(गौरव शर्मा) एक नदी, एक पुल। पुल के दोनों तरफ अलग-अलग विधानसभाएं। दोनों में उपचुनाव हो रहा है। दोनों सीटों के प्रचार का शोरगुल, चौपाल बैठकें, लेकिन समस्याएं वही तीन... सड़क, पानी और बिजली। वह भी तब, जब दोनों विधानसभाओं ने ताकतवर विधायक दिए, मंत्री दिए, पर 20-25 साल में किसी के वादे, इरादे नहीं बन पाए, सड़कों की तरह उखड़े, उथले ही रहे।
शिप्रा नदी के इंदौर तरफ वाला हिस्सा सांवेर विधानसभा में आता है, जबकि देवास की तरफ या यूं कहें कि टिगरिया व डबलचौकी की तरफ जाने वाला रास्ता हाटपिपल्या विधानसभा में। इंदौर-देवास को जोड़ने वाले फोरलेन को छोड़ दें तो यहां से टिगरिया जाना हो या बूढ़ी बरलाई, वाहनों के चक्के और लोगों के पैर दोनों डगमगाने लगते हैं।
राजेश सोलंकी कहते हैं कि गांव से टिगरिया रोड डबलचौकी को सीधे जोड़ता है। 15 और गांव जुड़ते हैं इस रोड से, लेकिन सड़क की हालत देखो? हम लगातार मांग कर रहे हैं, पिछले चुनाव में भी यही मुद्दा था और उसके पिछले चुनाव में भी। एक बार काम शुरू हुआ, फिर कुछ दिन में ही बंद भी हो गया।
विक्की चौहान और हेमेंद्र सिंह कहते हैं, गुड्डू और सिलावट दोनों 25 साल से बूढ़ी बरलाई जाने वाली सड़क से आ-जा रहे हैं, प्रचार में भी आए, उन्हें हम क्या बताएं, वे खुद इसका रास्ता निकालें। शिप्रा (सुखलिया) में एक और परेशानी पानी की है। स्थानीय निकाय के इंतजाम नाकाफी हैं। जो नदी देवास को सालभर पानी देते हैं, उसके किनारे उसके नाम पर बसा गांव पानी को तरसता है।
सेमलिया चाऊ में भी नदी का पुल बांटता है विधानसभा की सरहदें
शिप्रा जैसी स्थिति सेमलिया चाऊ की भी है। यहां भी पुल का एक छोर सांवेर विधानसभा के रंग में रंगा है तो दूसरा छोर हाटपिपल्या के चुनावी शोर का हिस्सा बना हुआ है। मेहरबानसिंह पटेल और कुलदीपसिंह का कहना है अब तो उम्मीदवारों के सामने वही समस्याएं दोहराते हुए हमें भी अच्छा नहीं लगता। पानी, सड़क की परेशानी से वे भी वाकिफ हैं। सड़कों की समस्याएं हल हो जाए तो 50 फीसदी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी।
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from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31ZmJTB October 31, 2020 at 05:28AM https://ift.tt/1PKwoAf
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