Hindenburg रिपोर्ट में Adani Group पर लगाए गए आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराए जाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में अभ्यास करने वाले वकील विशाल तिवारी ने एक याचिका दाखिल करसुप्रीम कोर्ट से विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्देश जारी करने की गुजारिश की है। साथ हीसेबी, सीबीआई और ईडी समेत अन्य जांच एजेसिंयों को SIT में शामिल कर जांच कराने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया देश की साख और निवेशकों के साथ किए जा रहे खिलवाड़ के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप जरूरी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि कोरोना वायरस में छोटे से छोटे कर्ज लेने वाले पर बैंकों ने कोई रियायत नहीं बरती थी और सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया था।अडानी के मामले में आरबीआई ने सिर्फ बैंकों से कर्ज की जानकारी ली है, लेकिन कोई आदेश नहीं दिया।
सेबी ने भी नहीं उठाया कोई कदम- याचिका
याचिकाकर्ता ने कहा कि सेबी स्वतः संज्ञान लेकर मामले पर जांच कर सकती थी,
लेकिन उसने भी कोई कदम नहीं उठाया।याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल
मामले में हस्तक्षेप कर सरकार को उचित आदेश जारी करने की मांग की है।
गौरतलब है कि इसी तरह की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में वकील एन राजारमन ने भी दाखिल दी है।
याचिका में निवेशकों और सार्वजनिक उपक्रमों को हुए नुकसान के मामले में जांच की मांग की गई है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को भेजी गई पत्र याचिका में अदालत से मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की गई है।
Adani Group के शेयरों में हालिया गिरावट एक घोटाला- विपक्ष
बता दें कि अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी Hindenburg रिसर्च द्वारा गौतम
अडाणी के नेतृत्व वाले समूह पर फर्जी लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर
सहित कई गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद समूह के शेयर की कीमतों में भारी
गिरावट आई है। इस मामले को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। विपक्षी
दलों ने आरोप लगाया है कि Adani Group के शेयरों में हालिया गिरावट एक
घोटाला है, जिसमें आम लोगों का पैसा शामिल है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के
LIC और SBI ने उनमें निवेश किया है।
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