जाए।
करीब 38 एकड़ में यह गोल्फ कोर्स बना है। 28 फरवरी 2019 को केंद्रीय कैबिनेट ने यह फैसला लिया था कि जितने भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं वे अपनी संपत्तियों को बेचकर राशि जुटा सकते हैं। इसके बाद केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (डीआईपीएएम) ने बीएचईएल के मामले में यह 38 एकड़ जमीन चिह्नित की।
फरवरी 2020 में बीएचईएल ने राज्य सरकार को पत्र लिख मांगी अनुमति
फरवरी 2020 में बीएचईएल ने राज्य सरकार को पत्र लिखा कि उसे गोल्फ कोर्स की जमीन को मोनेटाइज करने की अनुमति दी जाए। जमीन को बीएचईएल के नाम पर फ्री होल्ड किया जाए। इस पर हाल ही में राज्य सरकार के राजस्व विभाग के पीएस मनीष रस्तोगी की ओर से बीएचईएल को जवाब भेजा गया।
इसमें कहा कि पत्र से ऐसा प्रतीत होता है कि आपको जमीन की आवश्यकता नहीं है। यह जमीन बीएचईएल को आवंटित नहीं है। राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज है। लिहाजा यदि औद्योगिक उपयोग की जरूरत नहीं है तो यह राज्य सरकार अपने पजेशन में ले लेगी। बीएचईएल ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
6000 में 2800 एकड़ खाली पड़ी
बताया जा रहा है कि 1959 से 1962 के बीच बीएचईएल को 6 हजार एकड़ शासकीय जमीन औद्योगिक प्रयोजन के लिए आवंटित की गई थी। लेकिन अभी तक बीएचईएल 3121 एकड़ जमीन का ही उपयोग कर पाया। लिहाजा राज्य सरकार ने जमीन वापस लेने की कवायद शुरू कर दी।
पैसे का उपयोग इंडस्ट्री में ही करते
बीएचईएल सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की स्कीम के तहत मोनेटाइजेशन की अनुमति मिलती और बाद में जो पैसा मिलता, उसका उपयोग बीएचईएल में ही होता। यह योजना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आर्थिक दृष्टि से मजबूत करने के लिए बनाई गई है।
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