कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन श्योपुर के सहकारी बैंक के 5374 और निजी बैंकों के 10 हजार किसान ऐसे है, जिन्हें चार महीने से कर्जमाफी का इंतजार है। कर्जमाफी में उलझे इन किसानों को रबी सीजन में फसल बोवनी के लिए सहकारी संस्थाओं से उधार खाद-बीज नहींं मिलेगा क्योंकि कर्ज माफ न होने से यह डिफाॅल्टर हो गए हैं। ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि इन किसानों ने कर्जमाफी के फेर में कर्ज जमा नहींं किया।
दो हजार किसानों के आवेदन ही मंजूर नहींं
सहकारी बैंक में 5374 किसान कर्जमाफी में शेष बचे हुए है। इनमें से 2 हजार किसान ऐसे भी जिनके आवेदन सरकार की ओर से अब तक मंजूर ही नहींं किए गए हैं। ऐसे में अब किसान भी असमंजस में है कि वे कर्ज जमा करें या नहींं क्योंकि अगर कर्ज जमा करते हैं तो वह कर्जमाफी की प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे और नहीं करते हैं तो डिफाॅल्टर। ऐसे में उन्हें उधार-खाद बीज नहींं मिलेगा।
सहकारी बाजार के 28 हजार में से 23 हजार किसानों का कर्जमाफ
निजी बैंकों के कर्जदार किसानों को छोड़कर सहकारी बैंक के कर्जदार किसानों की बात करें तो इसमें सहकारी बैंक के 28551 किसानों ने कर्जमाफी में आवेदन किए जिनका 131.47 करोड़ रुपए कर्जमाफी के जरिए माफ होना था। इसमें चार महीने पहले तक 23177 का 71.54 करोड़ रुपए ही माफ हो सका। अब 5374 किसानों को 59.93 करोड़ रुपए का कर्ज माफ होने इंतजार बना हुआ है।
निजी और सहकारी बैंकों के 15 हजार किसान डिफाॅल्टर तो नहीं मिलेगा उधार खाद-बीज
सहकारी बैंक के 5374 तो निजी बैंकों के 10 हजार से ज्यादा किसान अभी कर्जमाफी के इंतजार में उलझे हुए है। यहां खरीफ की फसल कटाई शुरु हो चुकी है और नवंबर में इन किसानों को रबी सीजन की बोवनी करनी है। लेकिन इनके साथ समस्या यह है कि कर्ज माफ न होने के फेर में इन किसानों को सहकारी संस्थाओं से उधार दिया जाने वाला खाद-बीज नहीं मिलेगा। ऐसे में इन्हें बाजार से मंहगें दामों पर नगद भुगतान करके ही खाद-बीज उठाना पड़ेगा। क्योंकि कर्ज माफ न होने के फेर में इन किसानों के खाते डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए हैं।
कर्जमाफी में अभी कोई राशि नहींं आई है
^कर्जमाफी में अभी कोई राशि नहींं आई है। 59.93 करोड़ रुपए की राशि आना शेष है। हां, किसान सहकारी संस्थाओं से उधारी में खाद-बीज नहींं ले सकेंगे क्योंकि बैंक के नियम के अनुसार वे कर्ज न चुकाने के कारण डिफाॅल्टर हो गए हैं। हालांकि राशि आते ही इनके खाते फिर से शुरू हो जाएंगे।
दिनेश गुप्ता, नोडल अधिकारी, सहकारी बैंक मर्यादित मुरैना शाखा श्योपुर
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