लूट के लिए हत्या जैसे संगीन अपराध करने वालों से सख्ती से निपटे जाने पर जोर देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध की वजह से समाज का व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि एक भी जान का जाना, एक अपूरणीय क्षति है, जिसे हम एक राष्ट्र के रूप में हमेशा के लिए खो देते हैं।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने 2 लोगों की अपील पर अपना फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। अपीलकर्ताओं का नाम योगेश और आकाश उर्फ बंटी है। उन्हें 25 साल के युवक से मोबाइल लूटते हुए चाकू घोंपकर उसकी हत्या का दोषी ठहराया गया था। निचली अदालत ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसे चुनौती देते हुए वे हाई कोर्ट पहुंचे। घटना टीकरी गांव में 13 जुलाई 2012 की रात की बताई गई। हाई कोर्ट ने दोषियों की अपीलों को ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा कि उसे अपीलों में कोई मेरिट नहीं दिखा, इसीलिए ट्रायल कोर्ट के फैसले में दखल देने की उसे कोई जरूरत नहीं है।
अपीलकर्ताओं के अपराध को संगीन मानते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूदा एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। ऐसे अपराधियों से सख्ती से निपटने की जरूरत है। कोर्ट ने उनके खिलाफ सबूतों पर भरोसा जताया। अभियोजन ने अपना केस साबित करने के लिए 39 गवाह पेश किए थे। अपीलकर्ताओं ने दलील दी कि अगर अपराध मान भी लिया जाए तो यह गैर-इरादतन हत्या का मामला बनता है, पर हत्या नहीं।
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