हाईकोर्ट ने 2012 में दो महिलाओं के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और एक की हत्या के मामले में एक शख्स को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ सबूत पेश करने में असफल रहा। हाईकोर्ट ने शख्स को दी गई मौत की सजा को बरकरार रखने से इनकार कर दिया। जस्टिस साधना जाधव और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने 25 नवंबर को जारी अपने आदेश में कहा कि रहीमुद्दीन मोहफुज शेख को बरी तुरंत रिहा किया जाए।
अदालत ने कूड़ा बीनने वाली दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और उनमें से एक की हत्या के मामले में पड़ोसी ठाणे जिले की एक सत्र अदालत द्वारा आरोपी को दी गई मौत की सजा की पुष्टि करने से इनकार कर दिया। पीठ ने अपने आदेश में पीड़िता की गवाही पर संदेह जताया और कहा कि आरोपी द्वारा दिए गए सुझावों में दम है कि महिलाएं वेश्यावृत्ति में लिप्त थी। अदालत ने यह भी पाया कि पीड़ितों को उनके साथ जाने के लिए मजबूर नहीं किया गया था और उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के आरोपी के साथ शराब का सेवन किया था।
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