सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वकीलों से जुड़े हजारों करोड़ के फर्जी दावा याचिकाओं के मामले में वकीलों को बचाने के लिए यूपी बार काउंसिल को फटकार लगाई। बीसीआई ने कहा कि उसने ऐसे मामलों के लिए राज्य में 28 वकीलों को निलंबित कर दिया है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि फर्जी दावे दायर करना एक गंभीर मामला है और प्राथमिकी में कुछ वकीलों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वकीलों को बचाया जा रहा
पीठ ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। अधिवक्ताओं द्वारा हजारों करोड़
के फर्जी दावे के मुकदमे दायर करना और आप इसे लेकर ज्यादा गंभीर नहीं हैं।
दरअसल, आपको हमारे आदेश के बिना कार्रवाई करनी चाहिए थी। हमें लगता है कि
आप अपनी निष्क्रियता से अपने वकीलों को बचा रहे हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया
(बीसीआई) के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि उसने फर्जी दावा मामले दर्ज
कदाचार में लिप्त होने के लिए यूपी में 28 वकीलों को निलंबित करने के अपने
फैसले को अधिसूचित कर दिया है।
यूपी बार काउंसिल को लगाई फटकार
शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले की जांच में पुलिस की ओर से लापरवाही नहीं की
जा सकती है और उसे हर संभव कोण से मामले की जांच करनी चाहिए। पीठ ने यह भी
चेतावनी दी कि अगर यह पता चलता है कि किसी को बचाने के लिए जांच की गई तो
परिणाम भुगतने होंगे। शीर्ष अदालत ने पहले अधिवक्ताओं से जुड़े फर्जी दावा
याचिकाओं के मामले में पेश न होने पर उत्तर प्रदेश बार काउंसिल (यूपीबीसी)
को फटकार लगाई थी।
अदालत ने कहा कि यह राज्य की बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कर्तव्य है कि वह गरिमा को बनाए रखे और कानूनी पेशे की महिमा को बहाल करे। वर्तमान मामले में दुर्भाग्य से बार काउंसिल ऑफ यूपी बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और पूरी तरह असंवेदनशील है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित 7 अक्टूबर 2015 के आदेश पर गठित एसआईटी द्वारा दायर एक स्थिति रिपोर्ट में बताया गया कि विभिन्न जिलों में दर्ज कुल 92 आपराधिक मामलों में से 55 मामलों में 28 अधिवक्ताओं को आरोपी बनाया गया है, 32 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है।
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