बहस लगभग पूरी होने वाली हो, इस बीच अगली सुनवाई की तिथि पर दूसरा वकील कर कोर्ट को सहयोग न करने की प्रवृत्ति को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकालत के आदर्श व्यवसाय के लिए निंदनीय माना है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल अध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को संयुक्त बैठक में ऐसी स्थिति को नियंत्रित करने का अनुरोध किया है।
कोर्ट ने कहा, चेक अनादर मामले में अधीनस्थ अदालत से जारी समन की चुनौती याचिका पर वकील ने बहस की। इस दौरान कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इन्कार की मंशा जाहिर की तो अगली सुनवाई की तिथि पर दूसरा वकील रख लिया गया। पहला बहस पूरी करने की स्थिति में नहीं था। न्याय में देरी की और वकालत व्यवसाय को दुष्प्रभावित किया।
इससे न्यायतंत्र पर वादकारियों के भरोसे में कमी आएगी। इसलिए बार काउंसिल और बार एसोसिएशन इस मामले पर विचार करे ताकि ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो सके। कोर्ट ने चेक अनादर केस में जारी समन को विधि सम्मत माना और केस कार्यवाही पर हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने शिव कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है।
गौतमबुद्धनगर के सेक्टर पेज दो के अंतर्गत चेक अनादर मामले में विपक्षी ने परक्राम्य विलेख अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत कंप्लेंट केस कायम किया। ACJM गौतमबुद्धनगर ने याची के खिलाफ समन जारी किया है। इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी।
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