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एनएचआरसी द्वारा आवारा कुत्तों के हमले के कारण एक व्यक्ति की कथित हत्या पर यूपी मुख्य सचिव, अलीगढ़ नगर आयुक्त, और वीसी, एएमयू को नोटिस जारी

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राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने 17 अप्रैल, 2023 को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) परिसर के अंदर एक पार्क में आवारा कुत्तों के हमले की एक और घटना में 65 वर्षीय एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई। कथित तौर पर, भयावह घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

आयोग ने कथित घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति और अलीगढ़ नगर निगम के आयुक्त को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकार से यह सूचित करने की अपेक्षा की जाती है कि क्या मृतक के निकटतम संबंधी को कोई राहत दी गई है।

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आयोग ने सचिव, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार से बिना किसी उकसावे के मनुष्यों पर आवारा पशुओं द्वारा हमले की बढ़ती घटनाओं के आलोक में मनुष्यों के जीवन के अधिकार और आवारा पशुओं से बचने के मुद्दे से सम्बंधित कानून के प्रावधानों के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति और उनकी रणनीति, यदि कोई हो, पर टिप्पणी भी मांगी है। जवाब 6 सप्ताह के भीतर अपेक्षित है।

आयोग ने पाया है कि इस मामले में मीडिया द्वारा रिपोर्ट की गई दर्दनाक घटनाओं से ज्ञात होता है कि मौजूदा सुरक्षा उपायों की समीक्षा करने की आवश्यकता है क्योंकि यह किसी एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की समस्या नहीं है, एवं स्थिति गंभीर और खतरनाक है। पूर्व में भी आयोग ने ऐसी घटनाओं का संज्ञान लिया था और अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी।

 

यह भी उल्‍लेखनीय है कि जानवरों के अधिकारों की वकालत और समर्थन उसी तरह से किया जाता है जैसे मानव अधिकारों के लिए किया जाता है क्योंकि जानवरों को उत्पीड़न, कैद और अमानवीय व्यवहार से बचाना और उनकी रक्षा करना बहुत जरूरी है, ताकि उन्‍हें मनुष्यों द्वारा पीड़ित होने से बचाया जा सके। लेकिन दूसरी तरफ इंसानों और बेजुबान जानवरों के बीच लगातार टकराव पैदा हो रहे हैं, और ये निश्चित रूप से हर बीतते दिन के साथ बढ़ रहे हैं, और इसलिए अधिकारियों को मामले में बिना किसी देरी के प्रभावी कार्रवाई करने के लिए इस मुद्दे की गंभीरता और गहनता को समझना आवश्यक है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में यह भी उल्लेख किया है कि इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है कि किसी व्यक्ति के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार अहस्‍तांतरणीय अधिकार हैं। इसलिए मनुष्य के जीवन के अधिकार की रक्षा करने की आवश्यकता है।

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