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बार में हर साल सवा सौ से ज्यादा नए वकील जुड़ रहे, 10 साल के अनुभव की शर्त से नहीं जता पा रहे प्रधान पद

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बार में हर साल सवा सौ से ज्यादा नए वकील पंजीकृत हो रहे हैं। लेकिन बार एसाेसिएशन के चुनावों में ऐसे वकीलों की भागीदारी सीमित ही है। सीनियर वकीलों के साथ काम करने वाले ये वकील बार के चुनाव में प्रत्याशियों के वोट बैंक तो हैं लेकिन प्रैक्टिस में आने के बाद सीधे चुनावी मुकाबले में नहीं उतर सकते। इसके पीछे जिला बार एसोसिएशन की वह शर्त है जिसमें चुनाव में प्रधान व उप प्रधान पद के दावेदारों के लिए 10 साल का अनुभव जरूरी है।

वहीं, सेक्रेटरी व कोषाध्यक्ष के लिए पांच साल का अनुभव जरूरी है। ज्वाइंट सेक्रेटरी व एग्जीक्यूटिव मेंबर्स के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है। नए वकील अपनी शुरुआत ज्वाइंट सेक्रेटरी व एग्जीक्यूटिव मेंबर्स से करते हैं। जब उनकी पहचान बन जाती है तो फिर वे बार के मुख्य पदों के लिए अपनी दावेदारी ठोकते हैं। बार के मुख्य पदों के लिए अनुभव की यह शर्त काफी समय से चली आ रही है लेकिन साल 2008-09 में फ्रेश एनरोलमेंट वालों को भी चुनाव लड़ने का मौका मिल गया था। तब एडवोकेट रितु सिंह मान सीधे प्रधान पद के लिए मैदान में उतरी थीं। इस चुनाव में इस पद के लिए दूसरी अनुभवी वकील सूरज रश्मि शर्मा थीं। हालांकि, तब एसएम शर्मा जीते थे। महत्वपूर्ण यह है कि अलग-अलग बार एसोसिएशन ने यह नियम अपने संविधान के तहत बनाए हुए हैं। जरूरी नहीं कि हर बार में ऐसी ही शर्त हो।

17 को सुबह 9 से साढ़े 4 बजे तक डाल सकेंगे वोट
इस चुनाव के लिए योग्य मतदाता 17 दिसंबर को सुबह 9 बजे से साढ़े 4 बजे तक वोट कर सकेंगे। दोपहर में 1 बजे से डेढ़ बजे तक लंच ब्रेक रहेगा। जारी शेड्यूल के मुताबिक वोटिंग का समय समाप्त होने के ठीक बाद वोटों की गिनती शुरु कर दी जाएगी। इस बार चुनाव में 1002 योग्य मेंबर अपने मत का उपयोग कर पाएंगे।

 

नए वकील में चुनाव के लिए ज्यादा उत्साह रहता है : सुशांत शर्मा
नए वकीलों में चुनाव को लेकर ज्यादा उत्साह रहता है। मैंने आते ही ज्वाइंट सेक्रेटरी के लिए नामांकन भर दिया था। तब मैं फ्रेशर था और पांच छह माह ही प्रैक्टिस को हुए थे। बार एसोसिएशन इसको लेकर अपने नियमों में बदलाव भी कर सकती है। लेकिन एसोसिएशन का मुख्य मकसद वकीलों के वेलफेयर के काम करना ही है।- एडवोकेट सुशांत शर्मा

महिलाओं के लिए रोटेशन वाइस सीट रिजर्व होनी चाहिए : रितू सिंह मान
साल 2008-09 में मैंने प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ा था, तब 10 साल के अनुभव की कोई शर्त नहीं थी। तब मेरी प्रैक्टिस तो एक साल की ही थी। मुझे काफी अच्छा अच्छा रिस्पांस मिला था। तब एसएम शर्मा प्रधान बने, सेंकड नंबर पर कंवर चमन पाल सिंह राणा थे। मेरी राय है कि बार के पदों पर महिला एडवोकेट्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए रोटेशन के आधार पर सीट रिजर्व होनी चाहिए।- रितू सिंह मान, प्रदेशाध्यक्ष, ऑल इंडिया जाट महासभा लीगल सेल

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