भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 31(1) के तहत एल-एंड-टी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रॉजेक्ट्स लिमिटेड और कुदगी ट्रांसमिशन लिमिटेट की 100 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी के क्रमशः एपिक कॉनसेनेस प्रा.लि. और इंफ्रस्ट्रक्चर ईल्ड प्लस II द्वारा अधिग्रहण किये जाने को मंजूरी दे दी है।
समवेत रूप से प्रस्तावित अधिग्रहण इस प्रकार होगाः
- लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड और सीपीपीआईबी इंडिया प्राइवेट होल्डिंग्स इंक से एल-एंड-टी आईडीपीएल की इक्विटी शेयर पूंजी का क्रमशः 51 प्रतिशत और 49 प्रतिशत ईसीपीएल द्वारा; और
- आईवाईपी II द्वारा केटीएल (यानी, एल-एंड-टी आईडीपीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी) की इक्विटी शेयर पूंजी का शत-प्रतिशत।
ईसीपीएल एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है और पूरी तरह से आईवाईपी II के स्वामित्व में है। ईसीपीएल अवसंचरना परियोजनाओं को उपलब्ध कराने, विकसित करने, स्वामित्व, रखरखाव, संचालन, निर्देश, कार्यान्वयन, निष्पादन, सुधार, निर्माण, मरम्मत, काम, प्रशासन, प्रबंधन, नियंत्रण और हस्तांतरण की पेशकश करता है।
आईवाईपी-II इंफ्रास्ट्रक्चर यील्ड ट्रस्ट की एक योजना है, जो भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के तहत एक अपरिवर्तनीय और निर्धारित अंशदायी निवेश न्यास है। यह सेबी (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 ('एआईएफ विनियम') के तहत श्रेणी I - अवसंरचना वैकल्पिक निवेश निधि के रूप में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ('सेबी') के साथ पंजीकृत है। आईवाईपी- II का उद्देश्य निवेशकों को भारत में अवसंरचना परिसंपत्तियों में निवेश के माध्यम से दीर्घकालिक नकदी प्रवाह और विकास के आधार पर लाभार्जन करने का अवसर प्रदान करना है। साथ ही, मुख्य रूप से एआईएफ विनियमों के अनुसार अवसंरचना परिसंपत्तियों में निवेश के लिए विशेष संस्थाओं या अवसंचरना के निवेश न्यास की कंपनियों या इकाइयों या किसी अन्य अवसंरचना की प्रतिभूतियों में निवेश करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है।
एलएंडटी आईडीपीएल अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत अवसंरचना परियोजनाओं के विकास, संचालन और रखरखाव के कामकाज में शामिल है।सहायक कंपनियां डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर/बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर/बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर/बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर एनुइटी/बिल्ड-ऑपरेट-ओन-मेंटेन मोड के तहत अवसंचरना परियोजनाओं के विकास, संचालन और रखरखाव के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण/राज्य प्राधिकरणों और/या विद्युत आपूर्ति उत्पादन/पारेषण/वितरण कंपनियों के साथ रियायती समझौते करती हैं। यह अवधि 15 से 35 वर्ष की होती है। संबंधित रियायत अवधि के अंत में, आम तौर पर पूरी सुविधायें संबंधित सरकारी प्राधिकारों को हस्तांतरित कर दी जाती हैं।
केटीएल बिजली की निकासी के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली विकसित करने में जुटी है।
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