बम्बई उच्च न्यायालय ने 33-वर्षीया उस महिला की शादी को अमान्य करार देने से इनकार कर दिया, जिसने दावा किया था कि उसके पति ने उससे जबरन शादी की थी और 14 साल की उम्र से ही उसका शारीरिक उत्पीड़न किया था I न्यायमूर्ति के.आर. श्रीराम (K. R. Sriram) और न्यायमूर्ति पी.के. चव्हाण (PK Chavan) की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि महिला के दावों के समर्थन में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं था और अपीलकर्ता का सारा साक्ष्य ‘‘असम्भव, अविश्वसनीय और अस्वीकारणीय है I’’
संबंधित आदेश 15 जून को दिया गया था और इसकी एक कॉपी मंगलवार को उपलब्ध कराई गयी Iअदालत ने कहा, ‘‘कोई भी आदमी यह विश्वास नहीं करेगा या अपीलकर्ता महिला के साक्ष्य को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि यह कुछ और नहीं, बल्कि स्वमताभिमान के तहत बिना किसी साक्ष्य के व्यक्त अभिव्यक्ति है I साक्ष्य से यह पूरी तरह स्पष्ट है कि यह थोपी गयी अंतदृष्टि है I’’
‘महिला का व्यवहार विचित्र’
आदेश में कहा गया है, ‘‘विचित्र बात है कि अपीलकर्ता (महिला) इस तरह के उत्पीड़न के बावजूद चुप रही और सहती रही I’’पीठ ने यह भी कहा कि महिला का व्यवहार ‘पूरी तरह से विचित्र’ था और इसे मुंबई जैसे शहर में स्वतंत्र तौर पर रह रही शिक्षित महिला का ‘स्वाभाविक व्यवहार नहीं कहा जा सकता I’
विवाह को अमान्य करार देने की मांग ;
महिला ने अपनी याचिका में विवाह को अमान्य करार देने और दिसम्बर 2011 में उसके पति को जारी विवाह प्रमाण-पत्र को फर्जी घोषित करने की मांग की थी I उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत विवाह को इस आधार पर अमान्य घोषित किया जा सकता है कि दोनों में किसी एक पक्ष से जबरन या धोखे के साथ सहमति ली गयी थी, लेकिन इसके लिए याचिका दायर करने की एक निर्धारित समय सीमा होती है I
और क्या-क्या लगाए हैं आरोप
ये महिला मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली है और फिलहाल मुंबई में एक बैंक में काम कर रही है I महिला के अनुसार, पुरुष ने उसके शर्मीले, डरपोक और अंतर्मुखी स्वभाव का फायदा उठाया I याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आती है, जहां महिलाओं और उनकी आवाज को दबा दिया जाता है, और ऑनर किलिंग, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराध एक दैनिक विशेषता है, जिसके कारण परिवार अपनी महिलाओं को चुपचाप उत्पीड़न का सामना करने की सलाह देते हैं I महिला ने आगे आरोप लगाया कि उसने कभी पुरुष से शादी नहीं की और पुरुष द्वारा जमा किए गए विवाह प्रमाण पत्र के संबंध में दस्तावेज मनगढ़ंत हैं I
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