मार्ग दुर्घटना में पूर्ण दिव्यांगता का शिकार हुए वकील के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा राशि दोगुने से भी अधिक बढ़ा दी है। वकील को अब 23 लाख 20 हजार की जगह 51 लाख 62 हजार रुपये के भुगतान का आदेश दिया गया है।
समाचार पत्र के अनुसार जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि दुर्घटना के कारण वकील जीवन भर के लिए पूर्ण दिव्यांगता का शिकार हो गया हैं। उन्हें इस दुर्घटना से जिंदगी भर के लिए दर्द मिला है। इस दिव्यांगता से उन्हें शेष जीवन बहुत कठिनाई से बिताना पड़ेगा।
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में यदि वे सामान्य मनुष्य जैसे होते तो जिंदगी की भागदौड़ कर सकते थे लेकिन अब इस हालत में वे औरों से मुकाबला नहीं कर पाएंगे। दुर्घटना के कारण दावाकर्ता के निचले अंग पूरी तरह फालिज का शिकार हैं वहीं ऊपरी अंग आंशिक फालिज का शिकार हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें अदालतों में अपनी उपयोगिता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।
ट्रिब्यूनल ने नौ लाख का मुआवजा देने का आदेश किया था जारी
उल्लेखनीय है दावाकर्ता वकील अभिमन्यु प्रताप सिंह के साथ 1996 में सड़क हादसा हुआ था जब वे पांच साल के थे। उनकी ओर से 1997 में क्षतिपूर्ति के लिए दावा किया गया जिसमें दो करोड़ रुपये की मांग की गई। 2002 में मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल ने नौ लाख का मुआवजा देने का आदेश जारी किया। असंतुष्ट दावाकर्ता ने ट्रिब्यूनल के आदेश को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। हाई कोर्ट ने 2019 में अपने आदेश में मुआवजा राशि बढ़ाकर 23 लाख 20 हजार कर दी। इसके बाद दावाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जिस पर उनका मुआवजा राशि बढ़ा दी गई।
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