कोरोनाकाल में हो रहे उपचुनाव में सबसे बड़ा सवाल यही है कि मतदान का रुझान क्या रहेगा? चुनाव आयोग ने बूथ पर मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स से लेकर अन्य व्यवस्थाएं तो कर ली हैं। वोटर घर से निकलकर आए, इसके लिए कर्मचारियों के दल गांव-गांव जाकर बताएंगे कि बूथ पर पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
अफसरों की चिंता इसलिए भी है कि 2018 के चुनाव में सामान्य परिस्थितियां और तमाम प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने में बहुत बड़ी सफलता नहीं मिली। 28 में से चार सीटों पर मतदान 60 प्रतिशत से भी कम रहा था।
चार सीटों (भांडेर, मुंगावली, नेपानगर, सुमावली) में वोटिंग प्रतिशत 2013 के मुकाबले घट गया था। सात सीटें ऐसी थीं, जहां वोटिंग प्रतिशत 1-2% ही बढ़ा था। अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अरुण तोमर का कहना है कि कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि मतदान जागरूकता संबंधी गतिविधियां करें।
इस बार ये अलग होगा
- बुजुर्ग, दिव्यांग और कोरोना पॉजिटिव मरीजों को घर पर ही डाक मतपत्र की सुविधा मिलेगी।
- 1030 से ज्यादा वोटर होंगे तो एक सहायक बूथ बनाया जाएगा।
- हाथ सैनिटाइज और बुखार मापने का काम बूथ के बाहर होगा।
- मास्क के साथ दस्ताने भी देंगे। यह उस हाथ में पहनना होगा, जिससे बटन दबाना है।
60% से कम वोटिंग यहां
ग्वालियर पूर्व- 57.17%
अंबाह- 59.70%
गोहद- 59.32%
भांडेर- 59.14%
61-70 फीसदी
ग्वालियर 62.57
डबरा 68.12
मुरैना 62.98
मेहगांव 63.90
दिमनी 70.14
80 फीसदी से ऊपर
बदनावर 86.11
सुवासरा 82.55
आगर 82.97
हाटपिपल्या 85.57
सांवेर 80.89
ब्यावरा 80.77
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