उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि वह सजा की अवधि पूरी होने के बावजूद जेल में रखे जाने पर दुष्कर्म के एक दोषी को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा दे। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (Ajay Rastogi) और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार (C.T. Ravikumar) ने रेखांकित किया कि याचिकाकर्ता युवा है और उसे लंबे समय तक और गैर कानूनी तरीके से मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया। इसके अलावा उसने अतिरिक्त अवैध हिरासत की वजह से मानसिक पीड़ा सही।
शीर्ष अदालत उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा-376 (दुष्कर्म) के तहत दोषी करार देने की निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी, लेकिन सजा 12 साल से घटाकर सात साल सश्रम कारावास कर दी थी।
मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पाया कि व्यक्ति को सुनाई गई सजा से अधिक अवधि तक जेल में रखा गया। याचिकाकर्ता को 10 साल तीन महीने और 16 दिनों तक कारावास में रखा गया था। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को दोषी व्यक्ति को साढ़े सात लाख रुपये मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
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