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त्रिपुरा पुलिस पर ट्रांसजेंडर्स के लिंग की पहचान के लिए उन्हें जबरन निर्वस्त्र कराने का आरोप

 

आरोप है कि त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के एक होटल में पार्टी करके रात में लौट रहे ट्रांसजेंडर समुदाय के चार लोगों को कुछ पुलिसकर्मियों और एक पत्रकार ने रास्ते में रोककर उन्हें एक महिला पुलिस स्टेशन ले गए थे, जहां उन्हें जबरन निर्वस्त्र कराया गया.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

अगरतला: ट्रांसजेंडर समुदाय ने त्रिपुरा पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसने बीते आठ जनवरी की रात एक होटल से पार्टी करके लौट रहे समुदाय के चार सदस्यों को गलत तरीके से हिरासत में ले लिया और उनके लिंग की पहचान करने के लिए थाने में जबरन उनसे उनके कपड़े उतरवाए गए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों से जबरन लिखित में यह बयान भी लिया गया कि वे अब कभी भी ‘क्रॉस ड्रेसिंग’ (विपरीत लिंग के कपड़े पहनना) नहीं करेंगे  और अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

पीड़ितों ने अपनी शिकायत में धारा 377 के तहत मिले अधिकारों के उल्लंघन, राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले और निजता के अधिकार के फैसले का ब्योरा देते हुए 12 जनवरी की शाम पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में ‘उचित न्याय’ की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई है.

एलजीबीटीक्यूआईए+ अधिकार कार्यकर्ता और स्वयं ट्रांसजेंडर स्नेहा गुप्ता रॉय ने अगरतला प्रेस क्लब में मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘पीड़ितों के साथ जो कुछ भी हुआ उसने पूरे समुदाय को मानसिक और भावनात्मक रूप से नुकसान पहुंचाया है. लोगों को मनुष्यों की नॉन बाइनरी (Non-Binary) पहचानों (ऐसे लोग जो न तो पुरुष हैं और न ही महिला) को लेकर अधिक समावेशी होना सीखना होगा..’

19 वर्षीय मोहिनी ने उस डरावने अनुभव को याद करते हुए बताया, ‘हम पेशेवर मेक-अप आर्टिस्ट हैं और 8 जनवरी को एक होटल में पार्टी के लिए गए थे. जब हम रात 10:40 बजे घर लौट रहे थे तो कुछ पुलिसवालों और एक व्यक्ति, जो खुद को पत्रकार बता रहा था, ने हम में से चार लोगों को रोक लिया.’

मोहिनी ने बताया, ‘उन लोगों ने हमारे पहनावे का मजाक बनाकर हमें चिढ़ाया, छेड़ा और मानसिक प्रताड़ना दी. फिर हमें पश्चिम अगरतला महिला पुलिस स्टेशन ले गए और रात करीब साढ़े 11 बजे महिला पुलिसकर्मियों ने हमें जबरन नंगा कर दिया. उस समय कुछ  पुरुष पुलिसकर्मी भी वहां मौजूद थे.’

पीड़ितों ने आरोप लगाया कि उन्हें सर्दी में रात 11:45 बजे पैदल ही पुलिस थाने ले जाया गया, वहां यहां मोहिनी के अलावा उनके तीन दोस्तों संगम, राज और तापस को जमीन पर बैठाया गया और कुछ भी खाने या पीने के लिए देने से इनकार कर दिया गया.

पीड़ितों ने अपनी शिकायत में लिखा है कि उनके लिए सबसे शर्मिंदगी भरी और आहत करने वाली घटना वो थी जब पुलिसवालों ने उनकी विग और अंत:वस्त्र (Inner Garments) अपने पास रख लिए.

मोहिनी और उनके दोस्तों ने बताया कि पुलिस ने उन पर झूठी पहचान के सहारे लोगों से वसूली करने का आरोप लगाया था. शिकायत में उन्होंने मांग की है कि उन्हें इस अवैध और शर्मनाक घटना के खिलाफ उचित न्याय मिले और पुलिस अधिकारियों व पत्रकार के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई हो.

इस मसले पर शिकायतकर्ताओं को परामर्श दे रहीं वकील निरंजना रॉय ने कहा कि घटना ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों का सिर्फ हनन नहीं करती है, बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है. क्रॉस ड्रेसिंग को किसी भी कानून में अपराध नहीं माना जा सकता है. यह तो अपने अस्तित्व और पहचान के संघर्ष का मामला है.

उन्होंने कहा कि न्याय पाने के लिए हम सभी कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन से इस मामले पर किसी ने टिप्पणी नहीं की है, जबकि त्रिपुरा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस विषय पर रिपोर्ट मांगी गई है. जो भी जिम्मेदार होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा.

वहीं, जिस पत्रकार पर पीड़ितों को प्रताड़ित करने का आरोप है, उसका कहना है कि उसे एलजीबीटीक्यू समुदाय के अधिकारों की जानकारी नहीं थी.


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