हमारे शहर में ऑक्सीजन की कमी हुई हो... कोरोना काल में अब तक ऐसा कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया है। कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में भविष्य में ऐसी स्थिति ना बने इसके लिए भी तैयारियां चल रही हैं। शहर में एक और निजी कंपनी को ऑक्सीजन सप्लाई देने का लाइसेंस मिल गया है, जल्द ही प्रोडक्शन शुरू हो सकता है। उधर, मेडिकल कॉलेज में भी लिक्विड ऑक्सीजन को लेकर तैयारियां हो रही हैं।
कोरोना काल में कई शहरों से ऑक्सीजन की खींचतान की खबरें सामने आई है। अच्छी बात ये है कि रतलाम में अब तक सप्लाई प्रभावित नहीं हुई है। यदि आप भविष्य की चिंता कर रहे हैं तो भी निश्चिंत रहें... क्योंकि इंतजाम किए जा रहे हैं। शहर में अब तक एक ऑक्सीजन प्लांट था, वे सप्लाई दे रहे थे। इसी बीच अब एक अन्य प्लांट को भी लाइसेंस दे दिया है। खाद्य व औषधि निरीक्षक सारिका अग्रवाल ने इसके लिए प्लांट का निरीक्षण किया था। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद प्लांट को लाइसेंस जारी हो चुका है। अब आगे का काम कंपनी का है। जल्द प्रोडक्शन शुरू हो सकता है।
1500 सिलेंडर की होगी आपूर्ति
रतलाम से अब तक एक प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही थी। कंपनी ने अभी इमरजेंसी में करीब 300 सिलेंडर की सप्लाई देने की तैयारी कर रखी है। अब काेरोना काल में एक और कंपनी को लाइसेंस मिला है। उनकी क्षमता 1500 सिलेंडर तक की है। हालांकि, अभी प्रोडक्शन शुरू नहीं हुआ है। लेकिन, कोरोना काल में लिक्विड ऑक्सीजन व सिलेंडर मिलना बड़ी चुनौती है।
रोज 200 से 250 सिलेंडर की जरूरत
रतलाम के मेडिकल कॉलेज में वर्तमान समय में रोजाना 200 से 250 सिलेंडर की जरूरत लग रही है। फिलहाल कॉलेज में ऑक्सीजन को लेकर परेशानी सामने नहीं आई है। इधर, कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन के लिए भी वर्क ऑर्डर जारी हो चुके हैं। कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन टैंक 10 से 12 हजार लीटर का रहेगा, इससे करीब 1300 से 1400 सिलेंडर भरे जा सकते हैं। कॉलेज में सेंट्रल लाइन व सक्शन लाइन का काम पहले ही हो चुका है, ऐसे मेें मरीज को सीधे बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाई जा सकेगी।
नीमच, मंदसौर, जावरा दे रहे सप्लाई
रतलाम में अभी ऑक्सीजन के क्षेत्र में सप्लाई करने के मामले में मालवा ऑक्सीजन बड़ी कंपनी है। कंपनी मेडिकल कॉलेज में 50 सिलेंडर फ्री भी दे रही है। वहीं, कंपनी से रतलाम, मंदसौर, नीमच, जावरा सहित अन्य शहरों में ऑक्सीजन की सप्लाई दी जाती है। यदि अभी ऑक्सीजन की अर्जेंट जरूरत होती है तो कंपनी 300 सिलेंडर की पूर्ति कर सकती है। कंपनी की क्षमता कई गुना ज्यादा है।
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