(अनिल गुप्ता) सांची में कई दिनों की कोशिशों के बाद भी भाजपा अभी तक भितरघात से पूरी तरह पार नहीं पा पाई, जबकि कांग्रेस नए चेहरे मदनलाल चौधरी के साथ इसी का लाभ उठाने की रणनीति पर आगे बढ़ चुकी है।
भाजपा ने हालांकि रायसेन जिले में संगठन के समानांतर एक टीम खड़ी कर दी है, लेकिन फिर भी भाजपा प्रत्याशी प्रभुराम चाैधरी के विरोधियों की सक्रियता बरकरार है। मुख्यमंत्री के दौरे के बाद भाजपा यह उम्मीद कर रही है कि संगठन एकजुट हो जाएगा। इस बीच संघ भी सक्रिय हो गया है।
भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार के प्रभाव वाले क्षेत्र गैरतगंज और हरदोट में सक्रियता बढ़ाई है, क्योंकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस को यहीं से लाभ हुआ था। रायसेन, देवनगर और सांची के वोट भी बंटने का अंदेशा है। कांग्रेस और भाजपा का इसी पर पूरा ध्यान है।
गुलगांव, फिरोजपुर, मुरली खेड़ी और ऐरन गांव में कांग्रेस के मदनलाल चौधरी वफादार और गद्दार के मुद्दे को भी जनता के बीच छोड़ रहे हैं। वे अकेले ही किला लड़ा रहे हैं। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा सांची में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने के साथ ही संगठन का संदेश स्पष्ट कर रहे हैं कि जो पार्टी के साथ है, वही टिकेगा। उन्होंने यह कहना शुरू किया है कि कोई भी फोन भितरघात या धमकाने वाला आए, उसकी रिकॉर्डिंग की जाए।
भाजपा : प्रभुराम के बेटों ने संभाली प्रचार में कमान
प्रभुराम के दोनों बेटों ने प्रचार की कमान संभाल ली है। प्रभुराम अपने अनुभव, व्यवहार और सिंधिया के काम गिना रहे हैं। उनका फोकस गैरतगंज में है।
कांग्रेस : रोजाना 10-12 गांवों में जा रहे मदनलाल
मदनलाल रोजाना 10 से 12 गांवों की सूची हाथ में लेकर निकल रहे हैं वे सलामतपुर से लेकर सांची स्तूप तक और उसके आसपास के गांव में घूम रहे हैं।
बंट सकते हैं वोट
भाजपा-कांग्रेस दोनों ने अहिरवार प्रत्याशी उतारे हैं। अहिरवारों की संख्या 28 से 30 हजार के करीब है। अब निर्णायक लोधी और किरार होंगे, जो 35 हजार हैं। इसीलिए भाजपा ने उमा भारती को सक्रिय किया है। कांग्रेस सुखदेव पांसे व जयवर्धन सिंह को ला चुकी है।
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